“प्रगति का आकलन करना समृद्धि को और बढ़ाने की अपेक्षा अभाव को कम करने से अधिक संभव है।” -अमर्त्य सेन
व्याख्या :
अमर्त्य सेन का उक्त उद्धरण इस बात पर जोर देता है कि वास्तविक प्रगति को इस बात से मापा जाना चाहिए कि इससे गरीबी कितनी कम होती है और समाज के सबसे वंचित लोगों कीआवश्यकताओं को कितना अधिक से अधिक पूरा किया जाता है, न कि इस बात से कि पहले से ही अमीर लोग और कितने अमीर बन जाते हैं।
यह इस विचार को दर्शाता है कि वंचितों की भलाई करना, विशेषाधिकार प्राप्त लोगों द्वारा धन संचय करने की तुलना में सामाजिक उन्नति का अधिक सार्थक संकेतक देता है।
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