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राजनीति में युवाओं का प्रवेश

Lokesh Pal August 23, 2024 05:30 52 0

संदर्भ :

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस 2024 के अवसर पर एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में शामिल करने का आह्वान किया, जो किसी भी राजनीतिक पृष्ठभूमि से नहीं आते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस पहल का उद्देश्य भारत में जातिवाद और वंशवाद की राजनीति का मुकाबला करते हुए नए विचार और क्षमताओं को राजनीति में प्रवेश कराना है।

महत्त्वपूर्ण तथ्य 

  • वैश्विक राजनीति में युवा :
    • गैब्रियल अटाल, उम्र 34, फ्रांस के सबसे युवा प्रधानमंत्री हैं। 
    • गैब्रियल बोरिक, उम्र 37, चिली के सबसे युवा राष्ट्रपति हैं। 
    • सना मारिन 38 वर्ष की आयु में फिनलैंड की सबसे युवा महिला प्रधानमंत्री बनीं।

युवा नेतृत्व की वैश्विक प्रवृत्ति के बावजूद, भारत युवा व्यक्तियों को प्रमुख राजनीतिक भूमिकाओं में शामिल करने में पीछे है।

  • भारतीय राजनीति में युवा :
    • वर्तमान लोकसभा में सांसदों की औसत आयु 56 वर्ष है। 
    • लोकसभा में 25 वर्ष या उससे कम आयु के केवल 3 सांसद हैं। 
    • भारत को अक्सर “बूढ़े राजनेताओं वाला एक युवा देश” कहा जाता है। 
    • वर्तमान लोकसभा में केवल 11% सांसद 40 वर्ष या उससे कम आयु के हैं।

    उपर्युक्त तथ्य राजनीति में युवाओं की अधिक भागीदारी की आवश्यकता को उजागर करते हैं तथा प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण से समामेलन रखते हैं।

राजनीति में युवाओं हेतु प्रधानमंत्री का विज़न

  • इसका उद्देश्य भारतीय राजनीति को भाई-भतीजावाद और जातिवाद से मुक्त करना है।
  • राजनीतिक पृष्ठभूमि से इतर 1,00,000 युवाओं को राजनीतिक व्यवस्था में शामिल करने की योजना है।
  • वर्तमान में, भारतीय राजनीति में युवाओं को उम्मीदवार के बजाय मतदाता के रूप में देखा जाता है।
  • राजनीतिक मुद्दों पर युवा दृष्टिकोण की कमी है।

राजनीति में युवाओं का महत्त्व

  • नए दृष्टिकोण और मुद्दे : युवाओं के पास नए दृष्टिकोण/विचार होते हैं, जिससे ये शिक्षा, बेरोज़गारी और आय असमानता जैसे मुद्दों को बेहतर ढंग से उजागर कर सकते हैं। भारत में युवाओं से संबंधित मुद्दे सामान्यतः दरकिनार कर दिए जाते हैं क्योंकि युवाओं का राजनीति में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं होता है।
  • ऐतिहासिक महत्त्व : ऐतिहासिक रूप से युवाओं ने भारत में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सुभाषचंद्र बोस और जवाहरलाल नेहरू जैसे व्यक्ति महत्त्वपूर्ण थे। बी. आर. अंबेडकर ने संविधान निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

युवाओं की कम भागीदारी के कारण

  • वंशवादी राजनीति : सत्ता अक्सर परिवारों के भीतर ही रहती है तथा राजनीतिक पद पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होते रहते हैं। उदाहरण के लिए नेहरू-गांधी परिवार, हुड्डा परिवार, चौटाला परिवार, यादव परिवार, पासवान परिवार, अब्दुल्ला परिवार और ठाकरे परिवार शामिल हैं। यह प्रवृत्ति विभिन्न दलों में भी बनी हुई है।
  • वित्तीय बाधाएँ : जैसा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था, भारतीय राजनीति ‘जनतंत्र’ (लोगों का शासन) से ‘धनतंत्र’ (धन शासन) में बदल गई है। चुनाव प्रचार और पार्टी टिकट प्राप्त करने का वित्तीय बोझ अक्सर उन लोगों को बाहर कर देता है, जिनके पास मजबूत वित्तीय समर्थन नहीं होता।
  • सामाजिक दबाव और सांस्कृतिक मानदंड : राजनीति में जोखिम उठाने को अक्सर नकारात्मक रूप से देखा जाता है। सुरक्षित करियर विकल्पों को प्राथमिकता दी जाती है और राजनीति को युवाओं के बजाय अनुभवी बुजुर्गों का क्षेत्र माना जाता है।
  • राजनीतिक शिक्षा का अभाव और भ्रष्टाचार : भारतीय प्रणाली में व्यावहारिक राजनीतिक शिक्षा का अभाव, भ्रष्टाचार के कारण राजनीति की नकारात्मक छवि के साथ मिलकर युवाओं की भागीदारी को हतोत्साहित करता है।
  • प्रतिक्रिया का भय : कई युवा स्थापित अधिकारियों की आलोचना और उनके करियर की संभावनाओं पर संभावित प्रभावों के बारे में चिंताओं के कारण अपने राजनीतिक विचारों को व्यक्त करने से डरते हैं।
  • सांस्कृतिक मानदंड : कई संस्कृतियाँ राजनीति को अनुभवी व्यक्तियों के लिए सबसे उपयुक्त क्षेत्र मानती हैं तथा अक्सर युवा उम्मीदवारों को दरकिनार कर देती हैं।

संभावित उपाय

  • आंदोलन और विरोध : ऐतिहासिक रूप से कई राजनेता आंदोलन और विरोध प्रदर्शन के माध्यम से राजनीति में शामिल हुए हैं। उदाहरण के लिए वर्ष 2011 के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन को ले सकते हैं, जिसके कारण ‘आम आदमी पार्टी’ और ‘असम गण परिषद’ का गठन हुआ।
  • छात्र राजनीति : अटल बिहारी वाजपेयी और कन्हैया कुमार सहित कई नेता छात्र राजनीति से उभरे हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री की पृष्ठभूमि भी छात्र सक्रियता में है।
  • सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म : सोशल मीडिया युवाओं को खुद को अभिव्यक्त करने और समान विचारधारा वाले समूहों से जुड़ने में सक्षम बनाता है, जो संभावित रूप से उनके राजनीति में प्रवेश को सुविधाजनक बना सकता है।

निष्कर्ष 

जैसा कि प्लेटो ने कहा था, “अधिकांश सामाजिक और राजनीतिक बुराइयाँ जिनसे आप पीड़ित हैं, वे आपके नियंत्रण में हैं, बस उन्हें बदलने की इच्छा और साहस होना चाहिए।” समकालीन मुद्दों को संदर्भित करने और राजनीतिक परिदृश्य को पुनर्जीवित करने के लिए युवाओं को राजनीति में शामिल करना आवश्यक है। युवाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने से नए दृष्टिकोण सामने आ सकते हैं, युवाओं से जुड़ी समस्याओं का समाधान हो सकता है एवं एक अधिक गतिशील और प्रतिनिधि राजनीतिक प्रणाली का निर्माण हो सकता है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न 

“भारत जनसांख्यिकी दृष्टि से एक युवा देश है, फिर भी मुख्यधारा की राजनीति में युवाओं की भागीदारी कम है।” इस कथन का आलोचनात्मक परीक्षण करते हुए, राजनीतिक प्रक्रिया में युवाओं की भागीदारी बढ़ाने के उपयुक्त उपाय बताइए ।

(15 अंक, 250 शब्द)

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