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Lokesh Pal November 12, 2024 05:45 30 0
सुकन्या शांता बनाम भारत संघ (2024) मामले में, हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने भारतीय जेलों में जाति-आधारित भेदभाव को रेखांकित करते हुए इसके अनेक पहलुओं पर प्रकाश डाला।
जाति-आधारित भेदभाव के खिलाफ हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने भारतीय जेलों के भीतर मानवीय और गैर-भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव पर जोर दिया है। जेल नीतियों और मानकों में संशोधन करके, भारत कैदियों की गरिमा को बनाए रख सकता है । साथ ही जेल परिसर एक ऐसा माहौल सुनिश्चित कर सकता है जो सुधार, पुनः एकीकरण और संविधान में निहित मौलिक अधिकारों का समर्थन करता हो।
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