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आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2024

Lokesh Pal August 09, 2024 05:00 78 0

संदर्भ: 

हाल ही में, गृह राज्य मंत्री द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में संशोधन करने के लिए आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2024 लोकसभा में पेश किया गया।

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति, प्रशासनिक सुधार आयोग, आदि।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: आपदा प्रबंधन ढांचा, आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2024 के प्रमुख प्रावधान, आदि।

आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2024:

  • विधेयक का उद्देश्य राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों (एसडीएमए) के कामकाज को मजबूत करना है।
  • कानूनी प्रावधान: यह विधेयक समवर्ती सूची (सामाजिक सुरक्षा और बीमा, रोजगार और बेरोजगारी) की प्रविष्टि 23 के अंतर्गत प्रस्तुत किया गया था तथा 2013 में एक टास्क फोर्स की रिपोर्ट के बाद इसे प्रस्तुत किया गया था।

विधेयक के मुख्य प्रावधान:

  • शहरी क्षेत्रों के लिए आपदा प्रबंधन प्राधिकरण: इस विधेयक का उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और चंडीगढ़ को छोड़कर राज्य की राजधानियों और नगर निगम वाले बड़े शहरों के लिए शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण बनाना है।
  • आपदा डेटाबेस: इस विधेयक के माध्यम से राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर आपदा डेटाबेस तैयार करने का भी प्रावधान है।
    • डेटाबेस में आपदा मूल्यांकन, निधि आवंटन विवरण, व्यय, तैयारी और शमन योजना, जोखिम के प्रकार और गंभीरता के आकलन के अनुसार जोखिम रजिस्टर आदि शामिल होंगे, जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया जा सकता है।
  • विकेंद्रीकृत आपदा योजनाएं: विधेयक राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) को क्रमशः राष्ट्रीय स्तर और राज्य स्तर पर आपदा योजना तैयार करने का अधिकार देता है।
    • इससे पहले योजनाएँ राष्ट्रीय कार्यकारी समिति और राज्य कार्यकारी समितियों द्वारा बनाई जाती थीं।
  • आपदा जोखिम की जांच-पड़ताल :  राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) को देश की आपदा जोखिमों की पूरी श्रृंखला का समय-समय जांच-पड़ताल करने का अधिकार दिया जाएगा, जिसमें उभरते आपदा जोखिम भी शामिल होंगे, जिनमें उन आपदाओं का जोखिम भी शामिल होगा जो भविष्य में चरम जलवायु घटनाओं और अन्य कारकों के कारण हो सकती हैं।
  • वैधानिक स्थिति: विधेयक राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति और उच्च स्तरीय समिति जैसे कुछ पूर्व-अधिनियम संगठनों को वैधानिक स्थिति भी प्रदान करता है।
  • राज्य प्रतिक्रिया बल का गठन : इस विधेयक में राज्य सरकार द्वारा राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल के गठन का भी प्रावधान है।
  • धारा 60ए: यह धारा केंद्र और राज्य सरकारों को किसी भी व्यक्ति को आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए कोई कार्रवाई करने या कोई कार्रवाई करने से परहेज करने का निर्देश देने और ₹10,000 से अधिक का जुर्माना लगाने का अधिकार देती है।
  • विशेषज्ञों की नियुक्ति, भूमिका की  स्पष्टता और अभिसरण: एनडीएमए अपने कार्यों के निष्पादन के लिए आवश्यकतानुसार विशेषज्ञों और परामर्शदाताओं की नियुक्ति भी कर सकता है, साथ ही राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों के कुशल कामकाज को मजबूत करने के लिए प्राधिकरणों और समितियों की भूमिकाओं को भी परिभाषित करने का प्रयास किया जा रहा है।
  • कानूनी कार्यवाही से प्रतिरक्षा: यह विधेयक आपदा प्रबंधन में शामिल अधिकारियों को उनके कार्य निर्वहन के दौरान किसी भी कानूनी कार्यवाही से प्रतिरक्षा प्रदान करने का प्रयास करता है।
  • न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र को सीमित करना : विधेयक ने इस अधिनियम द्वारा अपने कार्यों के संबंध में की गई किसी भी कार्रवाई के संबंध में किसी भी मुकदमे पर विचार करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र को सीमित कर दिया है।

चिंताएँ और चुनौतियाँ:

  • संवैधानिकता का परीक्षण: विधेयक को सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची की प्रविष्टि 23 के अंतर्गत लाया गया है, जो “सामाजिक सुरक्षा और सामाजिक बीमा, रोजगार और बेरोजगारी” से संबंधित है, न कि आपदा प्रबंधन से, जिसका सातवीं अनुसूची में उल्लेख नहीं है, इसलिए यह चुनौती बनी हुई है।
    • प्रशासनिक सुधार आयोग की तीसरी रिपोर्ट ‘संकट प्रबंधन: निराशा से आशा तक’ में एक नई प्रविष्टि, “प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं और आपात स्थितियों का प्रबंधन” को संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची III (समवर्ती सूची) में शामिल करने की सिफारिश की गई है।
  • प्राधिकारियों की बहुलता: विधेयक में अत्यधिक प्राधिकारियों की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है अतः प्राधिकारियों की बहुलता से भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है जिससे  नौकरशाही को अव्यवस्था से बचाव एवं राहत कार्य में बाधा आ सकती है।
    • उदाहरण: अधिकारों की बहुलता के कारण वायनाड त्रासदी के संदर्भ में पूर्व चेतावनी के संबंध में केरल के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री के बीच टकराव उत्पन्न हो गया है।
  • राज्य के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण: इस विधेयक ने राज्यों के लिए आरक्षित विधायी शक्तियों को अतिच्छादित कर दिया है। परिणामस्वरूप विशिष्ट मामलों पर नियम बनाने के लिए केंद्र सरकार को अत्यधिक नियम निर्माण शक्तियां प्रदान की हैं, जो राज्य विधानसभाओं के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण है।

निष्कर्ष: 

आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2024 आपदा प्रबंधन संरचनाओं को मजबूत करता है, लेकिन संवैधानिक वैधता, प्राधिकरण ओवरलैप और राज्य अधिकार क्षेत्र के अतिक्रमण पर चिंताएं उत्पन्न करता है अतः स्पष्ट प्रावधानों, पारदर्शी दृष्टिकोण के माध्यम से उचित निर्णय लिए जाने की आवश्यकता है। 

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न:

प्रश्न: आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक, 2024, आपदा प्रबंधन के लिए अधिक मजबूत ढांचा तैयार करने का प्रयास करता है। विधेयक के प्रमुख प्रावधानों का विश्लेषण करें और चर्चा करें कि ये प्रावधान आपदाओं के लिए भारत की तैयारी और प्रतिक्रिया को कैसे बढ़ा सकते हैं।

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