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भारत में मानव पूँजी निर्माण और उसकी दीर्घकालिक आवश्यकता

Lokesh Pal March 17, 2025 05:15 83 0

संदर्भ:

स्वतंत्रता प्राप्ति के समय लगभग समान जनसंख्या होने के बावजूद, चीन स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास क्षेत्र में निवेश करके आगे बढ़ गया, जबकि भारत ने मानव पूँजी निर्माण में आवश्यकता से कम निवेश किया।

चीन और भारत की तुलना

  • समान प्रारंभिक बिंदु: भारत की स्वतंत्रता के समय, चीन और भारत की जनसंख्या का आकार समान था।
  • चीन का रणनीतिक निवेश: चीन ने स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल अवसंरचना को प्राथमिकता दी, जिससे आर्थिक विकास के लिए एक मज़बूत आधार तैयार हुआ।
  • भारत के लिए अवसर: भारत ने अपने जनसांख्यिकीय लाभांश के बारे में चर्चा पर ध्यान केंद्रित किया, लेकिन मानव पूँजी में पर्याप्त निवेश नहीं किया।
  • कुशल बनाम अकुशल कार्यबल: चीन ने एक बेहतर ढंग से प्रशिक्षित और स्वस्थ कार्यबल विकसित किया, जबकि भारत अपनी जनसंख्या क्षमता का पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए संघर्ष करता रहा।
  • आलोचना: आलोचकों ने तर्क दिया कि चीन में लोकतंत्र और स्वतंत्र प्रेस अथवा जनसंचार माध्यमों का अभाव है, लेकिन कई भारतीयों ने इस दृष्टिकोण का समर्थन किया कि चीन ने भारत के विपरीत प्रमुख विकासात्मक क्षेत्रों में निवेश किया।

जनसांख्यिकीय लाभांश

  • इससे तात्पर्य आर्थिक विकास की उस क्षमता से है, जो जनसंख्या की आयु संरचना में परिवर्तन से उत्पन्न हो सकती है, विशेष रूप से तब जब कार्यशील आयु वर्ग की जनसंख्या (आमतौर पर 15-64 वर्ष) का भाग गैर-कार्यशील आयु वर्ग के भाग से बड़ा हो।

  • मानव पूँजी में निवेश: चीन और वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारत को शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और पोषण को प्राथमिकता देनी चाहिए।
    • मानव संसाधन विकास में निवेश की कमी भारत के भविष्य संबंधी कार्यबल को कमजोर करती है।

भारत से संबंधित चुनौतियाँ

  • खराब शिक्षा व्यवस्था: स्कूल अवसंरचना में कमी के कारण भारतीय विद्यार्थियों में साक्षरता और पठन-पाठन क्षमता का स्तर कम है। अध्ययनों से पता चलता है कि कई विद्यार्थी पढ़ने, लिखने या मूलभूत अंकगणित कौशल के बिना ही अपनी शिक्षा समाप्त कर देते हैं।
    • उदाहरण के लिए: वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) ने लगातार भारत की शिक्षा प्रणाली में गंभीर अधिगम कमियों को उजागर किया है।
      • हाल ही में प्रकाशित ASER की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 10वीं कक्षा के विद्यार्थियों का एक महत्त्वपूर्ण प्रतिशत 5वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए बनाई गई पाठ्यपुस्तकों को पढ़ने के लिए संघर्ष करता है अथवा नहीं पढ़ सकता है।
    • ASER-2024 के आँकड़ों से संकेत मिलता है, कि कक्षा 5 के 70% विद्यार्थी अभी भी मूलभूत विभाजन के साथ संघर्ष करते हैं, जिनमें से केवल 30% ही प्रवीणता या बेहतर शिक्षण कौशल प्राप्त करते हैं।
  • बाल कुपोषण: छह वर्ष से कम उम्र के 38% भारतीय बच्चे अविकसित हैं और 17% कम वजन वाले हैं, जिनमें से कुछ को ‘दुबला’ (wasted) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। मध्याह्न भोजन योजनाओं ने मदद की है लेकिन ये कुपोषण को दूर करने में अपर्याप्त हैं।
    • 2024 के वैश्विक भूखमरी सूचकांक में भारत 127 देशों में 105वें स्थान पर है। देश का GHI स्कोर3 है, जिसे “गंभीर” भूखमरी की श्रेणी में रखा गया है।
  • एआई संबंधी चुनौतियाँ: चूँकि एआई मानव क्षमता के साथ प्रतिस्पर्धा करता है, इसलिए अधिकांश भारतीय स्नातक आवश्यक कौशल की कमी के कारण बेरोज़गार रहते हैं।
  • अवैध प्रवास: हताश युवा अवैध रूप से पलायन करते हैं। कई भारतीयों को अमेरिका से निर्वासन और दक्षिण पूर्व एशिया की फैक्ट्रियों में शोषण का सामना करना पड़ता है।
  • नीतिगत असंतुलन: प्रधानमंत्री मोदी ‘विरासत’ और ‘विकास’ दोनों पर जोर देते हैं, लेकिन व्यवहार में विरासत पर अधिक ध्यान दिया जाता है।
  • अप्रभावी नीति: जबकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 को एक परिवर्तनकारी ढाँचे के रूप में प्रस्तुत किया गया था, इसका कार्यान्वयन अप्रभावी रहा है।
  • शासन विफलताएँ: वर्तमान सत्ता सरकार के अंतर्गत बुनियादी ढाँचे का विकास (जैसे- सड़कें, बंदरगाह, हवाई अड्डे) उल्लेखनीय रहा है। हालाँकि, राज्य सरकारें शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और पोषण जैसी आवश्यक सेवाएँ देने में विफल रही हैं।
  • खराब मानव संसाधन: वैश्विक निर्माता और निवेशक बेहतर मानव संसाधन विकास और व्यापार-अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र के कारण भारत की तुलना में पूर्वी एशिया को अधिक प्राथमिकता देते हैं।
    • भारत के विपरीत, पूर्वी एशियाई देशों ने शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और कार्यबल कौशल में लगातार निवेश किया है, जिससे व्यवसायों के लिए अधिक आकर्षक वातावरण तैयार हुआ है।

आगे की राह

  • व्यावसायिक प्रशिक्षण में निवेश: चीनी सरकार ने व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए नीतियों को लागू किया है, जिसका उद्देश्य कार्यबल कौशल को बाजार की माँग के साथ संरेखित करना है।
  • दोहरी शिक्षा प्रणाली: जर्मनी की दोहरी शिक्षा प्रणाली सैद्धांतिक शिक्षा को व्यावहारिक अनुभव के साथ प्रभावी ढंग से एकीकृत करती है।
    • विद्यार्थी अपना समय व्यावसायिक स्कूलों और कम्पनियों में रोज़गार के दौरान प्रशिक्षण के बीच विभाजित करते हैं, जिससे शैक्षणिक ज्ञान और व्यावहारिक कौशल का संतुलन सुनिश्चित होता है।

निष्कर्ष

लोकतंत्र से इतर तानाशाही कोई समाधान नहीं है, बल्कि भारत को बेहतर शासन और नीतिगत परिवर्तनों की आवश्यकता है। सरकार को वैश्विक मंचों पर भारत की युवा आबादी के प्रदर्शन की बजाय घरेलू विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

“भारत के पास अपने जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाने के लिए समय कम होता जा रहा है।” आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए अपनी युवा आबादी का उपयोग करने में भारत के समक्ष आने वाली चुनौतियों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। ऐसे नीतिगत उपाय सुझाइए, जो इस जनसांख्यिकीय क्षमता को राष्ट्रीय परिसंपत्ति में बदलने में मदद कर सकें।

(15 अंक, 250 शब्द)

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