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भारत में दूरसंचार अवसंरचना का विकास और आपदा प्रबंधन

Lokesh Pal February 21, 2025 05:00 15 0

संदर्भ :

हाल ही में, आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट ने आपदाओं के लिए दूरसंचार नेटवर्क की सुभेद्यता का आकलन किया और अनुकूलन तथा प्रबंधन के लिए उपाय सुझाए।

आपदा प्रबंधन में दूरसंचार नेटवर्क का महत्त्व

  • आपदा प्रतिक्रिया : आपदा प्रतिक्रिया के लिए दूरसंचार नेटवर्क आवश्यक हैं, जो राज्य और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों, स्थानीय नगरपालिकाओं और संघ तथा राज्य सरकारों के बीच संचार को सुगम बनाता है। 
  • समन्वय: दूरसंचार के माध्यम से प्रभावी समन्वय समय पर बचाव और राहत कार्यों को सुनिश्चित करता है, जो जीवन और संपत्ति के जोखिम के समय महत्त्वपूर्ण है।

दूरसंचार अवसंरचना की सुभेद्यता

  • केबलिंग जोखिम : कई दूरसंचार केबल पूरी तरह से भूमिगत नहीं हैं, जिससे उनकी क्षति की संभावना रहती है।
  • टावर स्थिरता: दूरसंचार टावरों को तीव्र वायु की गति का सामना करने के लिए डिज़ाइन नहीं किया जा सकता है, जिससे चक्रवातों और तूफानों के दौरान विफलता का जोखिम बढ़ जाता है।
  • बिजली पर निर्भरता : नेटवर्क को एक स्थिर बिजली आपूर्ति की आवश्यकता होती है, जो अक्सर चक्रवात और भूकंप जैसी आपदाओं के दौरान बाधित होती है।

आपदा के दौरान दूरसंचार अवसंरचना में चुनौतियाँ

  • संरचनात्मक समस्याएँ : तेज़ हवाएँ दूरसंचार टावरों को नुकसान पहुँचा सकती हैं, जिससे नेटवर्क में खराबी आ सकती है। भूमिगत केबलों के विपरीत, आपदाओं के दौरान भूमि पर बिछाई गई केबलों के टूटने का खतरा रहता है।
  • तटीय जोखिम : तटीय क्षेत्रों में समुद्र के नीचे केबल लैंडिंग स्टेशनों के निर्माण में उनकी भूमिका के कारण उच्च जोखिम का सामना करना पड़ता है। लैंडिंग स्टेशनों की क्षति वैश्विक इंटरनेट कनेक्टिविटी को बाधित कर सकती है, जिससे दूरसंचार ऑपरेटरों को वैकल्पिक केबलों के माध्यम से ट्रैफ़िक को पुनः रूट करना पड़ता है।
  • विद्युत आपूर्ति संबंधी चुनौतियाँ : आपदाओं के दौरान बिजली की कटौती एक गंभीर समस्या बनी हुई है, जिससे नेटवर्क की कार्यक्षमता बुरी तरह प्रभावित होती है।
    • आपदा प्रबंधन महानिदेशक (दूरसंचार विभाग) संजय अग्रवाल के अनुसार, 2016 से दूरसंचार आउटेज के विश्लेषण में नेटवर्क व्यवधानों के प्राथमिक कारण के रूप में बिजली  कटौती की पहचान की गई है।
  • समुद्र के नीचे केबल मरम्मत में चुनौतियाँ : समुद्र के नीचे कटी हुई केबलों की मरम्मत के लिए एक विशेष मरम्मत पोत की आवश्यकता होती है, जो एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है। समुद्र के नीचे केबलों में व्यवधान इंटरनेट कनेक्टिविटी को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है, जिससे वैकल्पिक संचार चैनल आवश्यक हो जाते हैं।
  • विद्युत आपूर्ति की विफलता : ज़्यादातर दूरसंचार व्यवधान विद्युत आपूर्ति की विफलता के कारण होते हैं, न कि शारीरिक क्षति के कारण। टेलीकॉम टावरों को बैटरी और ईंधन बैकअप के साथ डिज़ाइन किया गया है, मुंबई जैसे शहरों को छोड़कर, जहाँ निर्बाध विद्युत आपूर्ति की जाती है। 
  • ईंधन आपूर्ति : ओडिशा के पूर्व मुख्य सचिव प्रदीप कुमार जेना ने आपात स्थिति में ईंधन आपूर्ति  की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। 
    • नेटवर्क संचालन को बनाए रखने के लिए अधिकारी कभी-कभी प्रति दूरसंचार ऑपरेटर 50 लीटर ईंधन आवंटित करते हैं।
    • भले ही कुछ ईंधन बर्बाद हो जाए, लेकिन आपातकालीन ईंधन पर खर्च किए गए ₹50 लाख नेटवर्क को चालू रखने में विशेष भूमिका निभाते हैं।

आगे की राह

  • वास्तविक समय निगरानी : दूरसंचार विभाग (DoT) आपदाओं के दौरान दूरसंचार परिसंपत्तियों की क्षति पर वास्तविक समय का डेटा प्राप्त करता है। विशेष सॉफ्टवेयर प्रभावित स्थलों की निगरानी करने में मदद करता है, जिससे कनेक्टिविटी बेहतर करने के लिए शीघ्र संसाधन प्रबंधन  सुनिश्चित होता है।
  • CDRI द्वारा सिफारिशें : आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) ने आपदा के समय दूरसंचार नेटवर्क को मजबूत करने के लिए कई उपाय प्रस्तावित किए हैं:
    • बेहतर डेटा संग्रह : जोखिमों को कुशलतापूर्वक कम करने के लिए अधिकारियों के बीच बेहतर ट्रैकिंग और समन्वय।
    • अवसंरचनात्मक विकास : आपदाओं के दौरान व्यवधानों को कम करने के लिए अनुकूल विद्युत अवसंरचना विकास पर ध्यान केंद्रित करें।
    • उच्च पवन-प्रतिरोधी टावर : तटीय राज्यों को उच्च पवन-प्रतिरोधी टावर बनाने चाहिए।
  • एक बार खोदो नीति : पानी, गैस, जल निकासी और फाइबर ऑप्टिकल नेटवर्क के एक साथ भूमिगत निर्माण को प्रोत्साहित करती है।
    • भविष्य की बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के दौरान भूमिगत दूरसंचार केबलों को नुकसान पहुँचाने के जोखिम को कम करता है। नेटवर्क के अन्य हिस्सों के विफल होने पर होने वाले व्यवधानों को रोकता है।
  • जोखिम मॉडलिंग को एकीकृत करना : CDRI रोडमैप में निम्नलिखित विषय शामिल हैं:
    • क्षति और हानि डेटा प्रारूपों को अपडेट करना।
    • दूरसंचार नियोजन में आपदा जोखिम मॉडलिंग को मुख्यधारा में लाना।
    • खतरे की सुभेद्यता के आधार पर अवसंरचनात्मक विकास को सुदृढ़ करना।
  • पैरामेट्रिक बीमा : इसका उद्देश्य आपदा के बाद दूरसंचार ऑपरेटरों पर पड़ने वाले वाणिज्यिक बोझ को कम करना है, साथ ही नेटवर्क को तेजी से बहाल करने और आपदा-रोधी बुनियादी ढाँचे  के लिए वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करना है ।

निष्कर्ष

सरल हस्तक्षेप नेटवर्क-अपटाइम को महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकते हैं, आपदा के दौरान बिजली शटडाउन को रोकने के लिए डीजल जनरेटर का विकास करना भी एक उपाय हो सकता है। यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है, कि चरम मौसमी घटनाओं, यथा- तीव्र वर्षा, बाढ़, सूखा आदि के दौरान भी अतिरिक्त बिजली की मात्रा हमेशा उपलब्ध रहे।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

दूरसंचार नेटवर्क आपदा प्रबंधन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, फिर भी वे प्राकृतिक आपदाओं के दौरान अत्यधिक असुरक्षित रहते हैं। आपदाओं के दौरान दूरसंचार अवसंरचना को प्रभावित करने वाली प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिए तथा इसका अनुकूलन बढ़ाने हेतु आवश्यक उपाय सुझाइए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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