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अमेरिकी एफ-1 वीजा स्थगन का भारतीय छात्रों पर प्रभाव

Lokesh Pal April 10, 2025 05:30 17 0

संदर्भ:

हाल ही में, अमेरिका ने मामूली कानूनी उल्लंघनों के कारण कई भारतीय छात्रों के एफ-1 वीजा रद्द कर दिए, जिसके परिणामस्वरूप तत्काल निर्वासन आदेश जारी किए गए। 

अमेरिकी वीज़ा निरस्तीकरण का प्रभाव:

  • ज़ेनोफोबिक प्रतिक्रिया: आरोप है कि विदेशी छात्रों, विशेष रूप से देश की विदेश नीति का विरोध करने वाले छात्रों के लिए एफ-1 वीजा रद्द करने की अमेरिकी नीति, ट्रम्प प्रशासन के दौरान ज़ेनोफोबिक प्रवृत्तियों का प्रत्यक्ष परिणाम है। 
  • MAGA अभियान: ‘अमेरिका को फिर से महान बनाओ’ आंदोलन से उत्पन्न यह बदलाव अब शिक्षण संस्थानों के परिसर जीवन और अंतर्राष्ट्रीय छात्र नामांकन को प्रभावित करने लगा है।
  • छात्र नामांकन में गिरावट: अमेरिकी विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में पिछले वर्ष से ही गिरावट दर्ज की जा रही है, यहां तक ​​कि हालिया शत्रुतापूर्ण स्थितियों और वीजा मुद्दों से भी पहले से यह देखा गया है।
  • आकर्षक विकल्पजर्मनी, अपनी कम लागत और छात्रों को (पार्ट टाइम) काम के माध्यम से अपनी शिक्षा को स्वयं वित्तपोषित करने की सुविधा देने के  लचीलेपन के कारण, भारतीय छात्रों के लिए एक आकर्षक विकल्प बन गया है।
    • चूंकि प्रतिभा के लिए गंतव्य के रूप में अमेरिका अपनी अपील खो रहा है , इसलिए कई देश, विशेष रूप से यूरोप के देश, असंतुष्ट अमेरिकी शोधकर्ताओं का स्वागत करके इस गिरावट का लाभ उठा रहे हैं। 
    • ऐतिहासिक रूप से, उत्पीड़न से बचने वाले शोधकर्ताओं ने अमेरिकी प्रगति में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। 
  • वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण: विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव और तीव्र हो सकता है, विशेष रूप से वैकल्पिक व्यावहारिक प्रशिक्षण (OPT) कार्यक्रम के कारण, जो विदेशी छात्रों को स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद अमेरिका में काम करने का अवसर प्रदान करता था, उसे रद्द किए जाने की संभावना है।
  • नामांकन के आंकड़े: इस वर्ष सितम्बर के नामांकन के आंकड़ों से ज्ञात होता है कि विभिन्न बाधाओं और प्रतिबंधात्मक नीतियों के बावजूद, अमेरिका अभी भी भारतीय छात्रों के लिए किस हद तक आकर्षण का केंद्र है।
  • अनुसंधान के लिए धन की कमीअनुसंधान के लिए धन की कमी और विश्वविद्यालयों पर राष्ट्रवादी एजेंडे का अनुपालन करने के लिए बढ़ता दबाव, शैक्षणिक स्वतंत्रता को कमजोर कर रहा है, जो अमेरिकी शिक्षा प्रणाली की एक पहचान है। 
    • इससे अमेरिका के बारे में वैश्विक धारणा और अधिक धूमिल होने की संभावना है कि वह एक ऐसा देश है जो स्वतंत्र विचार और जांच को महत्व देता है।

प्रवासी छात्रों पर कार्यवाई का भारत पर प्रभाव:

  • घर लौटने की इच्छा : कई भारतीय छात्र व वापस लौटने वाले लोग देशभक्ति की भावना और अपनी मातृभूमि में योगदान करने की इच्छा से प्रेरित होते हैं, न कि पेशेवर उपलब्धि या उच्च स्तरीय अनुसंधान के अवसर की संभावना से
  • अनुसंधान  के नये अवसर: यद्यपि नये अनुसंधान अवसरों और निजी संस्थानों के विकास ने नये रास्ते खोले हैं, परन्तु भारत का आकर्षण हमेशा से अत्याधुनिक व्यावसायिक अवसरों तक ही सीमित नहीं रहा है। 
    • धन प्राप्ति के लिए संघर्ष तो कम तीव्र है, लेकिन सामाजिक जीवन और कार्यस्थल दोनों जगह दैनिक संघर्ष जारी है

भारत के लिए आगे की राह:

  • सरकारी-निजी क्षेत्र में अनुसंधान नीतियों में निवेश : हालांकि भारत सरकार ने निजी संस्थानों को अनुसंधान में अधिक निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करने के प्रयास किए हैं, फिर भी अभी बहुत काम किया जाना बाकी है।
    • सरकार के खजाने का अधिक उपयोग करना और निजी अनुसंधान निवेश को प्रोत्साहित करना केवल शुरुआत मानी जा सकती है।
  • संस्थागत सहयोग: वापस लौटने वालों के लिए मुख्य बाधाओं में से एक संस्थानों या विभागों के बीच सहयोग में कठिनाई है। सामाजिक मानदंडपदानुक्रम और शैक्षणिक स्वतंत्रता की कमी नवाचार और प्रगति को और भी बाधित करती है।
  • शैक्षणिक स्वतंत्रता का पुनः सृजन: स्वदेश लौटे लोग विदेश में प्राप्त  शैक्षणिक स्वतंत्रता के आदी हो जाते हैं, उनके व्यवहार में बदलाव के संकेत मिल सकते हैं।
    • भारत में, उदार मूल्यों के प्रति सरकार के रवैये और विदेशियों के प्रति उसके दृष्टिकोण के कारण अक्सर इस स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया जाता है, जो कभी-कभी बहिष्कार के प्रति ट्रम्प के दृष्टिकोण जैसा हो सकता है।
  • संस्थागत बदलाव: भारत को अपनी प्रतिभा को वापस आकर्षित करने के लिए सांस्कृतिक बदलाव की आवश्यकता है। इसमें सामाजिक मानदंडों पर पुनर्विचार, सहयोगात्मक कार्य वातावरण को अपनाना और शैक्षणिक स्वतंत्रता के प्रति गहरी प्रतिबद्धता शामिल है

निष्कर्ष:

हालांकि भारत को अपनी बौद्धिक पूंजी की वापसी से वास्तव में लाभ उठाने के लिए कई संरचनात्मक चुनौतियों का समाधान करना होगा। जबकि नए शोध के अवसर और सरकारी प्रयास सही दिशा में एक प्रभावी कदम हो सकता है। अतः समग्र विकास हेतु व्यापक सांस्कृतिक बदलाव और संस्थागत सुधारों की आवश्यकता है। 

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: अमेरिका में विदेशी छात्रों के वीज़ा रद्द करने के हाल ही में चल रहे कार्यक्रम के मद्देनजर, विकसित देशों की आव्रजन और वीज़ा नीतियों का भारतीय छात्रों की आकांक्षाओं और गतिशीलता पर पड़ने वाले प्रभाव पर चर्चा करें। इसका भारत की सॉफ्ट पावर नीति और वैश्विक जुड़ाव पर क्या प्रभाव पड़ेगा समझाइए। 

(10 अंक, 150 शब्द)

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