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Lokesh Pal October 12, 2024 05:30 48 0
उद्योग संघों, बाजार अनुसंधान एजेंसियों और प्रमुख बाजार अभिकर्ताओं के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में, चूंकि घरेलू मकई की कीमतें वैश्विक दरों से अधिक हो गई हैं, भारत का पोल्ट्री क्षेत्र बढ़ती फ़ीड लागत से जूझ रहा है।जो भारत के इथेनॉल भविष्य के लिए एक चुनौती है।
इथेनॉल सम्मिश्रण
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भारत को इथेनॉल उत्पादन की ज़रूरतों और अन्य उद्योगों के बीच संतुलन बनाने और खाद्य सुरक्षा बनाए रखने की ज़रूरत है। इससे कच्चे माल की बढ़ी हुई और पूर्वानुमानित तथा टिकाऊ आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी और भारत को नेट ज़ीरो हासिल करने में मदद मिलेगी, कार्बन उत्सर्जन में कटौती होगी और पर्यावरण की दृष्टि से भी एक सुरक्षित ऊर्जा भविष्य सुनिश्चित होगा ।
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