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विकास भ्रष्टाचार से लड़ने पर निर्भर करता है

Lokesh Pal November 04, 2025 05:30 35 0

संदर्भ:

विकसित भारत @ 2047 के विजन को प्राप्त करने के लिए भारत को भ्रष्टाचार को समाप्त करना होगा, क्योंकि कोई भी राष्ट्र तब तक विकसित नहीं हो सकता जब तक उसकी शासन प्रणाली रिश्वतखोरी, अकुशलता और लीकेज से ग्रस्त रहेगी।

उत्तम/स्वच्छ प्रणाली का महत्व:

  • विकास को सक्षम बनाता है: एक विकसित राष्ट्र पारदर्शी प्रणालियों के माध्यम से कार्य करता है जो लोगों के लिए कार्य करती हैं, उनके विरुद्ध नहीं।
  • भ्रष्टाचार आर्थिक विकास को अवरुद्ध करता है: लगातार भ्रष्टाचार सीधे तौर पर आर्थिक प्रगति को धीमा कर देता है, जबकि विकसित देश आर्थिक प्रगति के पथ पर अग्रसर होते हैं क्योंकि वहाँ भ्रष्टाचार का स्तर कम होता है।
  • सिंगापुर मॉडल का उदाहरण: ली कुआन यू के नेतृत्व में सिंगापुर का शून्य-सहिष्णुता दृष्टिकोण दर्शाता है कि स्वच्छ शासन ही तीव्र विकास और दक्षता का वास्तविक चालक है।

भ्रष्टाचार के प्रकार:

  • छोटा/खुदरा भ्रष्टाचार: छोटे पैमाने पर रिश्वतखोरी, जिसमें नागरिकों को नियमित सरकारी सेवाओं के लिए पैसे देने के लिए मजबूर किया जाता है, जो मुफ्त या कम लागत वाली होनी चाहिए।
  • वृहत स्तर पर भ्रष्टाचार: वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सत्ता का उच्च-स्तरीय दुरुपयोग, जिसमें बड़ी मात्रा में धन का दुरुपयोग और कानूनों, नीतियों या न्याय प्रणालियों में बदलाव शामिल है।
  • व्यवसाय/वाणिज्यिक भ्रष्टाचार: अनुमोदन, परमिट या शिपमेंट को मंजूरी देने के लिए अधिकारियों द्वारा व्यपारियों से रिश्वत या अवैध भुगतान की माँग की जाती है, जिससे व्यवसाय की लागत बढ़ जाती है।

भ्रष्टाचार के आर्थिक परिणाम

  • निवेश का नुकसान: निवेशक भ्रष्ट प्रणालियों से बचते हैं क्योंकि वे परिचालन जोखिम और लागत बढ़ा देते हैं। रिश्वत संस्कृति के कारण घरेलू व्यवसाय या तो पीछे हट जाते हैं या बंद हो जाते हैं।
  • रोजगार का नुकसान: जो पूँजी रोजगार सृजित कर सकती थी, वह रिश्वत के रूप में चली जाती है, जिससे आर्थिक विस्तार धीमा हो जाता है।
  • आय असमानता में वृद्धि: भ्रष्टाचार से कुछ लोगों को लाभ होता है, जबकि आम जनता को नुकसान होता है।
  • खराब सार्वजनिक अवसंरचना और सेवा वितरण: ठेकेदार अधिकारियों को दी गई रिश्वत की रकम वसूलने के लिए सामग्री की गुणवत्ता को कम कर देते हैं।
  • कल्याणकारी निधियों का रिसाव: सब्सिडी और पेंशन गरीबों तक नहीं पहुंचती है, जैसा कि उल्लेखित है कि प्रत्येक ₹1 में से केवल 15 पैसे ही लाभार्थी तक पहुँच पाता हैं।

वैश्विक भ्रष्टाचार सूचकांक में भारत की स्थिति:

  • ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल – भ्रष्टाचार बोध सूचकांक: भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक पर भारत का स्कोर 38/100 है (रैंक 96/180), जो इसे “उच्च भ्रष्टाचार” श्रेणी में रखता है, जिसमें 2014 से कोई सुधार नहीं हुआ है।
  • विश्व बैंक – भ्रष्टाचार नियंत्रण सूचकांक: भारत का स्कोर 42/100 (रैंक 108/193) है, जो भ्रष्टाचार पर कमजोर संस्थागत नियंत्रण और जवाबदेही तंत्र की खराब प्रभावशीलता को दर्शाता है।

ग्रीस-द-व्हील्स सिद्धांत:

  • ग्रीस-द-व्हील्स सिद्धांत: कुछ लोग तर्क देते हैं कि छोटी रिश्वत धीमी नौकरशाही प्रक्रियाओं को गति देने के लिए “स्नेहक” के रूप में कार्य करती है और लालफीताशाही से बोझिल प्रणाली में फाइलों को तेजी से आगे बढ़ाने में मदद करती है।
  • वास्तविकता: साक्ष्य दर्शाते हैं कि भ्रष्टाचार व्यवस्थित रूप से प्रक्रियाओं को धीमा कर देता है, लागत बढ़ा देता है, तथा संस्थाओं को कमजोर कर देता है, जिससे जानबूझकर देरी होती है, ताकि अधिकारी रिश्वत ले सकें।

भ्रष्टाचार उन्मूलन के उपाय:

  • लालफीताशाही से निपटना: नियमों को सरल बनाने, अनापत्ति प्रमाण-पत्र (NOC) में कटौती करने तथा तुच्छ तकनीकी बातों के आधार पर फाइल अस्वीकृत करने की प्रक्रिया को समाप्त करने की आवश्यकता है।
  • जवाबदेही सुनिश्चित करना: सरकारों को अत्यधिक सेवा संरक्षण पर अंकुश लगाना चाहिए और पारदर्शिता बढ़ाने तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए अनिवार्य सार्वजनिक संपत्ति प्रकटीकरण और पैन-लिंक्ड आय ट्रैकिंग जैसे उपायों के माध्यम से सख्त जवाबदेही को लागू करनी चाहिए।
  • कानूनी व्यवस्था में सुधार: भ्रष्टाचार के मामलों का शीघ्र निपटारा सुनिश्चित करने के लिए फास्ट-ट्रैक अदालतें स्थापित करें। देरी से सज़ा मिलने से रोकथाम की क्षमता खत्म हो जाती है, क्योंकि अधिकारी फैसला सुनाए जाने से पहले ही सेवानिवृत्त हो जाते हैं।

निष्कर्ष:

विकसित भारत @2047 के विज़न को साकार करने के लिए, भारत को भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक शून्य-सहिष्णुता वाला पारिस्थितिकी तंत्र निर्मित करना होगा। कुशल सेवा वितरण, समान विकास और व्यवस्था में जनता का विश्वास सुनिश्चित करने के लिए स्वच्छ शासन, त्वरित जवाबदेही और पारदर्शी संस्थान आवश्यक हैं।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: “विकसित भारत’ की आकांक्षा एक ‘स्वच्छ व्यवस्था’ पर निर्भर है, क्योंकि विकास मूलतः भ्रष्टाचार से लड़ने पर निर्भर करता है।” इस कथन के संदर्भ में, आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए कि नौकरशाही की ‘किराया-माँग’ और धीमी कानूनी प्रक्रियाएँ भारत के विकास लक्ष्यों में किस प्रकार बाधा डालती हैं। पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए व्यावहारिक प्रशासनिक और कानूनी सुधार संबंधी सुझाव दीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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