प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: यूक्रेन,गाजा और पश्चिम एशिया की अवस्थिति।
मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था, नाटो का विस्तार, पश्चिम एशिया की भू-राजनीति।
संदर्भ :
दुनिया में चल रही अनेकों युद्धों के कारण “नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था” चरमरा रही है और विश्व अव्यवस्था के दौर से गुजर रही है।
परिचय
उभरते गठबंधन: नए गठबंधन निर्मित हो रहे हैं,लेकिन कोई भी वैश्विक शांति बनाए रखने में पर्याप्त रूप से सक्षम नहीं है।
वैश्विक अशांति: यूक्रेन और गाजा में चल रहे संघर्षों के आलावा कई क्षेत्र अराजकता का सामना कर रहे हैं।
नेतृत्व शून्यता:
प्रभावशाली वैश्विक नेतृत्व का अभाव: ज्वलंत मुद्दों का समाधान कर सकने में सक्षम, प्रभावशाली वैश्विक नेताओं की कमी है।
समझौता करने की अनिच्छा: ज़ेलेंस्की, पुतिन, बाइडन और शी जिनपिंग जैसे नेता समझौता करने को तैयार नहीं हैं।
महाशक्तियों की प्रतिद्वंद्विता के बदलते समीकरण :
वैश्विक शक्ति समीकरण में परिवर्तन: नए गठबंधन निर्मित हो रहे हैं,लेकिन कोई भी वैश्विक शांति बनाए रखने में पर्याप्त रूप से सक्षम नहीं है। महाशक्तियों की प्रतिद्वंद्विता कठपुतलियों के खेल की तरह प्रतीत होती हैं जिसका युद्धग्रस्त यूक्रेन और अस्थिर पश्चिम एशिया से परे कोई विशेष अर्थ नहीं है।
प्रमुख शक्तियों के रणनीतिक कदम: रणनीतिक चालों और छद्म गठबंधनों द्वारा,अमेरिका और चीन एक जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्य का नेतृत्व करते हैं। हालाँकि, ये कार्रवाई वैश्विक स्तर पर चिरस्थाई स्थिरता स्थापित करने में विफल रहती हैं।
पारंपरिक महाशक्तियों का पतन: अफगानिस्तान-युद्ध के बाद अमेरिका, अपनी महाशक्ति की प्रतिष्ठा को हुए नुकसान से उबरने हेतु संघर्ष कर रहा है । यूरोप रूस के खिलाफ सुरक्षा हेतु नाटो पर निर्भर है।
चीन आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिससे पश्चिम को प्रभावी ढंग से चुनौती देने की उसकी क्षमता कम हो गई है।
चीन की आर्थिक चुनौतियाँ: चीन के आर्थिक संकट ने एक महाशक्ति के रूप में उसकी स्थिति को कमज़ोर कर दिया है, जिससे वह सावधानी से कार्य करने हेतु मजबूर हो गया है। इसके बावजूद, चीन पश्चिमी प्रभाव का मुकाबला करने के लिए चीन-रूस-ईरान धुरी का निर्माण करते हुए, पश्चिम एशिया में नए गठबंधन का निर्माण कर रहा है।
आर्थिक और तकनीकी कारक
अर्थव्यवस्था और प्रौद्योगिकी का महत्त्व: वैश्विक नेता वैश्विक मामलों में प्राथमिक संचालकों के रूप में अर्थव्यवस्थाओं और प्रौद्योगिकियों के महत्त्व की अनदेखी करते हैं। विकसित देशों सहित भविष्य की वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के बारे में पूर्वानुमानों की उपेक्षा करना जोखिम उत्पन्न कर सकता है।
तेल की राजनीति का बढ़ता महत्त्व: चीन, रूस और ईरान के बीच बढ़ती निकटता वैश्विक तेल राजनीति में आसन्न उथल-पुथल का संकेत देती हैं।
वैश्विक समीकरण पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव: तकनीकी प्रगति, विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता में, पारंपरिक शक्ति समीकरण को चुनौती प्रदान करती है।
प्रतिबंधों का घटता महत्त्व: गठबंधनों और शक्ति समीकरणों के बदलते परिदृश्य में,प्रतिबंध अपनी प्रभावकारिता खो रहे हैं।
परमाणु हथियारों की दौड़ और हथियार नियंत्रण:
शस्त्र नियंत्रण समझौतों की प्रभावकारिता में कमी: हथियार नियंत्रण समझौतों की प्रभावकारिता में कमी परमाणु वारहेड और क्रूज मिसाइलों के विकास को बढ़ावा देते हैं, जिससे परमाणु संघर्ष का खतरा बढ़ जाता है।
निष्कर्ष
विश्व एक खतरनाक दौर से गुजर रहा है। प्रभावशाली नेतृत्व की अनुपस्थिति, लगातार चल रहे युद्ध, और आर्थिक तथा तकनीकी उथल-पुथल का मंडराता खतरा एक संभावित विनाशकारी परिदृश्य का निर्माण करता है।
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