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भारतीय शहरों का विकास और संबंधित समस्याएँ

Lokesh Pal March 04, 2025 05:00 17 0

“किसी बच्चे को अपनी शिक्षा तक सीमित मत रखें, क्योंकि वह किसी और समय में पैदा हुआ है।” -रवींद्रनाथ टैगोर

संदर्भ: 

वर्तमान समय में भारतीय शहरों में गंभीर प्रदूषण, खराब बुनियादी ढाँचे और अपर्याप्त सार्वजनिक सेवाओं का सामना करना पड़ रहा है। आवश्यक उपायों के बिना, शहरों के निवास योग्य न रहने और असुरक्षित होने का खतरा है।

भारतीय शहरों में विद्यमान प्रमुख चुनौतियाँ

  • वायु प्रदूषण: दिल्ली की वायु गुणवत्ता प्रत्येक शीत ऋतु (दिसंबर से फरवरी माह तक) में अत्यधिक खराब या गंभीर हो जाती है, जिसमें कुल 42 शहर वायु प्रदूषण के मामले में शीर्ष 50 प्रदूषित शहरों में शामिल हैं।
  • जल प्रदूषण: कुल 603 नदियों में से लगभग 50% प्रदूषित हैं, जिनमें यमुना और गंगा जैसी प्रमुख नदियाँ भी शामिल हैं
  • अपशिष्ट प्रबंधन20% से भी कम अपशिष्ट का उपचार किया जाता है| लैंडफिल से अत्यधिक मात्रा में मीथेन गैस निकलती है, जिससे पर्यावरणीय खतरा बढ़ता है।
  • आर्थिक प्रभावस्वच्छ वायु कोष (Clean Air Fund) का अनुमान है, कि वायु प्रदूषण के कारण उत्पादकता में कमी और स्वास्थ्य देखभाल व्यय में प्रतिवर्ष $95 बिलियन की हानि होती  है।
  • चरम मौसममुंबई और बंगलूरू जैसे शहरों से 2023-2024 में बाढ़ और जलभराव के कारण हज़ारों लोग विस्थापित हुए। नई दिल्ली और उत्तर भारतीय क्षेत्रों में 50 डिग्री सेल्सियस के तापमान के साथ लू (एक प्रकार की गर्म स्थानीय पवन) चल रही है, जिससे लोगों को विभिन्न  बीमारियाँ और उनकी मौतें हो रही हैं
  • खराब सार्वजनिक परिवहन: बैंकॉक, लंदन, दुबई और सिंगापुर जैसे राष्ट्र जहाँ कुशल परिवहन नेटवर्क है, की तुलना में भारतीय शहरों को भीड़-भाड़ या अत्यधिक दबाव की समस्या का सामना करना पड़ता है।
  • आवश्यक सेवाओं में कमी: जल और स्वच्छता संबंधी बुनियादी ढाँचा 2036 तक 600 मिलियन शहरी निवासियों का भरण-पोषण नहीं कर सकता। शहरों में विश्वस्तरीय शहरी नियोजन और शासन का अभाव है।
  • तीव्र नगरीकरण: नगरों की संख्या 1,362 (जनगणना-2001) से बढ़कर 3,894 (जनगणना-2011) हो गई , जो शहरी विकास में एक तिहाई योगदान देता है। 2036 तक लगभग 600 मिलियन से अधिक लोग भारतीय शहरों में निवास करेंगे, जिनके पास इस वृद्धि को आवश्यक सुविधाएँ प्रदान करने हेतु पर्याप्त बुनियादी ढाँचा नहीं है।

शासन संबंधी चुनौतियाँ

  • जनगणना नगरों (Census towns) को ग्रामीण क्षेत्रों के रूप में शासित किया जाता है, जिसके कारण अभिशासन संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
  • खराब नियोजन: शहरी नियोजन और आवश्यक सार्वजनिक सुविधाओं का अभाव।
  • खराब वित्तपोषण: शहरी विकास योजनाओं और वित्तपोषण तक पहुँच में कमी।
  • क्षेत्रीय असमानता: देर में मान्यता प्रदान करने से क्षेत्रीय असमानताएँ और अधिक बढ़ जाती हैं

संबंधित उपाय

  • जलवायु अनुकूल बुनियादी ढाँचा: जलवायु अनुकूल बुनियादी ढाँचे में अत्यधिक तापमान को कम करने के लिए पार्क और हरित छतें जैसे हरित बुनियादी ढाँचे का निर्माण शामिल है। इसमें जलभराव को रोकने के लिए आधुनिक जल निकासी और बाढ़ प्रबंधन प्रणाली भी शामिल है।
    • इसके अतिरिक्त, पूर्व चेतावनी प्रणालियाँ आपदा तैयारी को बेहतर बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं ।
  • विश्व के प्रमुख शहरों द्वारा किए जाने वाले उपाय: 
    • बैंकॉक: कुशल मेट्रो प्रणाली, बेहतर सड़क अवसंरचना और पर्यटन-अनुकूल नीतियाँ।
    • लंदन: निर्बाध सार्वजनिक परिवहन, हरित स्थल और सांस्कृतिक केंद्र।
    • दुबई: व्यापार अनुकूल बुनियादी ढाँचा तथा निवेश प्रोत्साहन।
    • सिंगापुर: स्मार्ट सिटी पहल और पारदर्शी शासन प्रणाली।
  • नगरीय सुधार: नगरों को औपचारिक रूप से शहरी क्षेत्रों के रूप में अधिसूचित किया जाना चाहिए, जिससे उन्हें शासन संरचनाओं में एकीकृत किया जा सके।
  • योजनाओं का पुनर्गठन: सतत योजना, वित्तपोषण और शासन के माध्यम से बुनियादी ढाँचा  अंतराल को संबोधित करना।
  • सिंगापुर द्वारा किए गए उपाय: 1960 के दशक में सिंगापुर को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें भीड़-भाड़, झुग्गी-झोपड़ियाँ, यातायात दबाव, प्रदूषण और जल की कमी शामिल थी। सिंगापुर सरकार द्वारा किए गए प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं: 
    • कुशल भूमि उपयोग और सुदृढ़ बुनियादी ढाँचा।
    • हरित स्थानों के साथ सतत शहरी नियोजन।
    • किफायती आवास और जन परिवहन निवेश।
    • प्रदूषण नियंत्रण के कठोर उपाय।
  • सरकारी पहल: केंद्रीय बजट 2025-26 में प्रस्तुत किए गए ₹1 लाख करोड़ के शहरी चुनौती कोष (Urban Challenge Fund) का उद्देश्य रचनात्मक पुनर्विकास और बेहतर जल एवं स्वच्छता बुनियादी ढाँचे  के माध्यम से शहरों को विकास केंद्र के रूप में बढ़ावा देना है।
    • यह पहल शहरों को विश्व स्तरीय गंतव्यों में बदलने के लिए प्रोत्साहित करती है, साथ ही जन परिवहन, विद्युतीकरण और स्थिरता को भी बढ़ावा देती है।
  • मुख्य क्षेत्र: शहर-स्तरीय ग्रैंड चैलेंज के हिस्से के रूप में शहरों को प्रदूषण नियंत्रण, अपशिष्ट प्रबंधन और शहरी स्थिरता में उनके प्रदर्शन के आधार पर रैंकिंग दी जाएगी
    • प्रमुख मूल्यांकन मापदंडों में परिवहन विद्युतीकरण, उत्सर्जन नियंत्रण और निर्माण नियम शामिल हैं

निष्कर्ष

स्पष्ट है कि भारत का शहरी भविष्य महत्त्वपूर्ण सुधारों और विश्वस्तरीय बुनियादी ढाँचे पर निर्भर  करता है, जिससे शहरों को रहने योग्य, सतत और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

केंद्रीय बजट 2025-26 में सतत शहरी विकास को बढ़ावा देने के लिए ₹1 लाख करोड़ की शहरी चुनौती निधि प्रस्तुत की गई। भारतीय शहर अत्यधिक जनसंख्या दबाव और खराब बुनियादी ढाँचे की समस्या से जूझ रहे हैं, इन चुनौतियों से निपटने में शहरी शासन की भूमिका की जाँच कीजिए। साथ ही यह भी बताइए कि शहरों को जलवायु के प्रति अधिक अनुकूल और निवास योग्य कैसे बनाया जा सकता है?

(15 अंक, 250 शब्द)

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