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भारतीय बागवानी क्षेत्र में सुधार हेतु पाँच प्रमुख कदम

Lokesh Pal January 24, 2025 05:15 60 0

संदर्भ:

भारत बागवानी फसलों का एक महत्त्वपूर्ण उत्पादक है, फिर भी वैश्विक बाजार में इसकी हिस्सेदारी बहुत कम है | फलों और सब्जियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में इसकी हिस्सेदारी केवल 2% है।

बागवानी क्या है?

  • बागवानी को कृषि की उस शाखा के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसमें फसलों की गहन कृषि की जाती है, जिनका उपयोग लोग सीधे तौर पर भोजन, औषधीय प्रयोजनों या सौंदर्य संबंधी वस्तुओं की प्राप्ति के लिए करते हैं।

वैश्विक बागवानी व्यापार में भारत की संभावनाएँ

  • भारत की स्थिति : फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक उत्पादक। वैश्विक बागवानी व्यापार में भारत की हिस्सेदारी केवल 2% है, जो एक अप्रयुक्त क्षमता को प्रदर्शित करता है। 
  • अवसर : भारत में विविध जलवायु क्षेत्र हैं, जो बागवानी फसलों के लिए आदर्श हैं। बागवानी क्षेत्र भारत की समग्र जनसंख्या के लिए पौष्टिक भोजन तक पहुँच में सुधार करने के लिए उत्पादन को बढ़ावा देगा।
    • बागवानी भारत की लघु कृषि संरचना के साथ बेहतर ढंग से एकीकृत है।

भारत में बागवानी क्षमता का दोहन करने हेतु प्रमुख रणनीतियाँ

  • FPO के बारे में : FPO किसानों का एक समूह है, जिसके पास एक भौगोलिक समूह में जोत या कार्य होता है। इसे कंपनी अधिनियम के तहत या सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत सहकारी संगठन के रूप में पंजीकृत किया जा सकता है। 

परिशुद्ध खेती: यह उपज को अधिकतम करने और बर्बादी को कम करने के लिए जल, उर्वरक और कीटनाशकों जैसी लागतों को अनुकूलित करने पर केंद्रित है। इस अवधारणा के आधार पर, प्रदान किए गए सभी विकल्प परिशुद्ध कृषि के अंतर्गत आते हैं।

  • फर्टिगेशन: इसमें सिंचाई प्रणालियों के माध्यम से उर्वरकों का उचित अनुप्रयोग शामिल है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि पौधों को सही मात्रा में आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त हों।
  • ड्रिप सिंचाई: ड्रिप सिंचाई नियंत्रित मात्रा में पौधों की जड़ों तक सीधे पानी पहुँचाती है, जिससे जल की बर्बादी कम होती है और जल का उपयोग अनुकूलतम होता है।

  • FPO की भूमिका : सुदृढ़ अर्थव्यवस्था का निर्माण और परिचालन दक्षता में सुधार करना। सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देना और अंतरराष्ट्रीय खरीदारों को बाजार संपर्क प्रदान करना।
    • बिचौलियों को कम करके किसानों के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करना। 
    • आधुनिक कृषि जटिलताओं को प्रबंधित करने के लिए किसानों की क्षमता बढ़ाना।
  • भारत में FPO की सफलता 
    • पुरंदर हाइलैंड्स (पुणे): प्रगतिशील लघु किसान अंजीर उगाते हैं, जिससे घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाज़ारों में लाभ मिलता है। 
    • सह्याद्री फ़ार्म : सलाहकार सेवाएँ, पैक-हाउस, कोल्ड स्टोरेज और तकनीक सहित व्यापक बुनियादी ढाँचा। वैश्विक मानकों के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बनाने में किसानों को सलाह देता है।
  • विस्तार सेवा अंतराल में कमी : किसानों को नवीनतम कृषि ज्ञान और सतत कृषि पद्धतियों से समृद्ध करना।
    • उदाहरण के लिए- “मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना” प्रत्येक किसान को उसके खेत की मृदा की पोषक स्थिति की जानकारी प्रदान करती है और उसे उर्वरकों की उपयोग मात्रा के बारे में सलाह देती है।
  • परिशुद्ध कृषि : उपज और गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए परिशुद्ध कृषि के तरीके, एकीकृत कीट प्रबंधन और फसल संरक्षण उत्पादों का जिम्मेदारी से उपयोग अपनाना।
    • उदाहरण के लिए, नीम के पेड़ (अजादिराच्टा इंडिका) के बीजों से प्राप्त नीम का तेल, अपने कीटनाशक गुणों के कारण एकीकृत कीट प्रबंधन में व्यापक रूप से पहचाना जाता है।
  • कटाई के बाद बुनियादी ढाँचे की सुदृढ़ता : बर्बादी को कम करने के लिए भंडारण सुविधाओं और प्रसंस्करण इकाइयों का निर्माण करना। उपज के मूल्य और विपणन क्षमता को बढ़ाना।
    • उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में पैक हाउस की स्थापना, जो अंगूरों की उचित हैंडलिंग, छंटाई, ग्रेडिंग और पैकेजिंग के लिए डिजाइन की गई सुविधाएँ हैं। 
    • ये पैकहाउस यह सुनिश्चित करके कि अंगूरों को नियंत्रित परिस्थितियों में संसाधित किया जाता है, कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • मूल्य संवर्द्धन: उपज का मूल्य और विपणन क्षमता का विस्तार।
    • उदाहरण के लिए, कच्चे केले को चिप्स में बदलना खाद्य प्रसंस्करण में मूल्य संवर्द्धन  का उदाहरण है, जहाँ एक आधारभूत कृषि उत्पाद को अधिक मूल्यवान रूप में परिवर्तित किया जाता है, जिससे उसका बाजार मूल्य बढ़ जाता है।
  • व्यापार बाधाओं का समाधान : निर्यात में बाधा डालने वाली टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने के लिए व्यापार समझौतों पर वार्ता करना।
    • उदाहरण के लिए, यदि भारत और ऑस्ट्रेलिया एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करते हैं, तो भारतीय सब्जियों को कम करों के साथ ऑस्ट्रेलियाई बाजार तक पहुँच प्राप्त हो जाएगी।
  • अंतर्राष्ट्रीय मानकों का अनुपालन : अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बेहतर सुरक्षा और गुणवत्ता ढाँचे की स्थापना करना।
    • उदाहरण के लिए, जापान को आमों का निर्यात करने के लिए संभावित कीटों, विशेष रूप से मक्खियों को नष्ट करने के लिए फल को वाष्प ताप उपचार (VHT) से गुजरना अनिवार्य है।
  • कृषि-तकनीक निवेश में वृद्धि : IoT-आधारित निगरानी प्रणाली, जल प्रबंधन समाधान और फसल प्रबंधन के लिए ड्रोन जैसी प्रौद्योगिकियाँ।
  • अनुदान और कर प्रोत्साहन : उत्पादकता, दक्षता और जलवायु लचीलापन सुधारने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाने को प्रोत्साहित करना।
  • बीमा कवरेज : बीमा कवरेज की कमी किसानों को असुरक्षित बनाती है, जिससे उच्च मूल्य वाली फसलों में निवेश हतोत्साहित होता है।
    • जोखिमों को कम करने तथा निर्यात अनुपालन के लिए गुणवत्ता सुधार को प्रोत्साहित करने हेतु वहनीय एवं अनुकूलित बीमा उत्पाद प्रस्तुत करना।
  • क्लस्टर विकास कार्यक्रम (CDP): एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल, जिसमें सरकार संसाधनों और नीतियों को सुगम बनाती है, जबकि निजी क्षेत्र निर्यात क्षमता वाले विशिष्ट फसल क्लस्टरों को विकसित करने के लिए अपनी परिचालन विशेषज्ञता का लाभ उठाता है।

एकीकृत रसद और आपूर्ति शृंखला ढाँचा

  • प्रभावी कोल्ड चेन: पारगमन खाद्य उत्पादों की सुरक्षा, उपलब्धता और पोषण मूल्य को बनाए रखने के लिए महत्त्वपूर्ण।
  • एक मजबूत ‘कोल्ड चेन’ के घटक
    • ‘प्री-कूलिंग’ सुविधाएँ : ‘हार्वेस्टिंग’ के बाद नवीनता बनाए रखना।
    • रेफ्रिजरेटेड ट्रांसपोर्ट : परिवहन के दौरान तापमान नियंत्रण सुनिश्चित करना।
    • कुशल पैकेजिंग तकनीकें : उत्पाद की गुणवत्ता बनाए रखना और शेल्फ़ लाइफ़ बढ़ाना।
  • लाभ : उन्नत कोल्ड स्टोरेज से किसानों को माँग में उतार-चढ़ाव के आधार पर आपूर्ति को समायोजित करने में मदद मिलती है, जो निर्यात के लिए महत्त्वपूर्ण है
  • सरकारी कार्यक्रम
    • गति शक्ति मिशन : कोल्ड स्टोरेज और परिवहन तत्त्वों को एकीकृत करना।
    • समर्पित माल गलियारा : वास्तविक समय बाजार डेटा प्रदान करना और किसानों को बाजार की माँग, कीमतों और रसद सेवाओं से जोड़ना।

निष्कर्ष 

भारत में बागवानी क्षेत्र में महाशक्ति बनने की असीम क्षमता है। मजबूत, समन्वित प्रयासों और अभिनव रणनीतियों के साथ यह संभव हो सकता है, जो इस क्षेत्र के लिए न्यायसंगत, सतत विकास को सक्षम बनाता है तथा किसानों के विकास को प्राथमिकता देता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

भारत में बागवानी क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्त्वकर्त्ता बनने की महत्त्वपूर्ण क्षमता है। विश्लेषण कीजिए कि कैसे उचित और सतत कृषि पद्धतियाँ बागवानी क्षेत्र में उत्पादकता और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ा सकती हैं।

(15 अंक, 250 शब्द)

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