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जनरेशन Z(जेन-Z) विरोध प्रदर्शन

Lokesh Pal November 12, 2025 05:00 30 0

संदर्भ:

जेन Z (1997-2012) सक्रियता को नए रूप में परिभाषित कर रहा है, जिसमें “फिजिटल एक्टिविज्म” का एक नया रूप शामिल है, जो ऑनलाइन लामबंदी को ऑफलाइन विरोध के साथ जोड़ता है और वैश्विक स्तर राजनीतिक परिणामों को प्रभावित करता है।

डिजिटल सक्रियता और अरब स्प्रिंग (2010-11)

  • जन आंदोलन के साधन के रूप में सोशल मीडिया: अरब स्प्रिंग के दौरान, फेसबुक और ट्विटर जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म सत्तावादी शासन के विरुद्ध बड़े पैमाने पर नागरिक आंदोलन के साधन बन गए।
  • उदाहरण: मिस्र आंदोलन के दौरान फेसबुक पेज “वी आर ऑल खालिद सईद(We Are All Khalid Saeed)” ने लगभग 400,000 लोगों को आकर्षित किया, जिससे राज्य की क्रूरता और भ्रष्टाचार के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन को बढ़ावा मिला।
  • विद्वानों की अंतर्दृष्टि: हॉवर्ड और हुसैन के अनुसार, सोशल मीडिया ने लामबंदी की बाधाओं को कम किया, जिससे तीव्र जन कार्रवाई संभव हुई, जबकि फ्रीलॉन के अनुसार, इससे क्रांति में तेजी तो आई, लेकिन यह इसका कारण नहीं बना, क्योंकि इसकी जड़ें बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और दमन में निहित था।

जेनरेशन Z सक्रियता का उदय

  • जनरेशन Z कार्यकर्ताओं की प्रोफ़ाइल: जनरेशन Z डिजिटल दुनिया से संबंधित होते हैं जो मुख्य रूप से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों में संलग्न होते हैं।
  • सक्रियता के उपकरण और रणनीति: उनकी सक्रियता लघु, दृश्य, वायरल सामग्री (रील्स, टिकटॉक, यूट्यूब शॉर्ट्स) पर निर्भर करती है और तीखी राजनीतिक आलोचना के लिए वे व्यंग्य और मीम्स का उपयोग करते है।
  • पहचान निर्माण: जनरेशन जेड की लगभग 66% सक्रियता डिजिटल है और वे सोशल मीडिया का उपयोग केवल संचार के लिए ही नहीं करते हैं, बल्कि मुद्रास्फीति, बेरोजगारी और स्वास्थ्य सेवा जैसे मुद्दों पर राजनीतिक पहचान और एकजुटता बनाने के लिए भी करते हैं।

डिजिटल मोबिलाइजेशन के वैश्विक उदाहरण

  • मोरक्को (असमानता की डिजिटल आलोचना): जेनरेशन Z ने अभिजात्य समारोहों और रोज़मर्रा की सामाजिक दुर्दशा के बीच के अंतर को उजागर करते हुए वायरल रील और टिकटॉक वीडियो का निर्माण किया। प्रदर्शनकारियों ने “वन पीस” एनीमे ध्वज का उपयोग रचनात्मक भ्रष्टाचार विरोधी प्रतीक के रूप में किया।
  • नेपाल (अभिजात्यवाद विरोधी आंदोलन): “नेपो किड्स” (राजनेताओं और नौकरशाहों के बच्चे) की भव्य जीवनशैली को उजागर करने वाले लघु वीडियो ने बड़े पैमाने पर आक्रोश उत्पन्न किया
  • श्रीलंका (अरागालय, 2022, आर्थिक संकट लामबंदी): लगभग 70% विरोध समन्वय फेसबुक समूहों और लाइव स्ट्रीम के माध्यम से हुआ, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर लामबंदी हुई और अंततः सत्तारूढ़ दल को इस्तीफा देना पड़ा
  • यूएसए (ब्लैक लाइव्स मैटर मूवमेंट): टिकटॉक और लघु-वीडियो प्लेटफार्मों ने 15-26 मिलियन लोगों को संगठित करने में मदद की, जिससे यह आधुनिक इतिहास के सबसे बड़े नागरिक अधिकार आंदोलनों में से एक बन गया।
  • बांग्लादेश(कोटा-विरोधी प्रदर्शन): व्हाट्सएप समूहों ने कोटा-विरोधी प्रदर्शनों के दौरान विश्वविद्यालयों में छात्रों को त्वरित संदेश भेजने और वास्तविक समय पर एकत्रित करने में मदद की।
  • ईरान (महिलाओं के नेतृत्व में हिजाब विरोधी प्रदर्शन): इंस्टाग्राम रील्स ने सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन के दौरान भी आंदोलन को जारी रखा, जिससे वीडियो का वैश्विक प्रवर्धन संभव हुआ।
  • हांगकांग और मंगोलिया: टेलीग्राम और डिस्कॉर्ड जैसे एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म का उपयोग बिना पहचान वाले नेताओं के विरोध प्रदर्शनों को समन्वित करने के लिए किया गया

डिजिटल/जेन Z सक्रियता से संबंधित चुनौतियाँ

  • एल्गोरिदम जाल और ध्रुवीकरण: एल्गोरिदम उपयोगकर्ताओं को केवल उनकी मौजूदा मान्यताओं से मेल खाने वाली सामग्री दिखाकर प्रतिध्वनि कक्ष का निर्माण करते हैं, जिससे सामाजिक और राजनीतिक ध्रुवीकरण गहरा होता है।
  • गलत सूचना, डीपफेक और अराजकता: बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शनों के दौरान डीपफेक वीडियो के कारण हिंसक दंगे हुए, जिससे यह साबित हुआ कि ऑनलाइन गलत सूचना वास्तविक विश्व में अशांति उत्पन्न कर सकती है।
  • डॉक्सिंग और डिजिटल सतर्कतावाद: हांगकांग और फिलीपींस जैसे स्थानों में, विरोध प्रदर्शन के विरोधियों को व्यक्तिगत डेटा के सार्वजनिक प्रदर्शन का सामना करना पड़ा है, डॉक्सिंग का उपयोग भय और उत्पीड़न के उपकरण के रूप में किया जाता है।
    • डॉक्सिंग का तात्पर्य बिना सहमति के ऑनलाइन निजी जानकारी का खुलासा करना है, जिसका उद्देश्य आमतौर पर व्यक्तियों को धमकाने, शर्मिंदा करने या डराना होता है।
  • साइबर-यूटोपियनवाद: मोरोज़ोव ने अपनी पुस्तक नेट डिल्यूज़न, 2011 में चेतावनी दी है कि इंटरनेट स्वाभाविक रूप से मुक्तिदायक नहीं है; सत्तावादी सरकारें निगरानी और नियंत्रण के लिए डिजिटल उपकरणों का उपयोग करती हैं।
  • सरकारी प्रतिक्रिया: राज्य इंटरनेट शटडाउन और प्लेटफॉर्म प्रतिबंधों (जैसे, नेपाल में टिकटॉक पर प्रतिबंध) के साथ प्रतिक्रिया करते हैं, जिससे आजीविका बाधित होती है और जनता का आक्रोश बढ़ता है।
  • स्लैक्टिविज्म बनाम वास्तविक प्रभाव: हालाँकि कुछ सक्रियता ऑनलाइन शोर (“स्लैक्टिविज्म”) तक ही सीमित रहती है, नेपाल, बांग्लादेश और मेडागास्कर के उदाहरण बताते हैं कि डिजिटल लामबंदी सरकारों को गिरा सकती है।

निष्कर्ष

जनरेशन Z की “फिजिटल एक्टिविज्म” ने डिजिटल लामबंदी के माध्यम से विरोध को फिर से परिभाषित किया है, लेकिन एल्गोरिदम, डीपफेक और निगरानी से बढ़ते खतरे मजबूत डिजिटल साक्षरता, नैतिक जुड़ाव और नियामक सतर्कता की मांग करते हैं

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: जनरेशन Z की ‘फिजिटल’ सक्रियता के संदर्भ में सोशल मीडिया (मोबिलाइज़ेशन बनाम गलत सूचना) के द्वंद्व का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। राज्य के दमन की सीमाओं पर चर्चा कीजिए और इसके नियमन के लिए स्थायी, सहयोगात्मक मॉडल सुझाइए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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