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बेहतर पर्यावरणीय के लिए एक्सपोसोमिक्स

Lokesh Pal June 05, 2025 05:00 23 0

संदर्भ:

विश्व पर्यावरण दिवस (WED) वैश्विक पर्यावरण के संरक्षण हेतु एक उत्सव है, जो हमारे पर्यावरण की सुरक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाने और कार्रवाई को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिवर्ष 5 जून को मनाया जाता है।

विश्व पर्यावरण दिवस 2025:

  • विषय: विश्व पर्यावरण दिवस 2025 (5 जून) का विषय है प्लास्टिक प्रदूषण समाप्त करना।
  • माइक्रोप्लास्टिक: माइक्रोप्लास्टिक हमारे पर्यावरण में मौजूद हजारों अदृश्य रासायनिक, भौतिक और जैविक खतरों में से एक है।
  • मापन की चुनौती: इनमें से अधिकांश जोखिम संवेदनशील प्रौद्योगिकियों की कमी के कारण पता लगाने योग्य नहीं रह जाते हैं। इससे जोखिम आकलन और जोखिम मूल्यांकन बेहद मुश्किल हो जाता है।

भारत में पर्यावरणीय संकट:

  • उच्च वैश्विक बोझ: वर्तमान समय में, भारत वैश्विक पर्यावरणीय रोग बोझ का लगभग 25% योगदान देता है। हालांकि तीव्र आर्थिक विकास ने पर्यावरणीय जोखिमों को तीव्र कर दिया है।
  • एकीकृत जोखिम आकलन: वर्तमान दृष्टिकोण में एकीकरण का विशेष अभाव देखने को मिलता है, जो स्वास्थ्य असमानताओं और लागतों को बढ़ा रहे हैं। अतः एकीकृत पर्यावरणीय स्वास्थ्य ढांचे पर जोर देने की आवश्यकता है।
  • डब्ल्यूएचओ और जीबीडी इनसाइट्स: डब्ल्यूएचओ ने वर्ष 2000 में पर्यावरणीय रोग बोझ पर नज़र रखना शुरू किया2021 जीबीडी अध्ययन में कुल 88 जोखिम कारक शामिल थे।
  • मुख्य निष्कर्ष: पर्यावरणीय और व्यावसायिक स्वास्थ्य (EOH) जोखिमों के कारण वैश्विक मृत्यु का 18.9% (~12.8 मिलियन) और सभी DALY का 14.4% आका गया है।
  • शीर्ष योगदानकर्ता: PM2.5 वायु प्रदूषण: 4.2% DALYs, 4.7 मिलियन मौत, घरेलू वायु प्रदूषण: 3.9% DALYs, 3.1 मिलियन मौतों के लिए जिम्मेदार है।
  • बढ़ते स्वास्थ्य प्रभाव: भारत में OEH जोखिमों के कारण प्रतिवर्ष लगभग 3 मिलियन मौतें होती हैं। इसके अलावा 100 मिलियन से अधिक DALY पर्यावरणीय कारणों से होती हैं।
  • गैर-संचारी रोगों से संबंध: आई.एच.डी., स्ट्रोक, सी.ओ.पी.डी., फेफड़ों के कैंसर और मधुमेह जैसी बीमारियों का 50% से अधिक कारण पर्यावरणीय जोखिम है।
  • बच्चों पर प्रभाव: सीसे के संपर्क में आने से 5 वर्ष से कम आयु के भारतीय बच्चों में 154 मिलियन IQ अंक की हानि हुई है – जो वैश्विक रूप से कुल IQ का 20% है।

पर्यावरण नीतियों से जुड़ी चुनौतियाँ:

  • संकीर्ण जोखिम श्रेणियाँ: वर्तमान जी.बी.डी. आकलन में केवल ~11 पर्यावरणीय जोखिम कारक शामिल हैं। रासायनिक, भौतिक और जटिल जोखिमों के लिए मानव जोखिम डेटा की कमी है।
  • सहक्रियात्मक अंतःक्रियाओं का अभाव: पर्यावरणीय जोखिम चयापचय, व्यवहारिक और आनुवंशिक कारकों के साथ अंतःक्रिया करते हैं। वर्तमान मॉडल जटिल जीवन-क्रम अंतःक्रियाओं को पकड़ने में विफल रहते हैं।
  • मिश्रित खतरे: जलवायु परिवर्तन से गर्मी, वेक्टर जनित रोग, वायु प्रदूषण, बाढ़, तूफान, जंगल की आग का जोखिम बढ़ जाता है। यह खाद्य सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य (जैसे, अवसाद, चिंता ) को भी प्रभावित करता है।
  • कमज़ोर आबादी: वर्तमान समय में, स्वास्थ्य और खाद्य प्रणालियों तक सीमित पहुंच वाली आबादी सबसे ज़्यादा जोखिम में है। मिश्रित प्रभाव मौजूदा डेटा में और तालमेल को अपर्याप्त रूप से दर्ज किया गया है।

एक्सपोज़ोम:

  • परिभाषा: किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले भौतिक, रासायनिक, जैविक और मनो-सामाजिक कारकों के प्रति कुल जीवनकाल जोखिम।
    • एक्सपोज़ोम में गर्भधारण से लेकर जीवन भर के सभी जोखिम और व्यक्तिगत अनुभव शामिल होते हैं, जिनमें वायु प्रदूषण, रसायन और जीवनशैली विकल्पों जैसे पर्यावरणीय कारकों के साथ-साथ जैविक और सामाजिक कारक भी शामिल होते हैं जो स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं।
  • एक्सपोसोमिक्स की भूमिका: एक्सपोसोमिक्स जीवन भर बीमारी की उत्पत्ति को ट्रैक करने में मदद कर सकता है। इसके अतिरिक्त यह एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है और पर्यावरण स्वास्थ्य संबंधों को मजबूत करता है।
  • डिजिटल एकीकरण: दीर्घकालिक पर्यावरणीय स्वास्थ्य निगरानी में निवेश की आवश्यकता है। इसमें जैव निगरानी को एकीकृत किया जाना चाहिए। इसके अलावा डिजिटल स्वास्थ्य और डेटा प्लेटफ़ॉर्म के साथ एकीकृत किया जाना चाहिए।
  • जीनोम से एक्सपोज़ोम तक: ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट (1990-2003) ने आनुवंशिक रोगों के बारे में हमारी समझ को बदल दिया। हालाँकि, हृदय रोग जैसी कई सामान्य बीमारियों के लिए, अकेले आनुवंशिकी 50% से भी कम जोखिम की व्याख्या करती है।
  • जीन से परे: जीन की सीमित भविष्यवाणी करने की क्षमता के कारण एक्सपोज़ोमकी अवधारणा को जन्म मिला। यह किसी व्यक्ति के जीवन भर में होने वाले सभी एक्सपोज़र को संदर्भित करता है और स्वास्थ्य पर उनके प्रभाव को संदर्भित करता है।
  • पारंपरिक विधियों की सीमाएँ: पारंपरिक अध्ययन अक्सर एकल जोखिम को लक्षित करते हैं समय के विशिष्ट बिंदुओं पर लक्षित होते हैं। वे जीवन भर के पर्यावरणीय जोखिमों की जटिल, संचयी प्रकृति को पकड़ने में विफल रहते हैं।
  • बहुक्रियात्मक समझ: एक्सपोसोमिक्स निम्नलिखित के बीच अंतःक्रियाओं की खोज करता है:
    • बाह्य जोखिम (रासायनिक, जैविक, मनो-सामाजिक)।
    • आंतरिक लक्षण (आनुवांशिकी, शरीरक्रिया विज्ञान, अधिआनुवांशिकी)।
    • दैनिक जीवनशैली से जुड़े कारक जैसे आहार और व्यवहार
  • जीडब्ल्यूएएस से ईडब्ल्यूएएस: जिस तरह जीनोम-वाइड एसोसिएशन स्टडीज (जीडब्ल्यूएएस) रोग के साथ आनुवंशिक संबंधों को उजागर करती है, उसी तरह एक्सपोजर-वाइड एसोसिएशन स्टडीज (ईडब्ल्यूएएस) का मुख्य उद्देश्य है पर्यावरणीय प्रभावों का मानचित्रण करना है।
  • अंतःविषय एकीकरण: वास्तविक समय की व्यक्तिगत निगरानी के लिए पहनने योग्य सेंसर, जैव-निगरानी नमूनों का अलक्षित रासायनिक विश्लेषण, जैविक प्रतिक्रिया का अनुकरण करने के लिए जटिल डेटासेट को संश्लेषित करने के लिए एआई और बिग डेटा जैसे चिप पर अंग जैसे उपकरणों की आवश्यकता होती है।
  • संभावित चुनौतियाँ: एक्सपोज़ोम ढांचा भारत में, अविश्वसनीय या अप्रासंगिक लग सकता है। हालांकि ऐसा पर्यावरणीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों में कार्यान्वयन संबंधी बाधाओं के कारण होता है।

आगे की राह:

  • पारिस्थितिकी तंत्र हेतु सामंजस्यपूर्ण डेटा: एक टिकाऊ, अंतर-संचालनीय डेटा प्रणाली महत्वपूर्ण है। इसे सक्षम करना चाहिए एक्सपोसोमिक्स डेटा तक पहुंच, साझाकरण और सामंजस्य को सक्षम करना चाहिए।
  • प्रौद्योगिकी: भारत ने स्वास्थ्य सेवा में प्रौद्योगिकी और डेटा-संचालित दृष्टिकोण का उपयोग करके बड़ी छलांग लगाने की क्षमता का प्रदर्शन किया है। एक्सपोसोमिक्स एकीकरण के लिए इसी तरह का मार्ग अपना सकता है।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य एकीकरण: एक्सपोसोमिक्स पुरानी बीमारियों के लिए पूर्वानुमानात्मक मॉडलिंग को सक्षम बनाता है। यह मानचित्रण द्वारा सटीक चिकित्सा का समर्थन करता है व्यक्तिगत जोखिम इतिहास का समर्थन करता है।
  • स्मार्ट निवेश: क्षमता निर्माण और बुनियादी ढांचे के समन्वय में आबाध निवेश महत्वपूर्ण है। इससे भारत के स्वास्थ्य बोझ के लिए लागत-प्रभावी समाधान सुनिश्चित हो सकते हैं

निष्कर्ष:

भारत को बढचढ़कर पर्यावरण स्वास्थ्य समुदाय के लिए वैश्विक एक्सपोज़ॉमिक्स आंदोलन में सक्रिय रूप शामिल होने की आवश्यकता है। इससे भारत भविष्य के वैश्विक स्वास्थ्य प्रतिमानों को आकार देने में सक्रिय रूप से योगदान दे सकेगा। साथ ही भारत भविष्य के विश्व पर्यावरण दिवस हेतु भी मानव एक्सपोज़ॉम परियोजना का समर्थन करने में सक्षम हो सकता है। यह दृष्टिकोण समग्र रोकथाम और स्वास्थ्य समानता के लिए सर्वाधिक उपयोगी नुस्खे के रूप में उभर सकता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: ह्यूमन एक्सपोज़ोम की अवधारणा को समझाइए। यह पर्यावरण निगरानी और सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति निर्माण के भविष्य को कैसे बदल सकता है? बताइए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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