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भारत द्वारा वैश्विक एआई नेतृत्व : मिशन पूर्व ठोस रणनीति आवश्यक

Lokesh Pal July 03, 2025 05:15 17 0

संदर्भ

भारत वैश्विक एआई शासन का नेतृत्व करने की इच्छा रखता है, लेकिन उसके पास एक व्यापक राष्ट्रीय रणनीति का अभाव है। लोकतांत्रिक निगरानी और संस्थागत स्पष्टता के अभाव में उसकी यह महत्वाकांक्षा तकनीकी रूप से अप्रभावी होने का जोखिम उठाती है।

भारत के वर्तमान प्रयास

  • वर्तमान में, भारत के एआई प्रयास मुख्य रूप से इंडियाएआई मिशन के माध्यम से संचालित होते हैं, जिसका नेतृत्व नौकरशाह करते हैं और यह इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक गैर-लाभकारी संस्था के रूप में कार्य करता है।

मूलभूत दोष: मिशन रणनीति की जगह नहीं ले सकते

  • भारत की महत्त्वाकांक्षा के समक्ष सबसे गंभीर बाधा: एक व्यापक, लोकतांत्रिक रूप से संगठित राष्ट्रीय एआई रणनीति का अभाव।
  • भारत एआई मिशन, अपने अस्तित्व के बावजूद, एक पूर्ण राष्ट्रीय रणनीति का स्थान नहीं ले सकता।
  • मिशन पूर्वनिर्धारित प्राथमिकताओं को क्रियान्वित करने के साधन हैं; वे तभी प्रभावी होते हैं जब उन प्राथमिकताओं को स्पष्ट रूप से स्थापित कर दिया गया हो
  • भारत ने अभी तक एआई के लिए अपनी मौलिक राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त नहीं किया है।

अनुत्तरित प्रश्न और गंभीर जोखिम

एआई के प्रति भारत का दृष्टिकोण अनुत्तरित मूलभूत प्रश्नों से भरा हुआ है।

निम्नलिखित को परिभाषित करने की आवश्यकता है:

  • एआई के लिए भारत की राष्ट्रीय प्राथमिकताएं क्या हैं?
  • कौन से शासन मूल्यों को एआई के विकास और परिनियोजन का मार्गदर्शन करना चाहिए?
  • एआई के लिए जिम्मेदार संस्थाओं की संरचना और संचालन किस प्रकार किया जाना चाहिए?

आधारभूत प्रश्नों को छोड़ने के रणनीतिक जोखिम

  • समझौतापूर्ण नेतृत्व और रणनीतिक स्वायत्तता: अपनी स्वयं की स्पष्ट रणनीति के बिना, भारत को विदेशी एआई प्रौद्योगिकियों पर रणनीतिक रूप से निर्भर होने का खतरा है।
  • अपारदर्शी और अलोकतांत्रिक शासन: वर्तमान शून्यता एक ऐसे एआई संचालित शासन मॉडल को जन्म दे सकती है जो तकनीकी, अपारदर्शी और लोकतांत्रिक वैधता से रहित है। इसका मतलब यह होगा कि तकनीकी विशेषज्ञों के एक छोटे समूह द्वारा पर्याप्त सार्वजनिक बहस या जवाबदेही के बिना महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाएँगे।
  • तकनीकी निर्भरता: हाल की भू-राजनीतिक घटनाएं इस बात को रेखांकित करती हैं कि किस प्रकार बाह्य प्रौद्योगिकी पर निर्भरता का उपयोग अन्य राष्ट्रों द्वारा रणनीतिक लाभ के लिए किया जा सकता है
  • डेटा गवर्नेंस संबंधी चुनौतियाँ: डेटा एआई के लिए मूलभूत कच्चा माल उपलब्ध है। सार्वजनिक डेटा प्लेटफ़ॉर्म डेटा का प्रबंधन, एक्सेस और संचालन कैसे करते हैं, इसके लिए पारदर्शी और लोकतांत्रिक रूप से बहस किए गए ढाँचों के बिना, भारत में कॉर्पोरेट एकाधिकार को मजबूत करने और जनता के विश्वास को विचलित करने का जोखिम है।
  • रोजगार व बाजार में व्यवधान: एआई पहले से ही भारत के श्रम बाजार को बदल रहा है।
    • भारत की शीर्ष आईटी कंपनियों ने एआई एकीकरण के कारण हजारों नौकरियां खत्म कर दी हैं।
    • कार्यबल को एक महत्वपूर्ण जनरेटिव एआई से कार्यबल को विस्थापन जोखिम का सामना करना पड़ता है
    • राष्ट्रीय एआई पहल में रोजगार परिवर्तन, कार्यबल नियोजन या सामाजिक सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया है।
      • चर्चाएं बहुत ही संकीर्ण तकनीकी स्तर पर हैं, जिनमें श्रम अर्थशास्त्रियों, नागरिक समाज या कार्यबल विशेषज्ञों से न्यूनतम इनपुट लिया गया है।
  • ऊर्जा और जल तनाव: एआई प्रणालियाँ ऊर्जा-गहन हैं।
    • वैश्विक डेटा सेंटरस् में बिजली की मांग दोगुनी होने की उम्मीद है।
    • भारत पहले से ही बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे प्रमुख प्रौद्योगिकी केंद्रों में बिजली की कमी और पानी की कमी का सामना कर रहा है।
    • फिर भी, नीतिगत चर्चाओं में ऊर्जा और जल से जुड़े इन महत्वपूर्ण निहितार्थों पर शायद ही कभी ध्यान दिया जाता है।
  • नैतिक चिंताएं और सार्वजनिक विश्वास का क्षरण: चूंकि एआई को स्वास्थ्य सेवा, पुलिसिंग और कल्याण जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में एकीकृत किया जा रहा है, इसलिए पूर्वाग्रह, भेदभाव और जवाबदेही की कमी के जोखिम बढ़ रहे हैं।
    • मजबूत नियामक ढांचे के बिना, जनता का विश्वास अनिवार्य रूप से कम या प्रभावित हो सकता है।

आगे की राह

  • राष्ट्रीय एआई रणनीति: एक व्यापक राष्ट्रीय एआई रणनीति केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित व विकसित की जानी चाहिए, जो कि संसद में समग्र बहस के लिए प्रस्तुत की जाए।
  • एआई पर संसदीय स्थायी समिति: एआई और उभरती प्रौद्योगिकियों पर संसद के भीतर एक स्थायी समिति स्थापित की जानी चाहिए।
    • यह निकाय सरकार की एआई पहलों की देखरेख करेगा, नैतिक चिंताओं का समाधान करेगा, जवाबदेही सुनिश्चित करेगा और सार्वजनिक परामर्श को सक्षम करेगा।
  • एआई-संचालित रोजगार व्यवधान पर प्रभाव का अध्ययन: एक राष्ट्रीय आयोग को विभिन्न क्षेत्रों में एआई के रोजगार प्रभावों पर विस्तृत अध्ययन करना चाहिए, जिसमें प्रवेश स्तर की सफेदपोश नौकरियों के व्यवधान पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

वैश्विक एआई शासन में भारत की विश्वसनीयता घरेलू स्तर पर सामंजस्य और लचीलेपन पर निर्भर करती है। अगर भारत को एआई शासन का एक मजबूत वैश्विक नेतृतत्वकर्ता बनना है, तो लोकतांत्रिक सहमति और मजबूत संस्थागत ढांचा बनाना होगा जो कि वर्तमान परिस्थितियों में एक चुनौतीपूर्ण होने के साथ ही आवश्यक भी है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: वैश्विक एआई शासन में अग्रणी होने की भारत की महत्वाकांक्षा एक मजबूत राष्ट्रीय रणनीति की अनुपस्थिति के कारण कमजोर हो रही है। इस अंतर के जोखिमों पर चर्चा करें और समावेशी, जवाबदेह एआई शासन सुनिश्चित करने हेतु भारत द्वारा अपनाए जा सकने योग्य प्रभावी उपायों का सुझाव दें।

(10 अंक, 150 शब्द)

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