100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

अकेले बंदूक से माओवादी विद्रोह समाप्त नहीं हो सकता

Lokesh Pal April 07, 2025 05:00 47 0

संदर्भ:

हाल ही में, छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों ने माओवादी कार्यकर्ताओं और उनके नेतृत्वकर्ताओं को खत्म करके महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है।

  • कई माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है और कुछ गुट युद्धविराम की मांग कर रहे हैं
  • हालाँकि, सरकार बिना शर्त आत्मसमर्पण पर जोर दे  रही है। अपने वक्तव्य के माध्यम से केन्द्रीय गृह मंत्री ने सक्रिय लोगों को कड़ी चेतावनी दी है।

माओवाद और साम्यवाद के बीच अंतर:

पहलू

साम्यवाद

माओवाद

सैद्धांतिक आधार मार्क्सवाद पर आधारित, वर्गविहीन समाज और श्रमिक वर्ग द्वारा उत्पादन पर नियंत्रण की वकालत करता है। मार्क्सवाद-लेनिनवाद का ही एक रूप है, जो आदिवासियों के कृषक  समाजों में क्रांतिकारी शक्ति के रूप में व्याप्त है।
उद्देश्य या भूमिका  औद्योगिक समाजों में शहरी सर्वहारा वर्ग के नेतृत्व में, समाजवाद के लिए शांतिपूर्ण संक्रमण पर जोर दिया गया। आदिवासियों के कृषक  समाजों के नेतृत्व में, ग्रामीण क्षेत्रों में दीर्घकालिक जनयुद्ध और गुरिल्ला रणनीति पर बल दिया गया।  

वर्तमान राजनैतिक प्रतिक्रिया: नक्सलवाद 

  • राजनीतिक दोषारोपण: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नक्सलबाड़ी से शुरू हुए माओवाद के उदय के लिए कांग्रेस काल (1960 के बाद) को दोषी ठहराते हैं।
  • शहरी नक्सल: उन्होंने ‘शहरी नक्सल’ शब्द भी गढ़ा, जिसका व्यापक रूप से उन वाम-उदारवादी विचारकों पर प्रयोग किया गया, जो शासन की आलोचना करते हैं और माओवादी दृढ़ता को बढ़ावा देने वाले शोषण को उजागर करते हैं।
  • उत्पत्ति: हालाँकि, इस आंदोलन की जड़ें अधिक गहरी हैं और वे केवल दलीय राजनीति से नहीं, बल्कि दीर्घकालिक संरचनात्मक असमानताओं से जुड़ी हैं।

माओवादी आंदोलन की ऐतिहासिक जड़ें:

  • तेलंगाना सशस्त्र विद्रोह (1946): इसकी उत्पत्ति तेलंगाना में निज़ाम के शासन के खिलाफ कम्युनिस्टों के नेतृत्व में हुए सशस्त्र विद्रोह से जुड़ी है, जो दोरा (जमींदारों) द्वारा किसानों के शोषण पर आधारित था। 
    • हालांकि स्वतंत्रता के बाद भी यह प्रतिरोध जारी रहा, जो मौजूदा सामंती उत्पीड़न से और जटिल हो गया है
  • भूदान आंदोलन (1951): आचार्य विनोबा भावे का भूदान आंदोलन स्वैच्छिक भूमि पुनर्वितरण की वकालत करता है जो भूमिहीनता से संबंधित मुख्य मुद्दों को संबोधित करता है। इस आंदोलन ने हिंसक क्रांति के लोकप्रिय समर्थन आधार को कम कर दिया और तेलंगाना विद्रोह में धीरे-धीरे गिरावट आई।
  • नक्सलबाड़ी विद्रोह (1967): चीन-सोवियत के वैचारिक विभाजन के बीच, भारत के पूर्वी क्षेत्र में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी में आधुनिक नक्सलवाद का जन्म हुआ।
  • किसान विद्रोह का नवीन चरण: 1967 में नक्सलबाड़ी में किसानों ने अनाज जब्ती का विरोध किया था। एक पुलिसकर्मी की हत्या कर दी, जिससे स्प्रिंग थंडर की चिंगारी भड़क उठी जिसने किसान विद्रोह का एक नया चरण शुरू किया
    • ‘जोतदारों’ (धनी किसानों) के साथ संघर्ष ने आंदोलन को वर्ग युद्ध का आयाम दे दिया
    • यद्यपि भूमि सुधारों और राज्य दमन के माध्यम से किसानों के विद्रोह को कुचल दिया गया। 1975 के आपातकाल के कारण यह कुचल दिया गया, फिर भी ‘नक्सलवाद’ शब्द स्थायी बना रहा

भारत में माओवाद:

  • माओवाद का प्रसार: पिछले कुछ दशकों में माओवाद ने अपना प्रभाव  श्रीकाकुलम, तेलंगानादंतेवाड़ा और पश्चिम बंगालओडिशा,  छत्तीसगढ़ और बिहार, मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों  तक विस्तारित कर दिया है।  
  • इस आंदोलन ने संसाधन संपन्न, आदिवासी बहुल क्षेत्रों से होकर गुजरा और उपेक्षा, विस्थापन जैसे दीर्घकालिक मुद्दों और असमानताओं का फायदा उठाया।
  • नेतृत्वकर्ता: इससे संबंधित प्रभावशाली नेताओं में चारु मजूमदार, कानू सान्याल, कोबाड और अनुराधा गांधी शामिल थे।  परंतु वर्तमान समय में, लॉ ग्रेजुएट गुम्मादिवेली रेणुका विद्रोही प्रसिद्धि हासिल कर चुकी है
  • वैचारिक प्रतिबद्धता: इन नेताओं ने शहरी सुख-सुविधाओं को छोड़ दियाजंगलों में अपने अड्डे स्थापित किए और हिंसक क्रांतिकारी विचारधारा के इर्द गिर्द कार्यकर्ताओं को संगठित किया।  
    • हालाँकि, इनके द्वारा की जाने वाली हिंसाभाईचारा और नागरिकों को निशाना बनाने से उनकी नैतिक और वैचारिक वैधता दोनों महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित हुई हैं। 
  • संगठनात्मक गिरावट: हिंसक तरीके माओवादी अभियानों की पहचान बने हुए हैं, जिनमें शामिल हैं भाई-भतीजावाद, नागरिकों पर क्रूर हमले, सुरक्षा बलों पर घात लगाकर हमला शामिल हैं।
    • इसके बावजूद, 2000 के दशक के प्रारंभ में माओवादी गुटों के सीपीआई (माओवादी) में एकीकरण ने आंदोलन को अस्थायी रूप से मजबूत किया
    • हालाँकि, समय के साथ, निरंतर आतंकवाद विरोधी दबाव के कारण आजाद जैसे शीर्ष नेताओं और कार्यकर्ताओं को नुकसान उठाना पड़ा और आंतरिक मनोबल कमजोर हुआ।
  • लाल गलियारे का पतन: माना जाता है कि माओवादी एक समय पशुपति (नेपाल) से तिरुपति (आंध्र) तक, विशेष रूप से संसाधन संपन्न आदिवासी क्षेत्रों में, लाल गलियारा स्थापित करने की आकांक्षा रखते थे। 
    • अपने चरम पर, माओवादी हिंसा ने भारत के लगभग एक तिहाई जिलों को प्रभावित किया, जो इन क्षेत्रों की सामाजिक-आर्थिक कमजोरियों को दर्शाता है।
    •  इस आंदोलन ने वहां जमीन हासिल की जहां जनजातीय विस्थापन, भूमि अलगाव और प्राकृतिक संसाधनों का शोषण बड़े पैमाने पर था।
  • आंदोलन के प्रमुख कारण: इन क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबी और शोषण ने माओवादी भर्ती के लिए उपजाऊ जमीन तैयार की। 
  • भूमि हस्तांतरणचरमपंथ प्रभावित क्षेत्रों में विकास चुनौतियां”  नामक शीर्षक वाली 2008 की योजना आयोग की रिपोर्ट में भूमि हस्तांतरणशासन घाटे और बहिष्कार के मुद्दों पर प्रकाश डाला गया और संकट की भयावहता से मेल खाते बड़े पैमाने पर विकास कार्यक्रमों की सिफारिश की गई।
    • यहां तक ​​कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी 2007 में सलवा जुडूम मामले में अपने फैसले में स्वीकार किया था कि, “गरीबी के मुद्दे विशेषकर भूमि संबंधी विषयों के संदर्भ में, विरोध की राजनीति और सशस्त्र विद्रोह को बढ़ावा देते रहते हैं।”

भारत में माओवाद से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम:

  • बुनियादी ढांचे का विकास : सरकार ने बुनियादी ढांचे पर आधारित विकास और कल्याण कार्यक्रम शुरू किए। इन पहलों का उद्देश्य माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में जनता को प्रसन्न करना था।
  • सुरक्षा कार्रवाई: सरकारों द्वारा  सुरक्षा अभियानों में तेजी लाई गई, जिसके परिणामस्वरूप उग्र माओवादी नेताओं की लक्षित हत्याएं की गई, बड़े पैमाने पर आत्मसमर्पण करवाए गए और विद्रोहियों का क्षेत्रीय प्रभाव कम किया गया।
    • उदाहरण के लिए30 मार्च को सुकमा में 17 माओवादियों के मारे जाने की खबर आई, जिनमें 11 महिलाएं भी शामिल थीं

आगे की राह:

  • बुनियादी ढाँचा व विकास कार्यक्रम : क्षेत्रीय शांति बहाली व विकास हेतु शिक्षाआजीविका और शासन से संबंधित सतत विकास कार्यक्रम महत्वपूर्ण हैं।
  • नीतियों में क्षेत्रीय समावेशन:  सरकार को चाहिए कि वह जन कल्याणकारी योजनाओं में क्षेत्रीय नागरिकों के साथ ही आदिवासियों के समावेशन को भी सुनिश्चित करे ताकि वह, सशक्त और सुरक्षित महसूस कर सकें। जिससे हिंसा को एक व्यवहार्य मार्ग के रूप में देखा जाना बंद हो सकता है
  • सतत संवाद को प्रोत्साहन : सरकार को राजनीतिक समाधान को प्रोत्साहित करने, हिंसा की निरर्थकता को स्वीकार करने तथा प्रभावित समुदायों में विश्वास और वैधता सुनिश्चित करने के लिए माओवादी नेतृत्व के साथ सतत वार्ता करने पर विचार करना चाहिए।

निष्कर्ष:

यद्यपि माओवादी आंदोलन केवल विचारधारा के कारण नहीं बल्कि संरचनात्मक अन्याय के   कारण टिका हुआ है। जबकि सुरक्षा अभियानों ने आंदोलन को कमज़ोर किया हैस्थायी शांति के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है जिसमें आर्थिक न्याय, आदिवासी सशक्तिकरण और रचनात्मक संवाद शामिल किए जाने की नितांत आवश्यकता है। 

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: सुरक्षा अभियानों के माध्यम से सामरिक लाभ के बावजूद, कई क्षेत्रों में माओवादी विद्रोह जारी है, जो गहरे सामाजिक-आर्थिक और शासन संबंधी मुद्दों की ओर इशारा करता है। इस संदर्भ में, माओवादी विद्रोहों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सुरक्षा उपायों, विकास पहलों और राजनीतिक भागीदारी के माध्यम से एक बहुआयामी रणनीति की आवश्यकता का आकलन करें।

(15 अंक, 250 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.