नैतिक पतन: बढ़ती निराशावादिता, अधिकारों और जिम्मेदारियों के बीच का अंतर, भौतिकवाद और बढ़ती हिंसा सामाजिक विवेक और नैतिक व्यवहार को कमजोर कर रही है।
उदाहरण: ऑनलाइन अपराधों और ट्रोलिंग में वृद्धि, जो अक्सर गुमनामी के कारण होती है, सहानुभूति और व्यक्तिगत जिम्मेदारी में गिरावट को दर्शाती है।
कमजोर सामाजिक ताना-बाना: समाज के कमजोर ताने-बने के लिए उत्तरदायी मुख्यतः निहित स्वार्थ, आतंकवाद, सामाजिक विघटन और सांसारिक गतिविधियों पर अत्यधिक ध्यान सामाजिक सामंजस्य और स्थिरता में एक शून्य पैदा कर रहा है।
भौतिकवादी संस्कृति: भौतिक संपदा की निरंतर खोज, बड़े पैमाने पर व्यावसायीकरण के साथ मिलकर नैतिक मूल्यों और पारंपरिक प्राथमिकताओं को नष्ट कर रही है।
उदाहरण: तेजी से बढ़ते फैशन के रुझान नैतिक श्रम प्रथाओं और पर्यावरणीय स्थिरता पर कम कीमतों और उच्च कारोबार को प्राथमिकता देते हैं।
सोशल मीडिया का दुरुपयोग: गलत सूचना का प्रसार, “डीप फेक” और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का सामान्य दुरुपयोग मूल्यों के क्षरण में योगदान देता है।
उदाहरण: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर टीकों के बारे में षड्यंत्र के सिद्धांतों और गलत सूचनाओं का प्रसारण विज्ञान और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों के विश्वास को कम करता है।
दर्शक प्रभाव: लोगों द्वारा आपात स्थितियों में हस्तक्षेप करने की संभावना कम होने की प्रवृत्ति, क्योंकि आपातकाल में ग्राहकों या दर्शकों की संख्या बढ़ जाती है। यह विशेष तौर पर उदासीनता का माहौल बनाती है और सामाजिक जिम्मेदारी को कमजोर करती है।
उदाहरण: ऐसे मामले जहां दर्शक पीड़ित की मदद करने या सहायता के लिए कॉल करने के बजाय अपराध की रिकॉर्डिंग कर उसे फिल्माने पर अधिक बल देते हैं।
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