100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

अस्थिर वैश्विक व्यवस्था में ‘ऊर्जा संप्रभुता’ ही एकमात्र विकल्प

Lokesh Pal August 30, 2025 05:15 36 0

संदर्भ:

भारत अपने कच्चे तेल का 85% से अधिक तथा प्राकृतिक गैस का 50% से अधिक आयात करता है, जिससे ऊर्जा पर निर्भरता न केवल आर्थिक चिंता का विषय है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा बन गई है।

मुख्य बिंदु

  • वैश्विक संघर्षों के कारण आपूर्ति श्रृंखलाएँ बाधित होने से, आयातित प्रत्येक बैरल एक दायित्व बन जाता है। हालाँकि रियायती रूसी तेल ने अल्पकालिक राहत प्रदान की है, लेकिन एक आपूर्तिकर्ता पर अत्यधिक निर्भरता नई कमज़ोरियाँ उत्पन्न करती है।
  • इसलिए भारत को विविधीकरण, लचीलेपन और घरेलू क्षमता पर आधारित ऊर्जा संप्रभुता सिद्धांत की आवश्यकता है।

भारत की ऊर्जा निर्भरता चुनौती

  • वित्त वर्ष 2023-24 में, भारत का व्यापारिक आयात $677 बिलियन था, जिसमें अकेले कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस का हिस्सा $170 बिलियन (कुल का 25%) था।
  • यह भारी ऊर्जा आयात बिल रुपये पर दबाव डालता है, व्यापार घाटा में वृद्धि तथा व्यापक आर्थिक स्थिरता को कमजोर करता है।
  • रूसी तेल अब कच्चे तेल के आयात का 35-40% हिस्सा है, जबकि 2022 से पूर्व यह केवल 2% था। इस परिवर्तन से लागत कम हो जाती है, लेकिन एक नया संकेन्द्रण जोखिम भी उत्पन्न होता है।
  • भू-राजनीतिक तनाव, जैसे- इज़राइल-ईरान गतिरोध, वैश्विक तेल आपूर्ति मार्गों की संवेदनशीलता को उजागर करता है।

वैश्विक प्रमुख ऊर्जा क्षेत्र

  • तेल प्रतिबंध, 1973: संयुक्त राज्य अमेरिका और सहयोगी राष्ट्रों के खिलाफ अरब तेल प्रतिबंध के कारण कच्चे तेल की कीमतें चार गुनी हो गईं, जिससे पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) पर पश्चिम की अत्यधिक निर्भरता उजागर हुई
    • लेकिन इसने रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार, दक्षता अधिदेशों और विविध सोर्सिंग रणनीतियों के निर्माण को उत्प्रेरित किया।
  • फुकुशिमा आपदा, 2011: जापान में सुनामी से उत्पन्न न्यूक्लियर मेल्टडाउन ने परमाणु ऊर्जा में विश्वास का वैश्विक संकट उत्पन्न कर दिया।
    • हालाँकि, कोयला और गैस के बढ़ते उपयोग के मद्देनजर उत्सर्जन में वृद्धि के कारण, परमाणु ऊर्जा पुनः लोकप्रिय हो रही है।
  • टेक्सास फ्रीज, 2021: अत्यधिक निम्न तापमान ने ऊर्जा-समृद्ध टेक्सास में गैस पाइपलाइनों को जमा दिया तथा पवन टर्बाइनों को निष्क्रिय कर दिया
    • इस कार्यक्रम में लचीलेपन की बजाय लागत दक्षता के लिए निर्मित प्रणालियों की सीमाओं और विविधतापूर्ण एवं मौसम-रोधी अवसंरचना के महत्त्व को रेखांकित किया गया।
  • रूस-यूक्रेन युद्ध, 2022: यूरोप की 40% से अधिक गैस के लिए रूस पर निर्भरता अचानक समाप्त हो गई, जब रूस ने ऊर्जा को हथियार बना लिया।
    • महाद्वीप को तरलीकृत प्राकृतिक गैस की रिकॉर्ड कीमतों और कोयले के पुनरुत्थान का सामना करना पड़ा। यह एक कठोर सबक था: कोई भी ऊर्जा रणनीति संप्रभु नहीं होती अगर उसका स्रोत एक ही हो।
  • इबेरियन प्रायद्वीप ब्लैकआउट, 2025: स्पेन और पुर्तगाल में ग्रिड ध्वस्त बैकअप के बिना नवीकरणीय ऊर्जा पर अत्यधिक निर्भरता के जोखिम का पता चला।

ऊर्जा यथार्थवाद और संक्रमण

  • वैश्विक जलवायु प्रतिबद्धताओं के बावजूद, जीवाश्म ईंधन अभी भी वैश्विक प्राथमिक ऊर्जा माँग का 80% से अधिक पूरा करते हैं, जबकि सौर और पवन ऊर्जा मिलकर 10% से भी कम योगदान देते हैं।
  • 90% से अधिक परिवहन अभी भी हाइड्रोकार्बन पर चलता है।
  • उच्च माँग के बावजूद तेल और गैस अन्वेषण में कम निवेश के कारण संरचनात्मक रूप से आपूर्ति सीमित हो गई है, जिससे खतरा बढ़ गया है। इसलिए, ऊर्जा परिवर्तन को एक अचानक बदलाव की बजाय एक मार्ग के रूप में देखा जाना चाहिए, जिसमें सुरक्षा और संप्रभुता के मार्गदर्शक सिद्धांत हों।

भारत की ऊर्जा संप्रभुता के पाँच स्तंभ

  • कोयला गैसीकरण और स्वदेशी संसाधन: भारत में 150 अरब टन से ज़्यादा कोयला भंडार है। गैसीकरण और कार्बन कैप्चर तकनीकों में निवेश करके, इस संसाधन का उपयोग सिंथेटिक गैस, मेथनॉल, हाइड्रोजन और उर्वरकों के उत्पादन में किया जा सकता है।
    • नवाचार के माध्यम से राख में नियंत्रण से आयात पर निर्भरता कम हो जाएगी।
  • ग्रामीण सशक्तीकरण और सुरक्षा के लिए जैव ईंधन: इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम ने पूर्व ही कच्चे तेल के आयात को कम कर दिया है तथा किसानों को ₹92,000 करोड़ से अधिक हस्तांतरित किए हैं
    • किफायती परिवहन के लिए सतत विकल्प (SATAT) योजना के माध्यम से सैकड़ों संपीडित बायोगैस (CBG) संयंत्र स्वच्छ ईंधन उत्पन्न कर रहे हैं तथा 20%-25% कार्बनिक कार्बन से समृद्ध जैव-खाद का उत्पादन कर रहे हैं।
      • इससे उत्तर भारत की क्षरित मृदा को पुनर्जीवित किया जा सकता है, जहाँ कार्बनिक कार्बन का स्तर 2.5% के स्वस्थ स्तर की तुलना में घटकर 0.5% रह गया है। मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार से जल और उर्वरक प्रतिधारण क्षमता भी बढ़ती है, जिससे अपवाह और प्रदूषण कम होता है।
  • शून्य-कार्बन आधार-भार के रूप में परमाणु ऊर्जा: भारत की परमाणु क्षमता8 गीगावाट पर स्थिर हो गई है।
    • थोरियम आधारित अनुसंधान, यूरेनियम साझेदारी और लघु मॉड्यूलर रिएक्टरों के माध्यम से इसका विस्तार करने से नवीकरणीय-भारी ग्रिड के लिए एक स्थिर, प्रेषण योग्य आधार उपलब्ध होगा।
  • तकनीकी संप्रभुता के लिए हरित हाइड्रोजन: भारत का 2030 तक प्रतिवर्ष 5 मिलियन मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य
    • इसके लिए इलेक्ट्रोलाइजर, उत्प्रेरक और भंडारण प्रणालियों के घरेलू विनिर्माण की आवश्यकता है।
    • इसका उद्देश्य केवल हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना नहीं है, बल्कि संपूर्ण मूल्य शृंखला को सुरक्षित करना है।
  • ग्रिड अनुकूलन के लिए पंप हाइड्रो स्टोरेज: पंप हाइड्रो ऊर्जा भंडारण की एक विधि है, जो नवीकरणीय-प्रधान प्रणालियों में अनुपस्थित ग्रिड जड़ता प्रदान करती है
    • भारत की विविध स्थलाकृति ऐसी परियोजनाओं के लिए महत्त्वपूर्ण संभावनाएँ प्रदान करती है, जो आपूर्ति में उतार-चढ़ाव के दौरान विश्वसनीयता सुनिश्चित करती है।

आगे की राह:

  • विविधीकरण का विस्तार: भारत ने आपूर्तिकर्ताओं में विविधता लाकर पश्चिम एशिया पर अपनी कच्चे तेल की निर्भरता 60% से घटाकर 45% से भी कम कर दी है। यह एक व्यापक रणनीतिक परिवर्तन का प्रतीक है। आगे बढ़ते हुए, भारत को इस विविधीकरण का विस्तार, घरेलू क्षमता का निर्माण तथा सभी ऊर्जा स्रोतों में निहित प्रणाली मज़बूत करना होगा।

निष्कर्ष:

ऊर्जा सुरक्षा अब केवल जलवायु संबंधी मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि यह एक अस्तित्व की रणनीति है। भारत को ऊर्जा यथार्थवाद के साथ नेतृत्व करते हुए, महत्त्वाकांक्षा और व्यावहारिकता का मिश्रण करना होगा

  • भविष्य उन देशों के हाथ में नहीं होगा, जो नए तेल क्षेत्रों की खोज करेंगे बल्कि उन देशों के हाथ में होगा, जो स्वतंत्र रूप से ऊर्जा को सुरक्षित, संगृहीत और बनाए रख सकेंगे।
  • भारत के लिए निर्बाध, सुलभ और स्वदेशी ऊर्जा ही संप्रभुता की वास्तविक मुद्रा है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: ऊर्जा आयात पर भारत की व्यापक निर्भरता उसे भू-राजनीतिक जोखिमों के प्रति संवेदनशील बनाती है। भारत की ऊर्जा संप्रभुता के समक्ष विद्यमान प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिए तथा दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु विभिन्न उपाय सुझाइए।

(10 अंक, 150 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.