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इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम

Lokesh Pal August 21, 2024 05:00 39 0

संदर्भ :

भारत का लक्ष्य 2025-26 तक पेट्रोल के साथ 20% की मात्र से इथेनॉल का मिश्रण करना है, जिसमें मिश्रण और उत्पादन क्षमता में प्रगति हो रही है। हालाँकि, चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं, मुख्यतः खाद्य और ईंधन के क्षेत्र में, उदाहरणस्वरूप मक्के के आयात में वृद्धि और गन्ना आधारित इथेनॉल पर प्रतिबंध। खाद्य सुरक्षा के साथ ऊर्जा आवश्यकता को संतुलित करना अभी भी एक जटिल समस्या है।

इथेनॉल मिश्रण एक रणनीतिक कदम क्यों है? 

इथेनॉल के कम उत्सर्जन और उच्च दक्षता के कारण यह अधिक टिकाऊ ईंधन विकल्प बन गया है, जिससे पश्चिमी एशियाई देशों से पेट्रोलियम आयात की आवश्यकता कम हो गई है। यह परिवर्तन न केवल स्वच्छ पर्यावरण में योगदान देता है, बल्कि विदेशी मुद्रा भंडार पर सकारात्मक प्रभाव डालकर भारत की आर्थिक स्थिति को भी सुदृढ़ करता है।

सम्मिश्रण लक्ष्य : वर्तमान स्थिति और अनुमान

  • उद्देश्य : 2025-26 तक पेट्रोल के साथ 20% इथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को प्राप्त करना, जिसके लिए लगभग 1,000 करोड़ लीटर इथेनॉल की आवश्यकता होगी।
  • वर्तमान प्रगति : मिश्रण स्तर 2021 में 8% से बढ़कर 2023 में 13-15% हो गया।
  • महत्त्व : यह इथेनॉल उत्पादन को बढ़ाने और इसे ईंधन आपूर्ति शृंखला में एकीकृत करने में पर्याप्त प्रगति को दर्शाता है।

 

खाद्य तथा ऊर्जा सुरक्षा संबंधी समस्या

इथेनॉल मिश्रण में ‘खाद्य तथा ईंधन’ संबंधित मुद्दे इथेनॉल उत्पादन के लिए मक्का और गन्ना जैसी खाद्य फसलों के उपयोग के प्रभाव पर केंद्रित है, जिससे संभावित रूप से खाद्य आपूर्ति पर दबाव पड़ सकता है। जैसे-जैसे भारत इथेनॉल मिश्रण की मात्रा में वृद्धि कर रहा है, खाद्य सुरक्षा बनाए रखने और कृषि संसाधनों के प्रबंधन के साथ ईंधन की मांग को संतुलित करना अधिक जटिल होता जा रहा है। इस प्रकार यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि इथेनॉल का उत्पादन खाद्य सुरक्षा की कीमत पर न हो।

 

जैव ईंधन के प्रकार

1. प्रथम पीढ़ी का जैव ईंधन 

  • कार्बन मात्रा : उच्च
  • स्रोत : खाद्य पदार्थ (जैसे- चीनी, मक्का, स्टार्च)

2. दूसरी पीढ़ी का जैव ईंधन 

  • ग्रीनहाउस गैस की मात्रा : प्रथम पीढ़ी की तुलना में कम
  • स्रोत : खाद्य फसलों के बचे हुए अवशेष (जैसे- चावल की भूसी, लकड़ी के चिप्स)

3. तीसरी पीढ़ी का जैव ईंधन 

  • कार्बन प्रभाव : लगभग शून्य (उत्सर्जित CO₂ = पृथक CO₂)
  • स्रोत : सूक्ष्मजीव (जैसे- शैवाल)

4. चौथी पीढ़ी का जैव ईंधन

  • कार्बन मात्रा : शून्य
  • स्रोत : आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें

नोट : वर्तमान में खाद्यान्न और गन्ने से बने प्रथम पीढ़ी (1G) के इथेनॉल पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। द्वितीय पीढ़ी (2G) और तृतीय पीढ़ी (3G) इथेनॉल की ओर बढ़ने से खाद्य सुरक्षा संबंधी चिंताओं का बेहतर समाधान हो सकता है।

सरकारी नीतियाँ और उद्योग गतिशीलता

  • नीति आयोग का रोडमैप
    • गन्ना आधारित भट्टियाँ : 2021 में 426 करोड़ लीटर से बढ़कर 2026 तक 760 करोड़ लीटर तक पहुँचना।
    • अनाज आधारित भट्टियाँ : 258 करोड़ लीटर से बढ़कर 740 करोड़ लीटर तक पहुँचना।
  • सरकारी सहायता
    • ब्याज अनुदान कार्यक्रम : विस्तार के लिए आवश्यक
    • विस्तार के लिए आह्वान : गति को बनाए रखने और दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक।

गन्ने संबंधी समस्या

  • गन्ना उत्पाद
    • चीनी की उच्च मात्रा : गन्ने का रस और सिरप, B-हैवी मोलास्सेस (B-heavy molasses)
    • इथेनॉल हेतु प्रयुक्त : C-हैवी मोलास्सेस (C-heavy molasses)
  • सरकारी नीति
    • इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने के रस और शीरा (C-heavy molasses) का उपयोग करने की अनुमति देना।
    • प्रतिबंध : चीनी की उपलब्धता संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने के रस और शीरा (C-heavy molasses) का उपयोग करने पर हाल ही में  प्रतिबंध लगाया गया है ।
  • प्रभाव
    • चीनी आपूर्ति : यह चीनी उपलब्धता को प्रभावित करता है।
    • जल उपयोग : गन्ने की खेती का विस्तार जल उपयोग संबंधी चिंताओं को बढ़ाता है और स्थिरता को प्रभावित करता है।
    • मक्के की कमी : प्रतिबंधों के कारण इथेनॉल के लिए मक्का पर निर्भरता बढ़ गई है।

मक्के का बढ़ता आयात : एक खतरे का संकेत?

  • आँकड़ें : वर्ष 2024 में अप्रैल से जून तक मक्का के आयात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  • कारण : गन्ना उत्पादों पर प्रतिबंध के कारण इथेनॉल उत्पादन के लिए मक्के का उपयोग बढ़ गया है।
  • चिंताएँ : पर्याप्त अनाज और चीनी अधिशेष के दावों के बावजूद खाद्य आपूर्ति शृंखला में संभावित असंतुलन।

ऑटोमोबाइल क्षेत्र में ईंधन दक्षता

  • लाभ : इथेनॉल मिश्रण से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी आती है, विदेशी मुद्रा की बचत होती है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।
  • चिंताएँ : इथेनॉल की उच्च मात्रा मौजूदा वाहनों में ईंधन दक्षता को औसतन 6% तक कम कर सकती है, जिससे वाहन के प्रदर्शन को प्रभावित किए बिना E20 अनुपालन प्राप्त करने के विषय में चुनौतियाँ उत्पन्न होती नजर आ रहीं हैं।

नोट : उत्तर प्रदेश न केवल चीनी और गन्ना उत्पादन में बल्कि इथेनॉल उत्पादन में भी देश में अग्रणी रहा है।

निष्कर्ष 

भारत का इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम संपोषणीय ऊर्जा और कम उत्सर्जन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। 20% मिश्रण लक्ष्य तक पहुँचने के लिए खाद्य बनाम ईंधन मुद्दे का सावधानीपूर्वक प्रबंधन, उन्नत जैव ईंधनों को अपनाना तथा निरंतर नीति समर्थन आवश्यक है। कार्यक्रम की सफलता के लिए वाहनों का उचित प्रबंधन, खाद्य सुरक्षा तथा पर्यावरणीय प्रभाव संतुलित करना महत्त्वपूर्ण है

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न 

भारत की ऊर्जा आधारित अर्थव्यवस्था में एक स्थायी ऊर्जा स्रोत के रूप में इथेनॉल दक्षता पर चर्चा कीजिए।

(10 अंक, 150 शब्द)

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