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Lokesh Pal
July 03, 2024 05:30
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अत्यधिक भीड़ परंतु उचित प्रबंधन का अभाव और अप्रभावी योजना से लेकर मानव मनोविज्ञान तक, घातक भगदड़ के पीछे कई कारक छिपे हो सकते हैं। भगदड़ को मानव द्वारा निर्मित आपदा कहा जा सकता है।
प्रारम्भिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता:मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भगदड़ से सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा, भगदड़ में योगदान देने वाले सामाजिक-आर्थिक, मनोवैज्ञानिक और प्रशासनिक कारक आदि। |
“भारत में सामूहिक सभा की आपात स्थितियों की तुलनात्मक समीक्षा” के अनुसार, 1954-2012 के दौरान भारत में हुई सभी भगदड़ों में से 79% धार्मिक सामूहिक समारोहों के दौरान हुईं।
भगदड़ को रोकने और सामूहिक समारोहों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, खासकर धार्मिक आयोजनों के दौरान प्रभावी भीड़ प्रबंधन, बेहतर अवसंरचना निर्माण और सतर्क निगरानी आवश्यक है ताकि भगदड़ की घटनाएं असमय मृत्यु और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए समस्या न बनें।
प्रश्न: भारत में सामूहिक समारोहों में भगदड़ की घटनाएँ सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बनी हुई हैं, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर जन-जीवन की हानि होती है। ऐसी घटनाओं में योगदान देने वाले सामाजिक-आर्थिक, मनोवैज्ञानिक और प्रशासनिक कारकों का विश्लेषण करें। भविष्य में भगदड़ के जोखिम को कम करने के लिए व्यापक रणनीति सुझाएँ।
(15 अंक, 250 शब्द)
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