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तंबाकू की आसान उपलब्धता से भारत में कैंसर की बीमारी में वृद्धि

Lokesh Pal June 02, 2025 05:15 29 0

संदर्भ:

हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत पुरुषों में कैंसर और मृत्यु दर के मामले में वैश्विक स्तर पर शीर्ष राष्ट्रों में शामिल है, जिसमें तंबाकू से संबंधित कैंसर एक महत्त्वपूर्ण कारण हैं।

भारत में तम्बाकू का सेवन

  • तम्बाकू का सेवन: GATS2 के आँकड़ों के अनुसार, भारत में लगभग 42% पुरुष और 14% महिलाएँ तम्बाकू का सेवन करती हैं। भारत में विश्व के 70% धूम्रपान रहित तम्बाकू (SLT) उपयोगकर्ता निवास करते हैं।
    • ग्रामीण और निम्न-आय वर्ग के समुदायों में धूम्रपान रहित तम्बाकू (SLT) धूम्रपान किए गए तम्बाकू की तुलना में अधिक लोकप्रिय है।
  • प्राथमिकताएँ: धूम्रपान किए गए तम्बाकू के भीतर, विशेष रूप से गाँवों में किफायती होने के कारण बीड़ी सिगरेट की तुलना में अधिक प्रयोग की जाती है। हालाँकि, भारत ने सिगरेट बाजार हिस्सेदारी में विश्व में सर्वाधिक वृद्धि की है।
  • स्वास्थ्य प्रभाव: धूम्रपान रहित तम्बाकू (SLT) और धूम्रपान किए गए तम्बाकू दोनों ही कई प्रकार के कैंसर के जोखिम बढ़ाते हैं, जिनमें फेफड़े, सिर, गर्दन, पेट और अग्न्याशय के कैंसर शामिल हैं।
  • भारत की वैश्विक रूप से कैंसर में स्थित: पुरुषों में कैंसर और मृत्यु दर के मामले में भारत वैश्विक स्तर पर प्रथम स्थान पर है। भारत के पुरुषों में तंबाकू से संबंधित कैंसर में होंठ और मुँह के कैंसर सर्वाधिक प्रचलित हैं, उसके बाद फेफड़े का कैंसर है।
  • अप्रभावी प्रवर्तन: गुटखा पर आधिकारिक प्रतिबंध होने के बावजूद यह व्यापक रूप से उपलब्ध और प्रयोग किया जाता है। गुटखा की निरंतर दृश्यता और सेवन मौजूदा कानूनों के कमजोर प्रवर्तन को दर्शाता है।

तम्बाकू की आर्थिक लागत

  • आर्थिक भार: वर्ष 2017–2018 में तंबाकू सेवन से भारत को ₹1.77 लाख करोड़ की आर्थिक हानि हुई, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 1.04% है।
    • इस लागत में से 74% धूम्रपान से संबंधित था, जबकि शेष 26% धूम्रपान रहित तम्बाकू (SLT) से जुड़ा हुआ था। तंबाकू के सेवन में वृद्धि के साथ-साथ स्वास्थ्य और आर्थिक दोनों प्रकार की लागत में और वृद्धि की संभावना है।
  • रोकथाम की दुविधा: भारत एक दुहरी चुनौती का सामना कर रहा है। तम्बाकू से संबंधित कैंसर, विशेष रूप से फेफड़े और मुख के कैंसर की संख्या अधिक है।
    • भारत जैसे टीबी-प्रभावित देश में फेफड़े के कैंसर की जाँच की जटिलता इस चुनौती को और बढ़ावा दे सकती है।इस स्थिति में प्राथमिक रोकथाम पर केंद्रित, साक्ष्य-आधारित तंबाकू विरोधी नीतियों की अत्यंत आवश्यकता है।
  • नीतिगत प्रतिरोध: तम्बाकू नियंत्रण में नीतिगत प्रतिरोध तम्बाकू उद्योग के प्रभाव के कारण उत्पन्न होता है, जो नीतिगत हस्तक्षेप,किफायती मूल्य बनाए रखने की मूल्य निर्धारण रणनीतियों, लक्षित विपणन, दुकानों के सघन नेटवर्क और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के माध्यम से सुधारों में बाधा डालता है।
  • कर नीति की असंगति: हालाँकि तंबाकू पर GST को 35% तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया है, यह अब भी WHO की सुझाई गई MRP के 75% कर दर की सिफारिश से काफी कम है।
    •  भारत के 45 करोड़ की मध्यवर्गीय आबादी में बढ़ती प्रयोज्य आय कर वृद्धि को पीछे छोड़ दिया है।
    •  2024 के केंद्रीय बजट में तम्बाकू की कीमतों को अपरिवर्तित रखा गया, जिससे अंडरशिफ्टिंग को बढ़ावा मिला (जहाँ उत्पादक कर वृद्धि का भार स्वयं वहन कर बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि करता हैं)।
  • मूल्य के निर्धारण में असमानताएँ: भारत में तंबाकू उत्पादों की कीमतों में व्यापक अंतराल देखने को मिलता है — बीड़ी की औसत कीमत ₹12 है, जबकि कुछ बीड़ियाँ ₹5 में भी मिल जाती हैं। धूम्ररहित तम्बाकू उत्पाद तो और भी सुलभ हैं, जिनकी औसत कीमत ₹5 है और न्यूनतम कीमत केवल ₹1 है।
    • इसके विपरीत, सिगरेट की औसत कीमत ₹95 है, फिर भी ₹5 में सबसे सस्ती सिगरेट मिल जाती है, जिससे मूल्य आधारित हतोत्साहन रणनीतियाँ अप्रभावी हो जाती हैं।
  • सुलभता: सिगरेट की एकल स्टिक बिक्री इसे सुलभ बनाए रखती है और ग्राफिक चेतावनियों से बचने का माध्यम बनती है।
    •  यह प्रथा 88 देशों में प्रतिबंधित है, फिर भी भारत में यह कानूनी रूप से मान्य है।
    •  भारत में 87% सिगरेट विक्रेता एकल स्टिक बेचते हैं।
    •  इन्हें प्रायः चाय की दुकानों के पास बेचा जाता है, जिससे चाय-सुट्टासंस्कृति को बढ़ावा मिलता है।
  • निम्न आय वर्ग पर प्रभाव: भारत में जहाँ कई लोग प्रतिदिन केवल ₹170–180 (लगभग $2) की आए अर्जित करते हैं, वहाँ तंबाकू की कम इकाई लागत, इसकी अत्यधिक लत वाली प्रकृति, और छोटे पैक या सिंगल स्टिक के रूप में आसान उपलब्धता — इसे सबसे गरीब तबके के लिए भी सुलभ बना देती है।

आगामी कार्य योजना

  • प्रारंभिक पहचान: तम्बाकू की सुलभता WHO के MPOWER संरचना को कमजोर करती है, जिसका उद्देश्य व्यापक नियंत्रण उपायों के माध्यम से तम्बाकू के सेवन को कम करना है।
    •  कमज़ोर प्रवर्तन और कम कीमतें तम्बाकू से संबंधित कैंसर को रोकने की प्रगति में बाधा बनती हैं।
    •  तंबाकू सेवन में कमी लाना, कैंसर की घटनाओं को घटाने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
    •  इस लक्ष्य को पाने के लिए स्वास्थ्य प्रणाली को भी मज़बूत करना होगा, ताकि कैंसर की समय पर पहचान और उपचार संभव हो सके।
  • कर-निर्धारण: ऐसे नियमित कर-वृद्धि की आवश्यकता है, जो आय में वृद्धि से तीव्र हो। इससे तंबाकू धीरे-धीरे आम लोगों की पहुँच से बाहर होगा और नए व लगातार उपयोगकर्ताओं को हतोत्साहित किया जा सकेगा।
  • सिंगल-स्टिक बिक्री पर प्रतिबंध: एकल सिगरेट की बिक्री को समाप्त करना पैक पर दिए गए स्वास्थ्य चेतावनियों को प्रभावी बना सकता है और खासकर युवाओं में आकस्मिक खरीदारी की प्रवृत्ति को कम कर सकता है।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य में निवेश: तंबाकू कर से होने वाले राजस्व का उपयोग कम सेवायुक्त क्षेत्रों में कैंसर की जाँच, जन-जागरूकता कार्यक्रमों और उपचार हेतु सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों में किया जाए।
  • खुदरा विनियमन: तंबाकू उत्पादों के दृश्य आकर्षण को कम करने के लिए सामान्य पैकिंग लागू की जाए, जिसमें प्रमुख स्वास्थ्य चेतावनियाँ हों, और चाय की दुकानों के पास बिक्री पर प्रतिबंध लगाकर चाय-सुट्टासंस्कृति को कम किया जाए।
  • प्रवर्तन और निगरानी: नियमित निरीक्षण और उल्लंघन पर सख्त दंड के माध्यम से मजबूत प्रवर्तन सुनिश्चित किया जाए।

निष्कर्ष

तंबाकू से होने वाली हानि का प्रभावी रूप से नियंत्रण करने के लिए यह आवश्यक है, कि मजबूत कैंसर जाँच संरचना में निवेश किया जाए, तंबाकू छोड़ने से जुड़े कार्यक्रमों का विस्तार किया जाए, तथा साक्ष्य-आधारित नीतियों को सुदृढ़ एवं परिष्कृत करने हेतु निरंतर अनुसंधान को प्रोत्साहन दिया जाए।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

 भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियाँ धूम्ररहित तम्बाकू (SLT) के उपयोग को पर्याप्त रूप से संबोधित करने में विफल रही हैं, जबकि इसका व्यापक प्रसार और कैंसर का उच्च जोखिम स्पष्ट है। इस संदर्भ में प्रमुख चुनौतियों की विवेचना कीजिए और स्मोकलेस तंबाकू सेवन से निपटने के लिए व्यावहारिक समाधान प्रस्तावित कीजिए।

(10 अंक, 150 शब्द)

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