100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

वैश्विक दक्षिण में भारत, लोकतंत्र का एक प्रकाश स्तंभ

Lokesh Pal August 15, 2024 05:30 64 0

संदर्भ: 

आज, भारत वैश्विक दक्षिण के देशों के बीच लोकतांत्रिक आशा के अंतिम स्तम्भों में से एक है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: लोकतंत्र, उदार लोकतंत्र, कानून का शासन, दांडी मार्च, आदि। 

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: एक लोकतांत्रिक उदाहरण के रूप में भारत की भूमिका, भारत के लोकतांत्रिक ढांचे से जुड़ी चुनौतियाँ आदि।

भारत और उसके पड़ोसी देश :

  • उदार लोकतंत्रों के प्रति वैश्विक निराशावाद के बढ़ने, दक्षिण एशिया में लोकतंत्र विरोधी ताकतों के फिर से उभरने और ध्रुवीकरण के साथ भारत के मौजूदा टकराव के बावजूद, लोकतंत्र के साथ भारतीय प्रयोग जो आज से 78 साल पहले शुरू हुआ था, वह साहसपूर्वक जारी है।
  • लेकिन जैसे-जैसे भारत की लोकतांत्रिक यात्रा धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है और देश विश्व व्यवस्था में एक बड़ी भूमिका निभाने की ओर देख रहा है, उसके समक्ष भिन्न-भिन्न प्रकार की समस्याएं हैं।
  • श्रीलंका, म्यांमार, पाकिस्तान और बांग्लादेश वर्तमान परिस्थिति में स्वयं को राजनीतिक और आर्थिक आपदा के कगार पर पाते हैं, जिसके साथ नागरिक प्राधिकरण के लोकतांत्रिक शासन का पतन भी है।
  • पड़ोसी देशों की नीतियों के विपरीत, भारतीय राज्य की संवैधानिक व्यवस्था ने उन जटिलताओं का सामना किया है, जिनका सामना एक स्वतंत्र, लोकतांत्रिक समाज को विभिन्न जातियों, भाषाई समूहों और धार्मिक समुदायों के साथ करना पड़ता है।
  • हमारी चुनावी राजनीति की विविधता इस क्षेत्र में सामाजिक और सांस्कृतिक विषमता की प्रणाली का प्रतिनिधित्व करती है।
  • भारत अपने पड़ोसियों  व विश्व के अन्य देशों के विपरीत, अपनी राजनीति में मजबूत लोकतंत्र लाने में सफल रहा है, क्योंकि पूर्व में केवल प्रक्रियात्मक लोकतंत्र स्थापित था।
  • केवल चुनाव ही वास्तविक लोकतांत्रिक आंदोलन सुनिश्चित नहीं कर सकते हैं। भारतीय समाज ने अपनी संवैधानिक व्यवस्था की लोकतांत्रिक भावना को ईमानदारी से आत्मसात किया है।

भारत की अधूरी लोकतांत्रिक यात्रा:

  • अनेक उपलब्धियों व सफलताओं के बावजूद, भारत की लोकतांत्रिक यात्रा अभी भी अधूरी है।
  • भारतीय संविधान का मूल उद्देश्य व आदर्श अभी भी पूरा नहीं हुआ है।
  • आर्थिक असमानता, धार्मिक-जाति आधारित पहचान, ध्रुवीकरण, भ्रष्टाचार और हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति युवाओं में उदासीनता के कारण कानून के शासन का धीरे-धीरे क्षरण जारी है।
  • यह समय है कि राष्ट्र प्रारंभिक स्वतंत्र भारत के लक्ष्यों से आगे बढ़कर आधुनिक आकांक्षी भारत के लक्ष्यों की ओर बढ़े।
  • यह समय भारतीय राज्य और उसके नागरिकों के बीच सामाजिक अनुबंध के नवीनीकरण और सुदृढ़ीकरण का है।
  • हमें अपने राष्ट्रीय चरित्र को फिर से परिभाषित करना होगा ताकि मौन की संस्कृति को पारदर्शिता की संस्कृति, हिंसा की संस्कृति को शांति की संस्कृति और बहिष्कार की संस्कृति को समावेश की संस्कृति से बदला जा सके।
  • भारत के राजनीतिक धरातल से लोकतान्त्रिक मूल्यों के संरक्षक मतदाता चुनावी राजनीति पर अत्यधिक केंद्रित हो गए हैं और मुद्दा-आधारित राजनीति को भूल गए हैं।
  • दांडी मार्च से लेकर हाल के किसानों के विरोध तक, मुद्दा-आधारित आंदोलनों ने हमारे शासन मॉडल और सामाजिक मूल्यों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • हमें एक समावेशी और प्रेरणादायक भारतीय सभ्यता के नागरिक के रूप में गर्व के साथ जुड़ना चाहिए, जिसने अपनी मूल बाधाओं को पार कर लिया है और अब वैश्विक व्यवस्था के शिखर की ओर अग्रसर है।
  • किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र के शासन को कभी भी आर्थिक, राजनीतिक या बहुसंख्यक अभिजात वर्ग के शासन द्वारा प्रतिस्थापित नहीं होने दिया जाना चाहिए।
  • आज हमें अपने खेतों में किसानों, ग्रामीण सरकारी कक्षाओं में शिक्षकों, सीमा पर सैनिकों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, रेलवे क्लर्कों और बहादुर आपातकालीन सेवा प्रदाताओं की भूमिकाओं से प्रेरणा लेनी चाहिए, जो यह सुनिश्चित करने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं कि लोकतांत्रिक और स्वतंत्र भारत का लाभ देश के प्रत्येक नागरिक तक पहुँच रहा है।
  • जो, एक लोकतांत्रिक महाशक्ति के रूप में भारत की यात्रा पर निरंतर निगरानी रखते हैं।

निष्कर्ष :

हालांकि भारत की लोकतांत्रिक यात्रा, अनेक उपलब्धियों व सफलताओं के बावजूद भी अधूरी है अतः इसके मूल उद्देश्य व आदर्श को स्थापित करने के लिए, पारदर्शिता, समावेशिता और मुद्दा-आधारित राजनीति को मजबूत करना वैश्विक लोकतांत्रिक शक्ति के रूप में भारत के निरंतर उदय के लिए महत्वपूर्ण है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न:

प्रश्न: वैश्विक दक्षिण में एक लोकतांत्रिक उदाहरण के रूप में भारत की भूमिका का मूल्यांकन करें। प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा करें और इसके लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत करने के उपाय सुझाएँ। 

(15 अंक, 250 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.