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भारतीय रेलवे में ग्रीनवाशिंग : डीजल इंजनों की बर्बादी का मुद्दा

Lokesh Pal December 17, 2024 05:30 27 0

संदर्भ: 

रेलवे के 100% विद्युतीकरण के लिए सरकार के प्रयासों के कारण पुराने डीजल इंजन बेकार हो गए हैं । हाल ही में, छह इंजनों को रूपांतरण के बाद अफ्रीका में निर्यात किया जा रहा है, लेकिन आलोचकों का मानना ​​है कि यह संपत्ति की बर्बादी है और यह दोषपूर्ण, महत्वाकांक्षी नीतियों का परिणाम है।

अनावश्यक डीजल इंजनों के मुद्दे को समझना:

  • भारतीय रेलवे के सम्पूर्ण ब्रॉड गेज नेटवर्क के विद्युतीकरण के कारण सैकड़ों डीजल-इलेक्ट्रिक इंजन बेकार हो गए हैं। हालांकि इनमें से अनेक इंजनों का जीवनकाल अभी भी कई वर्ष तक आँका गया है।
  •  आरटीआई के आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च 2023 तक विभिन्न रेलवे यार्डों में 585 डीजल इंजन निष्क्रिय पड़े थे। 
  • 2024 तक यह आंकड़ा बढ़कर 760 इंजनों तक पहुंच जाएगा, जिनमें से 60% से अधिक का अवशिष्ट जीवन 15 वर्ष से अधिक होगा।
  • यह अतिरेक सरकार द्वारा भारतीय रेलवे के 100% विद्युतीकरण के लिए तीव्र गति से किए जा रहे प्रयासों से उपजा है।

मिशन 100% विद्युतीकरण – शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन की ओर बढ़ना

मिशन के उद्देश्य निम्नानुसार हैं:

  • जनता को हरित एवं स्वच्छ परिवहन उपलब्ध कराना।
  • रेलवे पटरियों के किनारे उपलब्ध विशाल भूमि का उपयोग करके नवीकरणीय ऊर्जा, विशेष रूप से सौर ऊर्जा की क्षमता का सतत उपयोग करना।

रेलवे विद्युतीकरण के प्रमुख निहितार्थ 

1. विदेशी मुद्रा की बचत:

  • रेलवे परिचालन में डीजल के उपयोग को समाप्त करके कच्चे तेल के आयात की आवश्यकता को कम किया जाएगा।

2. पर्यावरण प्रदूषण को कम करना:

  • विद्युतीकरण को डीजल के स्वच्छ विकल्प के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे उत्सर्जन कम करने में मदद मिलती है।
  • स्थिरता लक्ष्यों के साथ संरेखित करते हुए, सौर और पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तन का समर्थन करता है।

आलोचकों का प्रति-दृष्टिकोण:

  • कच्चे तेल की बचत पर नगण्य प्रभाव: रेलवे ट्रैक्शन के लिए डीजल की खपत भारत के कुल डीजल उपयोग (2021-22) का सिर्फ 2% है, जबकि ट्रकों में 28% और कृषि में 13.2% खपत होती है। 
    • इस प्रकार, रेलवे में डीजल के उपयोग को समाप्त करने से विदेशी मुद्रा बचत पर नगण्य प्रभाव पड़ेगा।
  • पर्यावरणीय दावों की तथ्यहीनता : विद्युत, एक द्वितीयक ऊर्जा स्रोत है, जो मुख्य रूप से कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों के माध्यम से उत्पन्न होती है, जो भारत के कुल विद्युत उत्पादन में लगभग 50% का योगदान करते हैं।
    • भारतीय रेलवे इस कोयला-केंद्रित चक्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है: 2023-24 मेंइसकी माल ढुलाई आय का 40% बिजली संयंत्रों तक कोयले के परिवहन से प्राप्त हुआ था।
    • विरोधाभास की स्थिति : कोयला आधारित बिजली से चलने वाले विद्युत इंजनों का उपयोग ताप विद्युत उत्पादन के लिए अधिक कोयले के परिवहन के लिए किया जाता है।
    • परिणामस्वरूप, प्रदूषण समाप्त नहीं होता बल्कि कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में स्थानांतरित हो जाता है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है।
      • आलोचकों का तर्क है कि जब तक भारत की 80% बिजली सौर और पवन जैसे नवीकरणीय स्रोतों से नहीं आएगी – जो कि एक दूरगामी लक्ष्य है – तब तक “हरित रेलवे” की परिकल्पना अवास्तविक और अस्थाई बनी रहेगी।
  • बर्बाद होती संरचना संपत्तियों का मुद्दा: भारतीय रेलवे के पास वर्तमान में 4,000 से अधिक डीजल इंजन हैं। 100% विद्युतीकरण की योजना के बावजूद, इनमें से काफी संख्या में इंजन उपयोग में रहेंगे:
    • 2,500 डीजल इंजनों को “आपदा प्रबंधन और रणनीतिक उद्देश्यों” के लिए रखा जाना है।
    • आगामी वर्षों में यातायात की मांग को पूरा करने के लिए 1,000 इंजनों का परिचालन जारी रहेगा।
    • इससे 100% विद्युतीकरण की तात्कालिकता पर प्रश्न उठते हैं तथा प्रमुख चिंताएं उजागर होती हैं:
      • समयपूर्व बर्बादी: पर्याप्त सेवा जीवन शेष की स्थिति वाले लगभग 760 इंजनों को या तो दरकिनार कर दिया गया है या अनावश्यक रूप से स्क्रैप यार्ड में भेज दिया गया है।
      • वित्तीय निहितार्थ: विद्युतीकरण पर करदाताओं का भारी व्यय, हजारों करोड़ रुपये की अल्प-उपयोगित परिसंपत्तियों के विपरीत है।
      • आलोचकों का तर्क है कि इस तरह की पहल, सार्वजनिक प्रशंसा प्राप्त करने के लिए प्रस्तुत की जाती हैं, लेकिन वास्तविक जमीनी प्रगति को प्रतिबिंबित करने में यह विफल रहती हैं

निष्कर्ष:

यद्यपि “हरित रेलवे” की महत्वाकांक्षी अवधारणा सराहनीय है, लेकिन मिशन 100%  विद्युतीकरण    का कार्यान्वयन इसकी योजना और दीर्घकालिक स्थिरता के बारे में चिंताएँ पैदा करता है।  एक सफल संक्रमण के लिए अक्षय ऊर्जा और बेहतर परिसंपत्ति प्रबंधन की ओर  वास्तविक बदलाव की आवश्यकता होती है। भारतीय रेलवे को अपने हरित उद्देश्यों को  सार्थक रूप से प्राप्त करने के लिए आधुनिकीकरण प्रयासों को आर्थिक व्यवहार्यता और  पर्यावरणीय वास्तविकताओं के साथ जोड़ना चाहिए।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: भारतीय रेलवे का 100% विद्युतीकरण का मिशन, हालांकि महत्वाकांक्षी है, लेकिन पर्यावरणीय लाभों और आर्थिक व्यवहार्यता के संदर्भ में कई विरोधाभास प्रस्तुत करता है। इसमें विद्यमान प्रमुख चुनौतियों का आलोचनात्मक विश्लेषण करें और रेलवे के सतत आधुनिकीकरण के लिए संतुलित दृष्टिकोण सुझाएँ।

(15 अंक, 250 शब्द)

 

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