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Lokesh Pal
December 06, 2025 05:15
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डॉ. बी.आर. अंबेडकर द्वारा 1927 में शुरू किए गए भारत के पहले मानवाधिकार आंदोलनों में से एक का जन्मस्थान महाड है, जिसने जातिगत भेदभाव को चुनौती दी और दलित अधिकारों पर बल दिया।
अपने मूल में, महाड आंदोलन ने एक जीवित लोकतंत्र के आधार के रूप में मैत्री (करुणा) में निहित मानुस्की (मानवता) के आदर्श की पुष्टि की। इस नैतिकता ने भारत की संवैधानिक नैतिकता को आकार दिया और बाद में संविधान में अंतर्निहित किया गया।
मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्नप्रश्न: स्पष्ट करें कि कैसे महाड 1.0 और 2.0 आंदोलनों में डॉ. बी.आर. अंबेडकर के नेतृत्व ने उस समय के प्रचलित सामाजिक मानदंडों को चुनौती दी। भारत में संवैधानिक विमर्श को आकार देने में इसकी भूमिका पर चर्चा करें। (15 अंक, 250 शब्द) |
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