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जिम कॉर्बेट पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के निहितार्थ

Lokesh Pal April 15, 2024 05:15 133 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क तथा भारत में जैव विविधता हॉटस्पॉट के बारे में ।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: जैव विविधता के संरक्षण की दिशा में चुनौतियाँ और मानव-पशु संघर्ष ।

संदर्भ:

हाल ही में उच्चतम न्यायालय द्वारा जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में 6,000 पेड़ों की अवैध कटाई में शामिल राजनेताओं, वन अधिकारियों और स्थानीय ठेकेदारों के भ्रष्ट सहयोग को उजागर किया है ।

प्रमुख तथ्य :

  • संरक्षण पर ज्यादा राजस्व : वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और वन (संरक्षण) अधिनियम जैसे कानूनों के बावजूद राज्य की प्राथमिकता का केंद्र राजस्व ही बना हुआ है।
  • ग्रामीण मुकदमेबाजी और पात्रता केंद्र बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (Rural Litigation and Entitlement Kendra vs State of Uttar Pradesh) : इस मामले में उच्चतम न्यायालय का कथन था कि “पर्यावरण विनाश और लोगों के स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार की कीमत पर आर्थिक विकास हासिल नहीं किया जा सकता है।”

निर्णय संबंधी मुख्य तथ्य:

  • मानवकेंद्रितवाद से पारिस्थितिककेंद्रवाद की ओर : उच्चतम न्यायालय द्वारा इकोटूरिज्म प्रबंधन में मानवकेंद्रितवाद के बजाय पर्यावरण-केंद्रित दृष्टिकोण के महत्त्व पर जोर दिया गया है ।
  • वन के कोर क्षेत्रों में टाइगर सफ़ारी पर प्रतिबंध: न्यायालय द्वारा पर्यावरणीय क्षति और वन्यजीव आवासों में होने वाले व्यवधानों में कमी लाने संबंधी लक्ष्य के साथ राष्ट्रीय उद्यानों के कोर क्षेत्रों (Core Zone) में बाघ सफ़ारी पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया गया ।
  • व्यवहार्यता अध्ययन हेतु समिति का गठन: पूरे भारत में राष्ट्रीय उद्यानों के परिधीय भागों (Peripheral Parts) में बाघ सफारी की अनुमति प्रदान करने संबंधी संभावना की जाँच हेतु  एक समिति का गठन किया गया था, जो पर्यटन और संरक्षण उद्देश्यों को संतुलित करने की दिशा में एक सचेत दृष्टिकोण को दर्शाती है।
  • निवारक सिद्धांत और जैव विविधता: न्यायालय द्वारा कोर क्षेत्रों में सफारी पर प्रतिबंध लगाने से होने वाले संभावित नुकसान को कम करने हेतु निवारक सिद्धांत (Precautionary Principle) का प्रयोग किया गया ।
  • जैव विविधता की सुरक्षा: ब्रिटिश पर्यावरणविद् नॉर्मन मायर्स द्वारा रेखांकित किया जा चुका है कि जैव विविधता संरक्षण को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है I 

पुनर्स्थापना योजनाओं की सीमाएँ:

  • अपरिभाषित पद्धति: न्यायालय की पुनर्स्थापन लागत वसूलने संबंधी योजना में परिभाषित पद्धति का स्पष्ट रूप से अभाव पाया गया है, जो इसकी प्रभावकारिता के संबंध में चिंताएँ उत्पन्न करता है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र-आधारित मूल्यांकन: पर्यावरणीय क्षति के सटीक आकलन हेतु  पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर आधारित मूल्यांकन पद्धति को अपनाना आवश्यक है । पुनर्स्थापना योजनाओं के तहत राजस्व सृजन से अधिक संरक्षण प्रयासों को प्राथमिकता देने पर बल देना होगा ।

पर्यावरण नीति के तहत चूके गये अवसर:

  • पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को प्राथमिकता देना: न्यायालय द्वारा संरक्षण प्रयासों में पारिस्थितिक पर्यटन के ऊपर पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को प्राथमिकता देते हुए एक मिसाल कायम करने का अवसर गंवा दिया गया।
  • ICJ के फैसलों का संदर्भ : उच्चतम न्यायालय द्वारा कोस्टा रिका बनाम निकारागुआ मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले से प्राप्त होने वाली संभावित अंतर्दृष्टि को नजरअंदाज कर दिया गया।
    • ICJ द्वारा दृढ़तापूर्वक यह स्वीकार किया गया कि पर्यावरण को होने वाली क्षति और इसके परिणामस्वरूप वस्तु एवं सेवाएँ प्रदान करने संबंधी पर्यावरण की क्षमता का नुकसान, क्षतिपूर्ति योग्य है।

निष्कर्ष

अंततः उच्चतम न्यायालय का निर्णय संरक्षण हेतु एक पारिस्थितिक दृष्टिकोण अपनाने के महत्त्व पर प्रकाश डालता है, जिसके तहत पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं को महत्त्व देने और पर्यावरणीय क्षति एवं पुनःस्थापन लागत के आकलन हेतु एक ठोस पद्धति को लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

Source: The Hindu 

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न : 

Q- ‘जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क’ के संदर्भ  में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए  :

1.सभी  टाइगर रिज़र्व में से इसका “क्रांतिक बाघ आवास (क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट)” के अंतर्गत सबसे बड़ा क्षेत्र आता है |

2.जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क’ से होकर गंगा  नदी  प्रवाहित होती  है |

उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1 और न ही 2

उत्तर -d

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