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भारत और जर्मनी: रणनीतिक साझेदारी की रजत जयंती

Lokesh Pal May 28, 2025 05:30 22 0

संदर्भ:

2025 में भारत और जर्मनी अपनी रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाएंगे।

परिचय

  • भारत-जर्मनी सामरिक साझेदारी की 25वीं वर्षगांठ महज एक प्रतीकात्मक उपलब्धि नहीं है बल्कि यह दो प्रमुख लोकतांत्रिक शक्तियों, एक एशिया में और दूसरी यूरोप में, के बीच सहयोग के एक मजबूत, दीर्घकालिक मॉडल को दर्शाती है।
  • उनकी भरोसेमंद और गतिशील साझेदारी आज के बहुध्रुवीय विश्व में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लिए एक अनुकरणीय मानक स्थापित करती है।

उत्पत्ति और विकास

  • शुरुआत: इस साझेदारी की औपचारिक शुरुआत वर्ष 2000 में हुई, जो भारत के आर्थिक सुधारों और शीत युद्ध के बाद के वैश्विक पुनर्गठन के मद्देनजर की गई थी।
    • इसे एक रणनीतिक संबंध के रूप में देखा गया था, जो लेन-देन संबंधी कूटनीति के बजाय गहन, दीर्घकालिक और बहु-क्षेत्रीय जुड़ाव पर केंद्रित था।
  • साझेदारी का दायरा – रणनीतिक साझेदारी: भारत-जर्मनी साझेदारी कई क्षेत्रों में फैली हुई है, जिनमें शामिल हैं:
    • रक्षा एवं सुरक्षा।
    • आर्थिक और व्यापार सहयोग।
    • वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान।
    • सांस्कृतिक आदान-प्रदान और शिक्षा।
    • जलवायु कार्रवाई और सतत विकास।
  • अंतर सरकारी परामर्श (आईजीसी) तंत्र रणनीतिक वार्ता को संचालित करने वाला केंद्रीय मंच है।

भारत-जर्मनी साझेदारी के चार स्तंभ

  • शांति और स्थिरता: भारत और जर्मनी शांतिपूर्ण, स्थिर और नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था के समर्थन हेतु एकीकृत दृष्टिकोण पर बल देते हैं।
    • यह राजनीतिक संरेखण अंतर-सरकारी परामर्श के माध्यम से संस्थागत होता है, जो एक अद्वितीय द्विपक्षीय प्रारूप है जो सुसंगत और सार्थक सहभागिता सुनिश्चित करता है।
    • तरंग शक्ति 2024 जैसे संयुक्त सैन्य अभ्यास और इंडो-पैसिफिक में जर्मन नौसेना द्वारा बंदरगाहों पर जाना इस क्षेत्र में जर्मनी की गहरी रुचि का संकेत है।

तरंग शक्ति 2024

  • भारत ने अपना पहला बहुराष्ट्रीय वायु अभ्यास, तरंग शक्ति 2024′, अगस्त 2024 में तमिलनाडु के सुलार में दो चरणों में आयोजित किया।
  • तरंग शक्ति नामक बहुराष्ट्रीय वायु अभ्यास का उद्देश्य सैन्य सहयोग को मजबूत करना और भारत के रक्षा उद्योग को प्रदर्शित करना है, जो देश केआत्मनिर्भर भारतके दृष्टिकोण के अनुरूप है।
  • इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, जापान, यूनाइटेड किंगडम और कई अन्य देश शामिल थे।

  • आर्थिक और तकनीकी सहयोग के माध्यम से समृद्धि
    • भारत में 2,000 से अधिक जर्मन कंपनियां काम कर रही हैं, जो 750,000 से अधिक नौकरियां प्रदान कर रही हैं।
    • इस सहयोग का एक प्रतीक दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल है, जिसका संचालन जर्मनी की राष्ट्रीय रेलवे कंपनी डॉयचे बान के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित भारतीय कर्मचारियों द्वारा किया जाता है।
    • भारतीय व्यवसाय भी जर्मनी में तेजी से वृद्धि कर रहा है, जो उच्च तकनीक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एकीकृत हो रहा है। चूंकि वर्तमान में यह वैश्विक व्यापार अनिश्चितता का सामना कर रहा है, इसलिए यह आपसी विश्वास अमूल्य है। भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते की दिशा में गति बढ़ने से दोनों पक्षों को बहुत लाभ होगा।
    • इसके अतिरिक्त, विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग भी बढ़ रहा है, भारतीय शोधकर्ता जर्मन संस्थानों में योगदान दे रहे हैं तथा संयुक्त प्रयास पर्यावरणीय चुनौतियों को व्यावसायिक समाधानों में बदल रहे हैं।

व्यक्ति/ नागरिकों के बीच संबंध

  • इस साझेदारी का मूल आधार व्यक्ति/ नागरिकों के मध्य का संबंध है। वर्तमान में 50,000 से अधिक भारतीय छात्र जर्मनी में अध्ययन कर रहे हैं, जो देश में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का सबसे बड़ा समूह है। कई छात्र भारत लौटने से पहले जर्मनी में अनुभव, कौशल और आय अर्जित करते हैं, जबकि अन्य यहीं रहते हैं और एकीकृत होकर जर्मन समाज को समृद्ध बनाते हैं।
  • सोशल मीडिया युवा भारतीयों के लिए जर्मनी में अपने जीवन की कहानियाँ साझा करने का एक माध्यम बन गया है, जो अनुकूलनशीलता और सफलता को दर्शाता है। जर्मनी में उन लोगों के लिए अवसर बढ़ेंगे जो जर्मन भाषा सीखते हैं, जिसमें पूरे भारत में बढ़ती रुचि देखी जा रही है।
  • इन संबंधों को वास्तव में गहरा करने के लिए, जर्मनी को अधिक से अधिक जर्मनों को भारत में रहने, काम करने और अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। दोनों पक्षों में सांस्कृतिक समझ और भाषा सीखने को बढ़ावा देना इस साझेदारी में अगली पीढ़ी के सुरक्षित भविष्य को तैयार करने की क्षमता है।

हरित विकास और सतत विकास

  • भारत जर्मनी हरित और सतत विकास साझेदारी (जीएसडीपी) इस रणनीतिक संबंध के सबसे महत्वाकांक्षी पहलुओं में से एक का प्रतिनिधित्व करती है।
    • जर्मनी ने भारत के हरित परिवर्तन को समर्थन देने के लिए 10 वर्षों में 10 बिलियन यूरो का अधिमान्य ऋण और अनुदान देने का वचन दिया है।
  • परियोजनाएं नवीकरणीय ऊर्जा, जैव विविधता और स्मार्ट शहरों से संबंधित हैं, जिनमें निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ रही है।
    • जर्मन प्रौद्योगिकी पहले से ही भारत की सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं को मदद कर रही है, जैसे कि गुजरात में, जहां नवीकरणीय बुनियादी ढांचे का प्रभावशाली पैमाने पर विस्तार हो रहा है।

भारत में दो बार अपनी सेवा दे चुके जर्मन राजदूत फिलिप एकरमैन (इस लेख के लेखक) इस बात पर विचार करते हैं कि भारत ने जर्मनी के साथ सम्बन्धों में कितनी अविश्वसनीय प्रगति की है और साथ ही साथ द्विपक्षीय संबंध भी किस प्रकार परिपक्व हुए हैं।

निष्कर्ष:

अतः रक्षा और व्यापार से लेकर शिक्षा और स्थिरता तक, भारत-जर्मन साझेदारी उल्लेखनीय रूप से आगे बढ़ी है। व्यक्ति/ नागरिकों के मध्य प्रौद्योगिकी और साझा मूल्यों में निरंतर निवेश के साथ, यह रणनीतिक साझेदारी आगामी 25 वर्षों में अपनी वर्तमान स्थिति से और आगे बढ़ने की संभावना है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न: आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए कि भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी किस प्रकार बहुध्रुवीय विश्व में अंतरराष्ट्रीय संबंधों की दृष्टि से विविधता लाने के भारत के दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करती है।

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