100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

वैश्विक प्लास्टिक संधि

Lokesh Pal May 08, 2024 05:30 118 0

प्रीलिम्स के लिए प्रासंगिकता: वैश्विक प्लास्टिक संधि, संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन 2023 या COP28, जलवायु पर 2015 का पेरिस समझौता, कार्बन उत्सर्जन, प्रकृति और लोगों हेतु अति महत्वाकांक्षी गठबंधन के संबंध में I

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम (2021)

संदर्भ :

हाल ही में,वैश्विक प्लास्टिक संधि पर  चौथे दौर की वार्ता संपन्न हुई| जिसमें संयुक्त राष्ट्र के कम से कम 175 सदस्य देशों  द्वारा  प्लास्टिक के उपयोग को खत्म करने की दिशा में एक महत्वाकांक्षी पहल की शुरुआत हुई।

 वैश्विक प्लास्टिक संधि के संबंध में प्रगति:

  • लक्ष्य: इस संधि का लक्ष्य वर्ष 2024 के अंत तक एक कानूनी दस्तावेज को अंतिम रूप देना है,  जिसके तहत तय समय सीमा तक देशों को प्लास्टिक उत्पादन पर अंकुश लगाने, प्लास्टिक प्रयोग द्वारा कचरा उत्पन्न करने संबंधी प्रवृति को ख़त्म करने, प्लास्टिक उत्पादन में प्रयोग किए जाने वाले कुछ रसायनों पर प्रतिबंध लगाने और रीसाइक्लिंग हेतु लक्ष्य निर्धारित करने के संबंध में सहमत होना होगा।
  • वार्ता का स्थगन : दुर्भाग्यवश इस दिशा में कोई समझौता रूप लेता नज़र नहीं आ रहा । इस वर्ष  नवंबर माह में बुसान, दक्षिण कोरिया में वार्ता का एक और दौर निर्धारित है।

वार्ता से जुड़ी चुनौतियाँ:

  • सख्त  समय सीमा को लेकर अनिच्छा: सऊदी अरब, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, भारत और ईरान जैसे तेल उत्पादक और रिफाइनिंग देश प्लास्टिक उत्पादन को खत्म करने संबंधी सख्त समय सीमा को लेकर अनिच्छुक दिखाई देते हैं।
    • अफ्रीकी देशों का एक गठबंधन, जिसे कई यूरोपीय देशों द्वारा समर्थन प्राप्त है,कटौती हेतु समय-सीमा के रूप में 2040 के आसपास के एक वर्ष को सुनिश्चित करने के लिये सहमत हो गया है।
  • निर्णय लेने की प्रक्रिया पर असहमति: संधि में विवादास्पद तत्वों पर वोट द्वारा या सर्वसम्मति द्वारा निर्णय लिये जाने के संबंध में भी देशों के मध्य असहमति व्याप्त है एवं सर्वसम्मति द्वारा निर्णय लिये जाने का अर्थ होगा प्रत्येक देश के पास वीटो का अधिकार होना I
  • भारत द्वारा व्यक्त चिंताएँ: बाध्यकारी लक्ष्यों एवं असुविधा के अलावा, भारत का रुख इस बात पर जोर देता है कि प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी उपायों के विकल्पों की उपलब्धता, पहुंच और सामर्थ्य संबंधी विचार सुनिश्चित होने चाहिए।
    • इसमें लागत निहितार्थों को संबोधित करना और क्षमता निर्माण, तकनीकी सहायता, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और वित्तीय सहायता हेतु व्यवस्था का विशेष रूप से पालन करना शामिल है।
  • साझा परन्तु विभेदित जिम्मेदारी का सिद्धांत: देखा जाए भारत का रुख विशिष्ट नहीं है बल्कि यह जलवायु वार्ताओं में अक्सर देखे जाने वाले ‘साझा परन्तु विभेदित जिम्मेदारी’ के सिद्धांत को प्रतिध्वनित करता है।
    • इस सिद्धांत के अनुसार, जबकि सभी देश एक समान लक्ष्य साझा करते हैं, अधिक विशेषाधिकार प्राप्त देशों से दूसरे देशों का समर्थन करने और स्वयं सख्त लक्ष्य अपनाने की अपेक्षा की जाती है।

भारत की प्लास्टिक नीति से सम्बंधित चुनौतियाँ:

प्लास्टिक प्रदूषण का वैश्विक वितरण:

  • गैर-लाभकारी ईए अर्थ एक्शन (EA Earth Action) की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्लास्टिक प्रदूषण का वैश्विक वितरण असमान है एवं 60% प्लास्टिक कचरे के लिए ब्राजील, चीन, भारत और अमेरिका जिम्मेदार हैं।

  • एकल-उपयोग प्लास्टिक (SUP) प्रतिबंध: वर्ष 2022 में, भारत द्वारा प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम (2021) लागू किया गया , जिसके तहत एकल-उपयोग प्लास्टिक की 19 श्रेणियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
    •  हालाँकि, इसमें प्लास्टिक बोतलें, यहाँ तक कि 200 मिलीलीटर से कम की बोतलें और बहुस्तरीय पैकेजिंग बक्से (यथा दूध के डिब्बे) शामिल नहीं हैं I
  • SUP प्रतिबंध का असंगत प्रवर्तन: इसके अलावा, एकल-उपयोग प्लास्टिक वस्तुओं पर प्रतिबंध भी राष्ट्रीय स्तर पर समान रूप से लागू नहीं किया गया है क्योंकि कई आउटलेट द्वारा इन वस्तुओं की खुदरा बिक्री जारी हैं।

निष्कर्ष:

जिस प्रकार जीवाश्म ईंधन की अस्वीकार्यता कई चुनौतियों को आमंत्रित करता है, उसी प्रकार प्लास्टिक प्रदूषण को केवल संधियों पर हस्ताक्षर द्वारा समाप्त नहीं किया जा सकता है। यथार्थवादी लक्ष्य तय करने से पहले वैकल्पिक उत्पादों में ज्यादा से ज्यादा निवेश करने और उन्हें किफायती बनाने की आवश्यकता है।

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :                                                                         (UPSC: 2019)          

प्रश्न. पर्यावरण में निर्मुक्त हो जाने वाली ‘सूक्ष्म मणिकाओं (माइक्रोबीड्स)’ के विषय में अत्यधिक चिंता क्यों है?

  1. उन्हें समुद्री परितंत्रों के लिये हानिकारक माना जाता  है।
  2. यह बच्चों में त्वचा कैंसर होने का कारण मानी जाती है।
  3. यह इतनी छोटी होती है कि सिंचित क्षेत्रों में फसल पादपों द्वारा अवशोषित हो जाती है।
  4. अक्सर इनका इस्तेमाल खाद्य-पदार्थ मिलावट के लिये किया जाता है।

उत्तर: (a)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.