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आपकी दिवाली कितनी हरित (ग्रीन) हो सकती है?

Lokesh Pal October 16, 2025 05:30 53 0

संदर्भ:

हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली-एनसीआर में दीपावली की आतिशबाजी पर लगे प्रतिबंध में कमी की, जिसमें राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) और पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) द्वारा अनुमोदित ग्रीन पटाखों की बिक्री की अनुमति दी गई, जिससे उत्सव और पर्यावरणीय सुरक्षा के मध्य संतुलन बना रहे।

ग्रीन पटाखे

  • विकास: पारंपरिक आतिशबाजी से होने वाले प्रदूषण को दूर करने के लिए CSIR और NEERI द्वारा विकसित किए गए।
  • लक्ष्य: बेरियम नाइट्रेट जैसे हानिकारक रसायनों को बाहर करने के लिए डिज़ाइन किए गए, ग्रीन पटाखों का उद्देश्य दिवाली के दौरान कणिकीय तत्व (particulate matter) और विषाक्त उत्सर्जन को कम करना है।
  • सीमा: प्रदूषण को केवल 30-35% तक ही कम करते हैं, जो उन्हें पारंपरिक पटाखों से बेहतर तो बनाता है, लेकिन वास्तव में “हरित दिवाली” नहीं बनाता।

वास्तविक मुद्दा

  • दिल्ली की वायु प्रदूषण संबंधी स्थिति: औसत PM 2.5 स्तर WHO की सुरक्षित सीमाओं से लगभग 20 गुना अधिक है। प्रदूषण दीर्घकालिक (chronic) है, जो केवल त्योहारों के दिनों तक सीमित नहीं है।
  • लगातार प्रदूषक: प्रमुख योगदानकर्ताओं में शामिल हैं: पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना, वाहनों का उत्सर्जन, निर्माण की धूल और औद्योगिक उत्सर्जन
  • रिपोर्ट्स संबंधी साक्ष्य: लैंसेट की रिपोर्ट इस बात पर बल देती है, कि दिल्ली का प्रदूषण एक वर्ष भर चलने वाली समस्या है, जो शीत ऋतु के दौरान विशेष रूप से दिखाई देती है।
    • आतिशबाजी एक पहले से ही अस्वस्थ प्रणाली पर “अंतिम प्रहार” के रूप में कार्य करती है।

आगे की राह

  • मूल कारण का उपचार: केवल दिवाली के पटाखों पर ध्यान केंद्रित करना संरचनात्मक समस्या का नहीं, बल्कि लक्षणों का इलाज करना है।
    • उदाहरण: 2016 की विषम-सम (Odd-Even) योजना जैसे उपाय अस्थायी समाधान थे।
  • नागरिक भागीदारी: स्वच्छ वायु की ज़िम्मेदारी वर्ष पर्यंत बनी रहनी चाहिए, न कि त्योहारों पर होने वाली सोशल मीडिया की चर्चाओं तक सीमित रहे।
    • सक्रिय नागरिक जुड़ाव सतत प्रथाओं की निगरानी और प्रोत्साहन के लिए आवश्यक है।
  • सामाजिक और राजनीतिक प्राथमिकता: सार्वजनिक क्षेत्र में पर्यावरणीय मुद्दों पर निरंतर चर्चा नीति निर्माताओं और कॉर्पोरेट कार्यकर्ताओं पर दबाव डालेगी।
    • पर्यावरण संरक्षण को एक सामाजिक मानदंड और राजनीतिक प्राथमिकता दोनों बनना चाहिए।

निष्कर्ष

वास्तव में हरित दिवाली वर्ष पर्यंत स्वच्छ वायु से आरंभ होती है, न कि मौसमी प्रतिबंधों से। भारत को प्रतीकात्मक प्रतिबंधों से प्रणालीगत सुधारों की ओर बढ़ना चाहिए, पराली जलाने, वाहनों और औद्योगिक उत्सर्जन पर अंकुश लगाना चाहिए, जिससे त्योहारों के साथ एक सतत परिदृश्य और उत्सव को सुनिश्चित किया जा सके।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न: भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण को प्रायः दिवाली जैसे त्योहारों के आस-पास दिखने वाली अल्पकालिक समस्या के रूप में माना जाता है। समझाइए कि यह दृष्टिकोण अप्रभावी क्यों है और वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए दीर्घकालिक कदम सुझाइए।

(10 अंक, 150 शब्द))

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