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भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा (LoC) पर बढ़ती चिंताएँ और विवाद

Lokesh Pal May 05, 2025 05:15 19 0

संदर्भ:

पाकिस्तान ने लगातार आठ रातों से नियंत्रण रेखा (LoC) और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन किया है। ये उल्लंघन 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद शुरू हुए थे, जिसमें 26 भारतीय नागरिक मारे गए थे।

मुख्य बिंदु

  • भारतीय सेना ने भी उचित जवाब दिया है, जिसमें अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।
  • यह 2021 के सैन्य संचालन महानिदेशालय (DGMOs) की संयुक्त पुनः प्रतिबद्धता के बाद से संघर्ष विराम का सबसे तीव्र उल्लंघन है।

भारत-पाकिस्तान युद्धविराम

  • युद्ध विराम आपसी समझ के आधार पर प्रारंभ: प्रारंभ में, युद्ध विराम आपसी समझ पर आधारित था, न कि औपचारिक समझौते पर
  • कराची समझौता, 1949: 1948-49 के युद्ध के बाद 1949 में कराची समझौते के माध्यम से युद्ध विराम को औपचारिक रूप दिया गया।
  • शिमला समझौते द्वारा पुनःवर्णन (1972): 1972 में शिमला समझौते ने युद्धविराम रेखा को नियंत्रण रेखा (LoC) के रूप में पुनः परिभाषित किया

नियंत्रण रेखा और अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) संदर्भ:

  • आधिकारिक अंतर्राष्ट्रीय सीमा नहीं: नियंत्रण रेखा आधिकारिक अंतर्राष्ट्रीय सीमा नहीं है, लेकिन इसका सैन्य महत्त्व अधिक है
  • नियंत्रण रेखा का भौगोलिक विस्तार: नियंत्रण रेखा कश्मीर में संगम से लेकर सियाचिन के पास NJ-9842 तक लगभग 740 किमी. क्षेत्र में विस्तृत है
  • जम्मू की अंतर्राष्ट्रीय सीमा मान्यता: भारत जम्मू में अंतर्राष्ट्रीय सीमा को मान्यता देता है, जबकि पाकिस्तान इसे “कार्यकारी सीमा” कहता है।

नियंत्रण रेखा का सैन्यीकरण

  • भारी सैन्यीकरण क्षेत्र: नियंत्रण रेखा पर दोनों ओर सेना और सैन्य प्रतिष्ठान दोनों भारी संख्या में तैनात हैं।
  • नियंत्रण रेखा की गतिशील प्रकृति: मौसमी बर्फबारी, घुसपैठ के जोखिम और क्षेत्रीय विवादों के कारण नियंत्रण रेखा प्रायः बदलती रहती है
  • परमाणु-सशस्त्र तनाव: परमाणु-सशस्त्र बलों की उपस्थिति नियंत्रण रेखा को लगातार तनावपूर्ण क्षेत्र बनाती है।

युद्धविराम उल्लंघन और उसका कारण

  • 1972 के बाद युद्धविराम की समाप्ति: 1972 के बाद पहली गोलीबारी की घटना के बाद युद्ध विराम तकनीकी रूप से समाप्त हो गया, जिसके कारण बार-बार उल्लंघन होने लगे।
  • संकट के दौरान उल्लंघन में वृद्धि: संघर्ष विराम उल्लंघन राजनीतिक या सैन्य संकटों के दौरान बढ़ जाते हैं, जैसे- 1990 के दशक या 2016 के बाद।
  • उल्लंघन के कारण:
    • सामरिक जाँच या सैन्य प्रतिशोध: उल्लंघन सैन्य रणनीति, प्रतिशोध या नए कमांडरों का परीक्षण करने के कारण हो सकता है।
    • स्वायत्त सैन्य कारक: उल्लंघन हमेशा केंद्रीय नेतृत्व द्वारा निर्देशित नहीं हो सकते हैं, जो स्थानीय सैन्य गतिशीलता पर आधारित कार्रवाइयों का संकेत देते हैं।
    • जानबूझकर या स्थानीयकृत उल्लंघन: उल्लंघन जानबूझकर या स्थानीयकृत हो सकते हैं, जो जमीनी हकीकत से प्रभावित हो सकते हैं

नियंत्रण तंत्र और संचार

  • अलिखित SOP: इसमें संलग्नता के कोई सख्त नियम नहीं हैं, कार्य प्रायः अलिखित मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOP) द्वारा निर्देशित होते हैं
  • डी-एस्केलेशन उपकरण:
    • फ्लैग मीटिंग: ये तनाव कम करने की प्रक्रिया के एक भाग के रूप में आयोजित की जाती हैं।
    • डीजीएमओ हॉटलाइन: दिल्ली और रावलपिंडी स्थित सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच सीधा संवाद तनाव प्रबंधन में मदद करता है।
  • नियंत्रण किन्तु रोकथाम नहीं: हालाँकि ये तंत्र स्थिति को नियंत्रित करने में मदद करते हैं, लेकिन वे भविष्य में उल्लंघन को रोक नहीं सकते

नवीनीकृत युद्धविराम समझौता (2021)

  • 2003 के समझौते का आह्वान: 2021 का युद्धविराम समझौता, 2003 के समझौते पर आधारित था।
  • नवीकरण के लिए प्रेरणाएँ:
    • पाकिस्तान की अस्थिरता और अफगान सीमा पर खतरे: आंतरिक अस्थिरता और अफगान सीमा पर सुरक्षा चिंताओं ने पाकिस्तान के निर्णय को प्रभावित किया।
    • चीन और लद्दाख पर भारत का ध्यान: भारत का ध्यान चीन के साथ स्थिति को प्रबंधित करने की ओर स्थानांतरित हो गया, विशेष रूप से लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर
  • समझौते का परिणाम: नए सिरे से युद्ध विराम के कारण उल्लंघन में व्यापक कमी आई, जिससे नागरिकों को बेहतर सुरक्षा लाभ मिला और सीमा पर कृषि गतिविधियों में भी सुधार हुआ।

वर्तमान संकट और रणनीतिक विचार

  • पाकिस्तान की रणनीति: हालिया उल्लंघनों से पाकिस्तान को पहलगाम हमले के बाद भारत पर दबाव और निगरानी बनाए रखने में मदद मिली है।
  • भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया: भारत को जवाबी कार्रवाई को व्यापक रणनीतिक चिंताओं के साथ संतुलित करना होगा, जिनमें शामिल हैं:
    • आतंकवादी हमलों के प्रति प्रतिक्रिया: आतंकवादी हमलों के प्रति भारत की सैन्य और कूटनीतिक प्रतिक्रिया प्राथमिकता बनी हुई है।
    • सीमा सुरक्षा बल के जवानों का प्रबंधन: भारत को दुर्घटनावश सीमा पार करने के बाद बीएसएफ जवानों के पकड़े जाने जैसी घटनाओं पर ध्यान देना चाहिए।
  • कम तीव्रता वाला संघर्ष, जिसके बढ़ने की संभावना है: सीमा पार गोलीबारी, हालाँकि कम तीव्रता वाली होती है, फिर भी संघर्ष का एक जोखिमपूर्ण रूप बनी हुई है, जिसके और बढ़ने की संभावना है।

निष्कर्ष

भारत-पाकिस्तान युद्ध विराम अभी भी संवेदनशील बना हुआ है, हाल ही में हुए उल्लंघनों ने मौजूदा तनाव को उजागर किया है। नियंत्रण रेखा अभी भी एक सैन्यीकृत और अस्थिर क्षेत्र बनी हुई है, जहाँ राजनीतिक और सैन्य कारक अस्थिरता को बढ़ावा देते हैं। भारत को आगामी समस्याओं को रोकने के लिए जवाबी कार्रवाई को रणनीतिक हितों के साथ संतुलित करना चाहिए।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) के विकास की जाँच कीजिए। LoC से जुड़े प्रमुख मुद्दे क्या हैं तथा इस सीमापार तनावों को प्रबंधित करने के लिए कौन-से उपाय किए गए हैं?

(15 अंक, 250 शब्द)

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