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क्या भारतीय मीडिया दिशाहीन हो गई है? (Has Indian media become directionless?)

Samsul Ansari January 20, 2024 05:28 115 0

संदर्भ

इस लेख के अंतर्गत लोकतंत्र के चौथे स्तंभ ‘मीडिया’ के बदलते स्वरूप के विषय में बात की गई है। वर्तमान में मीडिया द्वारा “ब्रेकिंग न्यूज” संस्कृति को अपनाने पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है, जिसमें तथ्य-जाँच का अभाव दिखाई देता है।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: मीडिया पर सनसनीखेजता का प्रभाव- चिंताएँ और आगे की राह।

1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद से मीडिया के परिदृश्य में परिवर्तन

  • मात्रा और गुणवत्ता : मीडिया द्वारा प्रस्तुत न्यूज कंटेंट की अधिकता और न्यूज के प्रकारों में आई विविधता के कारण पत्रकारिता की गुणवत्ता प्रभावित हुई हैI
  • सरकार का नियंत्रण: वर्तमान में जिस प्रसारण मीडिया का विकास हुआ है वो सरकारी नियंत्रण से मुक्त हैI
  • इंटरकनेक्शन पर: इंटरनेट और सोशल मीडिया के एक-दूसरे से अंतर्संबंध के कारण पड़ने वाला प्रभाव

वर्तमान मीडिया की प्राथमिकता निर्धारण और समाचार संस्कृति से जुड़े मुद्दे

  • सनसनीखेज: तथ्य की पुष्टि किए बगैर “ब्रेकिंग न्यूज” संस्कृति से प्रेरित हो कर न्यूज का प्रसारण करना
    • गुणवत्तापूर्ण  प्रोग्राम के प्रसारण के बजाय  सनसनीखेज न्यूज को वरीयता देना
  • रेटिंग: टेलीविजन के न्यूज एजेंसी सार्वजनिक सेवा के लिए समर्पित न होकर रेटिंग के लिए आपस में ज्यादा प्रतिस्पर्द्धा करते हैं।
  • गैर-जिम्मेदार: न्यूज प्रसारण में तथ्य-जाँच और जवाबदेहिता का अभाव
  • सत्यता को प्रमाणित किए बिना मीडिया द्वारा ट्रायल किया जाना
  • अतिशयोक्ति: न्यूज लीक और गैर-जिम्मेदाराना तरीके से लगाए गए आरोपों की रिपोर्टिंग के  प्रभाव अपूर्णीय क्षति वाले होते हैं।
  • विश्वसनीयता और नैतिकता को नुकसान: मीडिया द्वारा न्यूज संबंधी तथ्यों, लोगों के विचारों और अटकलों को बिना किसी संशोधन के प्रसारित  किया जाता है।
  • यथोचित मेहनत और स्पष्टीकरण के बिना जल्दबाजी में की गई रिपोर्टिंग को पर्याप्त प्रमुखता नहीं मिलती है।

लोकतंत्र और सार्वजनिक हित के संबंध में चिंताएँ: इन वजहों से मीडिया द्वारा प्रायोजित सार्वजनिक चर्चा महत्त्वहीन हो जाती है;

  • सरकार की निगरानीकर्ता की भूमिका में कमी
  • वास्तविक जवाबदेही से लोगों का ध्यान भटकाने का हथियार
  • दुर्भावनापूर्ण अफवाहों  से प्रतिष्ठा को क्षति पहुँचती है।

आगे की राह 

  • बिना सेंसरशिप वाली  बेहतर पत्रकारिता की आवश्यकता: स्वतंत्र मीडिया  लोकतंत्र की आधारशिला होती है I
  •  इसका उद्देश्य सरकार को कुशल और जवाबदेह बनाए रखना होता हैI
  • सुधार की आवश्यकता: मीडिया द्वारा एक ऐसी संस्कृति और अभ्यासों का पालन करने की आवश्यकता है जो तथ्य-जाँच और सटीकता को वरीयता देती हो।
  • सनसनीखेज पत्रकारिता नहीं बल्कि नैतिक मूल्यों के प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
  • झूठी रिपोर्टिंग को सिरे से खारिज करना।
  • रिपोर्टिंग में वैकल्पिक परिप्रेक्ष्यों की प्रस्तुति आवश्यक है।
  • गलतियों को स्वीकार करने के लिए संपादक द्वारा अपनी भूमिकाओं का निर्वहन।
  • मीडिया स्वामित्व के संकेंद्रण पर रोक लगाना।
  • स्वतंत्र मीडिया निरीक्षण।
  • जिम्मेदार मीडिया: साक्षर आबादी में वृद्धि को देखते हुए और उनकी जागरूकता को ध्यान में रखते हुए मीडिया की जवाबदेहिता तय करने के संबंध में जनता का सक्रिय होना आवश्यक है।
  • मॉडल मीडिया के बिना भारत एक आदर्श लोकतंत्र नहीं बन सकता।
  • मीडिया की लोकतांत्रिक भूमिका को पुनः प्राप्त करना: सरकारी ईमानदारी और स्वतंत्र प्रेस की स्वतंत्रता द्वारा दक्षता प्राप्त करना।
  • राष्ट्रीय हितों की पूर्ति के लिए पाठ्यक्रम में सुधार की आवश्यकता।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न : वर्तमान मीडिया की लोकतांत्रिक भूमिका की पुनर्प्राप्तीकरण के समक्ष आने वाली बाधाओं और उनके निवारण पर टिप्पणी कीजिएI

News Source: The Hindu

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