100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

इथेनॉल रणनीति : टिकाऊ ऊर्जा भविष्य की ओर संक्रमण

Lokesh Pal October 12, 2024 05:30 48 0

संदर्भ 

उद्योग संघों, बाजार अनुसंधान एजेंसियों और प्रमुख बाजार अभिकर्ताओं के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में, चूंकि घरेलू मकई की कीमतें वैश्विक दरों से अधिक हो गई हैं, भारत का पोल्ट्री क्षेत्र बढ़ती फ़ीड लागत से जूझ रहा है।जो भारत के इथेनॉल भविष्य के लिए एक चुनौती है। 

टिकाऊ ऊर्जा भविष्य की ओर संक्रमण

  • भारत स्वच्छ ऊर्जा के साथ एक स्थायी भविष्य की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहा है, यानी स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग और पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, कोयला आदि जैसे जीवाश्म ईंधन का कम उपयोग करते हुए पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देना जीससे प्रदूषण कम होगा।
  • इथेनॉल : इस संदर्भ में, इथेनॉल, जो प्रमुख जैव ईंधनों में से एक है, भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकार का लक्ष्य 2025 तक 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण (E20) हासिल करना है।

इथेनॉल सम्मिश्रण 

  • इथेनॉल सम्मिश्रण, इथाइल अल्कोहल युक्त मिश्रित मोटर ईंधन है जो लगभग 99% शुद्ध होता है और कृषि उत्पादों से प्राप्त होता है, तथा विशेष रूप से पेट्रोल के साथ मिश्रित किया जाता है।

भारत में इथेनॉल सम्मिश्रण

  • भारत में इथेनॉल सम्मिश्रण का प्रतिशत 2014 में 1.53 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 15 प्रतिशत हो गया है।
  • इथेनॉल सम्मिश्रण के लाभ : इस महत्वपूर्ण प्रगति से काफी लाभ हुआ है, जिसमें भारत द्वारा कच्चे तेल के रूप में आयात किए जाने के कारण 99.014 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत, CO2 उत्सर्जन में 519 लाख मीट्रिक टन की कमी और 173 लाख मीट्रिक टन कच्चे तेल का प्रतिस्थापन शामिल है।
  • बायो ई3 नीति : हाल ही में स्वीकृत बायो ई3 नीति कार्बन को कैप्चर करने और संग्रहीत करने तथा शुद्ध शून्य लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए बायोमास का उपयोग करने के महत्व को रेखांकित करती है।
  • जैव ईंधन की चार पीढ़ियाँ
    • प्रथम पीढ़ी का इथेनॉल : इसमें गन्ने के गुड़, मक्का और शकरकंद जैसे कृषि उत्पादों का उपयोग इथेनॉल बनाने के लिए किया जाता है।
      • समस्या : क्योंकि इन फसलों को ईंधन उत्पादन में बदलने से देश में खाद्यान्न की कमी हो सकती है और इन उत्पादों की कीमतों में वृद्धि हो सकती है।
      • ऐसा इसलिए है क्योंकि गन्ने का उपयोग चीनी बनाने के लिए किया जाता है, और मकई का उपयोग चारे के रूप में और मानव उपभोग के लिए किया जाता है। भारत जैसे देश में जो अभी भी खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहा है, इन फसलों को ईंधन बनाने के लिए प्राथमिकता देने से कीमतों में वृद्धि हो सकती है।

    • द्वितीय पीढ़ी का इथेनॉल : लिग्नोसेल्यूलोसिक उत्पादों का उपयोग कृषि उत्पादन से उपोत्पादों की तरह किया जाता है। इसलिए भारत सरकार पहली पीढ़ी के इथेनॉल से दूसरी पीढ़ी के इथेनॉल में बदलाव करने की कोशिश कर रही है।
    • तृतीय पीढ़ी का इथेनॉल : इसे ईंधन अपशिष्ट जल, सीवेज या खारे पानी से शैवाल द्वारा उत्पादित किया जाता है।
    • चतुर्थ पीढ़ी का इथेनॉल : चौथी पीढ़ी के जैव ईंधन को बनाने के लिए आनुवंशिक रूप से इंजीनियर सूक्ष्मजीवों का उपयोग करते हैं।

कॉर्न कन्द्रम (Corn Conundrum)

  • विविधीकरण की आवश्यकता : भारत इथेनॉल के उत्पादन के लिए मुख्य रूप से गन्ना और मक्का पर निर्भर रहा है, जिससे कच्चे तेल के आयात को कम करने में मदद मिली है। हालांकि, इसके परिणामस्वरूप गन्ना और मक्का तथा उनसे संबंधित उत्पादों की कीमतों में वृद्धि हुई है।
  • मकई व्यापार घाटा : एक देश जो मक्का निर्यातक हुआ करता था, अब मक्का आयात कर रहा है। भारत में वर्तमान में मक्का में $57 मिलियन का व्यापार घाटा है, जबकि पिछले वर्ष $405 मिलियन का व्यापार अधिशेष था।
  • म्यांमार और यूक्रेन से मक्का आयात : वर्तमान समय में, म्यांमार भारत के लिए मक्का का एक महत्वपूर्ण निर्यातक बन गया है, जिसका चालू वर्ष में कुल निर्यात $64.73 मिलियन रहा, जो 2023-24 में $0.19 मिलियन से अधिक है। यूक्रेन से मक्का का आयात चालू वर्ष में $36.05 मिलियन तक पहुंच गया है, जबकि पिछले वर्ष यह $30.22 मिलियन था।
  • मकई आयात के कारण : मक्का का उपयोग इथेनॉल के अतिरिक्त, पशुओं के चारे के रूप में भी किया जाता है, जो कृषि क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण है।
  • प्रभाव : इसका भारत की खाद्य सुरक्षा और पोल्ट्री क्षेत्र पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा है।
  • पोल्ट्री क्षेत्र : पोल्ट्री क्षेत्र को बढ़ती हुई आहार लागत से जूझना पड़ रहा है, क्योंकि मक्का इसका मुख्य घटक है, जो इनपुट लागत का 65 प्रतिशत तक हिस्सा है।
    • लागत : वर्तमान समय में, करों के कारण आयात लागत अधिक है, जिससे पोल्ट्री क्षेत्र को बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा। इससे अंडे और अन्य उत्पादों की कीमतें बढ़ जाएंगी।
    • पोल्ट्री क्षेत्र की मांग : भोजन की बढ़ती लागत के कारण शुल्क -फ्री मकई आयात और आनुवंशिक रूप से संशोधित मकई को मंजूरी देने की मांग की गई है, क्योंकि भारत जीएम फसलों के आयात की अनुमति नहीं देता है।

जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति (2018) 

  • जब चीनी की कीमत में वृद्धि हुई थी, तो सरकार ने इथेनॉल बनाने के लिए गन्ने का उपयोग करने से इनकार कर दिया था। 
    • जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018, में 2022 में संशोधन किया गया जिससे, वर्तमान में इथेनॉल उत्पादन के लिए कच्चे माल के रूप में वस्तुओं की एक विस्तृत सूची शामिल करती है, जिसमें भारी गुड़, बायोमास, चीनी युक्त सामग्री जैसे कि चुकंदर और स्टार्च युक्त सामग्री जैसे कि मकई शामिल हैं।

चुनौतियाँ – इथेनॉल और खाद्य सुरक्षा में संतुलन

  • चावल की दुविधा : 2022 में, भारतीय खाद्य निगम (FCI) का लगभग 1 मिलियन टन चावल इथेनॉल उत्पादन के लिए डिस्टिलर्स को सब्सिडी दरों पर बेचा गया, जिससे जुलाई 2023 में अनाज आधारित इथेनॉल निर्माताओं के लिए टूटे और अधिशेष चावल की आपूर्ति में रोक लग गई, ताकि घरेलू कीमतों में वृद्धि को नियंत्रित किया जा सके।
  • कृषि योग्य भूमि की कमी : भारत ने 1978-79 और 2018-19 के बीच खाद्य फसलों को उगाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली लगभग 5 मिलियन हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि गंवा दी, जबकि परती भूमि में 4.3 मिलियन हेक्टेयर की वृद्धि हुई।

समाधान हेतु सरकारी पहल 

  • रणनीतिक भूमि नियोजन : ईंधन फसलों के लिए बंजर भूमि (जिसका उपयोग पौधों को उगाने के लिए नहीं किया जाता) को पुनर्जीवित करने से खाद्य फसलों के अंतर्गत क्षेत्र को कम किए बिना इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि हो सकती है। 
    • यह दृष्टिकोण अन्य उद्योगों के साथ इथेनॉल उत्पादन की आवश्यकताओं को संतुलित करने और खाद्य सुरक्षा बनाए रखने में मदद कर सकता है।
  • दूसरी पीढ़ी पर ध्यान केंद्रित करना : वर्तमान संदर्भ में भारत को दूसरी पीढ़ी (2G) बायोएथेनॉल पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, जो कृषि अपशिष्ट को एक स्थायी फीडस्टॉक के रूप में उपयोग करता है।
    • भारत को देश में प्रतिवर्ष उत्पादित 500 मिलियन टन कृषि अपशिष्ट का उपयोग करने की आवश्यकता है।
  • रिफाइनरियों की स्थापना  : पराली और बांस जैसे कृषि अवशेषों को इथेनॉल में बदलने के लिए पानीपत और नुमालीगढ़ में दो दूसरी पीढ़ी की रिफाइनरियाँ स्थापित की गई हैं।
    • हालाँकि दूसरी पीढ़ी की यह प्रक्रिया जटिल है और शुरुआती चरणों में उच्च पूंजी निवेश है। लेकिन अगर भारत इथेनॉल के लिए कृषि अपशिष्ट का उपयोग करने में सक्षम है तो खाद्य असुरक्षा और उच्च आयात की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • वित्तीय सहायता : सरकार ने 2G बायोएथेनॉल के विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उन्नत जैव ईंधन परियोजनाओं को वित्तीय रूप से समर्थन देने के लिए प्रधानमंत्री जी-वन योजना शुरू की है।

निष्कर्ष 

भारत को इथेनॉल उत्पादन की ज़रूरतों और अन्य उद्योगों के बीच संतुलन बनाने और खाद्य सुरक्षा बनाए रखने की ज़रूरत है। इससे कच्चे माल की बढ़ी हुई और पूर्वानुमानित तथा टिकाऊ आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी और भारत को नेट ज़ीरो हासिल करने में मदद मिलेगी, कार्बन उत्सर्जन में कटौती होगी और पर्यावरण की दृष्टि से भी एक सुरक्षित ऊर्जा भविष्य सुनिश्चित होगा ।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.