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Lokesh Pal
September 16, 2025 05:00
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हालिया घटनाएँ, जिसमें एक वायरल इंस्टाग्राम रील शामिल है, जिसमें एक लड़की ने व्हीलचेयर का उपयोग करने के लिए एक लड़के को अस्वीकार कर दिया और एक हास्य कलाकार ने दिव्यांग लोगों का मजाक बनाया, समाज में विद्यमान सामाजिक पूर्वाग्रह को उजागर करता है।
अधिकार निरपेक्ष नहीं होते और न ही शून्य में मौजूद होते हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ है, लेकिन लोकतंत्र की नींव सभी के सम्मान पर आधारित है। यदि स्वतंत्रता किसी ऐसे समूह को हानि पहुँचाती है, जो ऐतिहासिक रूप से उत्पीड़न और भेदभाव से पीड़ित रहा है, तो उस स्वतंत्रता पर प्रतिबंध आवश्यक है।
मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:प्रश्न: भारत में दिव्यांग व्यक्तियों (PWDs) को सामाजिक कलंक और हाशिए पर धकेले जाने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। दिव्यांग व्यक्तियों के समक्ष विद्यमान चुनौतियों पर चर्चा कीजिए और उनकी गरिमा तथा अधिकारों को बनाए रखने वाले सर्वोच्च न्यायालय के प्रासंगिक निर्णयों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए। भारतीय समाज में उनके प्रभावी समावेशन और समान भागीदारी सुनिश्चित करने के उपाय सुझाइए। (10 अंक, 150 शब्द) |
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