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फाइव आईज अलायंस और इसमें भारत की भूमिका

Lokesh Pal March 17, 2025 05:00 67 0

संदर्भ:

हाल ही में, अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड सहित कई देशों के खुफिया अधिकारियों ने दिल्ली में बैठक की, जिसमें फाइव आईज के भविष्य की अनिश्चितता पर चर्चा हुई।

फाइव आईज इंटेलिजेंस अलायंस

  • क्या है?: फाइव आईज अलायंस, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूजीलैंड, यूके और यूएस शामिल हैं, विश्व के सबसे शक्तिशाली खुफिया-साझाकरण नेटवर्क में से एक है।
  • पृष्ठभूमि: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गठित इस समूह ने शीत युद्ध के समय सोवियत संचार की निगरानी में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसका बाद में आतंकवाद और साइबर सुरक्षा प्रयासों तक विस्तार किया गया।

फाइव आईज की उत्पत्ति और विकास

  • वर्ष 1946: द्वितीय विश्व युद्ध के सहयोग पर आधारित यू.एस.-यू.के. खुफिया-साझाकरण समझौता।
  • वर्ष 1948: कनाडा शामिल हुआ।
  • वर्ष 1956: ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हुए, जिससे एंग्लोस्फीयर में गठबंधन का विस्तार हुआ।
  • शीत युद्ध: सोवियत और वारसॉ संधि संचार पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • 9/11 के बाद: आतंकवाद और साइबर सुरक्षा तक विस्तार किया गया।
  • हालिया वर्ष: चीन पर ध्यान केंद्रित किया गया, विशेष रूप से साइबर सुरक्षा खतरों और हुआवे के 5जी नेटवर्क में।

रणनीतिक विकास

  • सुरक्षा चिंताएँ: 2018 में, फाइव आईज़ इंटेलिजेंस प्रमुखों ने हुआवे के सुरक्षा जोखिमों के बारे में चेतावनी दी थी। पश्चिमी बुनियादी ढाँचे से हुआवे को बाहर करने और गैर-पश्चिमी सहयोगियों को भी ऐसा करने के लिए राजी करने हेतु एक समन्वित प्रयास किया गया।
    • एशियाई भागीदारों, विशेष रूप से जापान के साथ खुफिया/गुप्त सहयोग में वृद्धि हुई।
  • सैन्य विस्तार: एंग्लोस्फीयर का सैन्य सहयोग मज़बूत हुआ है, विशेष रूप से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में।
  • AUKUS समझौता: अमेरिका और ब्रिटेन परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी के विकास में ऑस्ट्रेलिया की सहायता कर रहे हैं। पूर्व में हुए कुछ विवादों के बावजूद, फाइव आईज ने एकजुटता बनाए रखी – जब तक कि हाल ही में कुछ विवादों के चलते तनाव उत्पन्न नहीं हो गया।

फाइव आईज इंटेलिजेंस एलायंस से संबंधित मुद्दे और आलोचनाएँ

  • आंतरिक संकट: गठबंधन अब अभूतपूर्व आंतरिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिसका मुख्य कारण डोनाल्ड ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल के दौरान अमेरिकी विदेश नीति में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हैं:
    • रूस के साथ बेहतर संबंध
    • यूक्रेन में युद्ध विराम के लिए दबाव
    • कमज़ोर यूरोपीय संघ और नाटो संबंध
    • युद्ध के बाद अमेरिका-यूरोप रणनीतिक सहमति का विघटन
  • अमेरिका द्वारा व्यवधान: फाइव आईज सदस्यों के बीच पूर्व के मतभेदों के विपरीत, वर्तमान अस्थिरता अमेरिका द्वारा ही उत्पन्न की गई है। इसने कनाडा के साथ एक आक्रामक व्यापार युद्ध शुरू किया है।
    • कनाडा को “51वाँ राज्य” बनाने का सुझाव दिया गया है। ग्रीनलैंड को अपने में मिलाने का प्रस्ताव डेनमार्क, जो एक प्रमुख सहयोगी है, के लिए खतरा है।
  • ब्रिटेन के प्रति शत्रुता: आर्थिक और क्षेत्रीय विवादों से परे, ब्रिटेन के प्रति ट्रम्प प्रशासन का रुख लगातार शत्रुतापूर्ण होता जा रहा है।
    • सीनेटर जे. डी. वेंस की विवादास्पद टिप्पणी में दावा किया गया, कि लेबर पार्टी की जीत के बाद ब्रिटेन पहली इस्लामी परमाणु शक्ति बन रहा है।
    • यह दावा यूरोप में इस्लामी प्रभाव के बारे में अमेरिका में आम दक्षिणपंथी मत को प्रतिध्वनित करता है।
  • आलोचना: म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में, ब्रिटेन पर “जागृत राजनीति” और दक्षिणपंथी विचारों की सेंसरशिप का आरोप लगाया गया।
  • यू.के. के खिलाफ़ आरोप: एलन मस्क ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री पर बच्चों के शोषण को संबोधित करने में विफल रहने का आरोप लगाया।
    • उन्होंने एक्स पर एक सर्वेक्षण भी शुरू किया, जिसमें सुझाव दिया गया कि अमेरिका को ब्रिटेन को उसकी सरकार से “मुक्त” कर देना चाहिए।
  • कनाडा का निष्कासन: वाशिंगटन में अनुमान लगाया जा रहा है, कि व्यापार और सीमा सुरक्षा विवादों के कारण ट्रम्प के सहयोगी कनाडा को गठबंधन से हटाने पर विचार कर रहे हैं। व्हाइट हाउस ने इन रिपोर्ट्स का खंडन किया है, लेकिन चिंताएँ अभी भी बनी हुई हैं।
  • अप्रत्याशित दृष्टिकोण: राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के रूप में तुलसी गबार्ड और एफबीआई निदेशक के रूप में काश पटेल की नियुक्तियों ने फाइव आईज़ सहयोगियों के बीच चिंता बढ़ा दी है।
    • उन्हें भय है, कि खुफिया जानकारी साझा करने के लिए ट्रम्प का अप्रत्याशित दृष्टिकोण सुरक्षा से समझौता कर सकता है।
  • वैचारिक विभाजन: ट्रम्प का MAGA आंदोलन पारंपरिक एंग्लोस्फीयर नीतियों के साथ तेजी से विरोधाभासी होता जा रहा है।
    • अमेरिकी दक्षिणपंथी ब्रिटेन को एक असफल राज्य के रूप में देखते हैं, जिस पर विनियमन और प्रगतिशील राजनीति प्रभावी है। यह असंतोष एंग्लोस्फीयर, यूरोप और उससे आगे के उदारवादी नेताओं तक विस्तृत है।

निष्कर्ष

चूँकि भारत विश्व के प्रमुख देशों के खुफिया अधिकारियों की मेजबानी कर रहा है, इसलिए वह यह आकलन कर सकता है, कि फाइव आईज संकट अस्थायी है या स्थायी। यह भारत को वैश्विक खुफिया-साझाकरण के दीर्घकालिक निहितार्थों पर विचार करने और बदलती विश्व व्यवस्था में मज़बूत खुफिया कूटनीति विकसित करने का अवसर भी देता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न 

फाइव आईज इंटेलिजेंस गठबंधन ने वैश्विक सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालाँकि, वर्तमान आंतरिक संघर्ष और अमेरिकी विदेश नीति की बदलती प्राथमिकताओं ने इसकी स्थिरता के संबंध में चिंताएँ बढ़ा दी हैं। वैश्विक खुफिया सहयोग पर इन घटनाक्रमों के प्रभाव और भारत की सुरक्षा तथा कूटनीतिक रणनीतियों के लिए उनके संभावित निहितार्थों का विश्लेषण कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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