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भारत और विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक क्षय रोग रिपोर्ट 2025

Lokesh Pal November 18, 2025 05:15 15 0

संदर्भ:

क्षय रोग भारत की सबसे बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक बना हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की नवीनतम रिपोर्ट में इस दिशा में अच्छी प्रगति तो दिखाई देती है, लेकिन साथ ही उन गहरी संरचनात्मक कमियों को भी उजागर करती है जो अभी भी उन्मूलन प्रयासों में बाधा डाल रही हैं।

तपेदिक के बारे में

  • ऐतिहासिक साक्ष्य: टीबी एक प्राचीन बीमारी है, जिसके प्रमाण मिस्र की ममियों में पाए गए हैं
  • सामाजिक रोग: टीबी को एक सामाजिक रोग माना जाता है, क्योंकि यह न केवल माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया से जुड़ा है, बल्कि गरीबी, कुपोषण और खराब आवास से भी संबंधित है।
    • चिकित्सा मानवविज्ञानी पॉल फार्मर ने कहा कि टीबी “गरीबों को चुनती है”।
  • संचरण का माध्यम: टीबी संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से वायु के माध्यम से फैलता है।
  • फेफड़ों से परे: टीबी केवल फेफड़ों की बीमारी नहीं है; यह फुफ्फुसीय रोग से इतर भी हो सकती है, जो मस्तिष्क, रीढ़ या पेट को प्रभावित करती है।

WHO वैश्विक क्षय रोग रिपोर्ट 2025 के प्रमुख निष्कर्ष

  • घटनाओं में कमी: भारत में टीबी की घटनाओं की दर 21% घटकर 2015 में 237 प्रति लाख से 2024 में 187 प्रति लाख हो गई, जो वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक गिरावट का संकेत है।
  • मृत्यु दर में कमी: 2015 में मृत्यु दर 28 प्रति लाख से घटकर 2024 में 21 प्रति लाख हो गई, जिससे लाखों लोगों की जान बच गई।
  • उच्च उपचार सफलता: नए मामलों में उपचार सफलता 90% और दवा प्रतिरोधी मामलों में 77% है।

तपेदिक उपचार की सफलता को प्रेरित करने वाली रणनीतियाँ

  • उन्नत प्रौद्योगिकी: कार्ट्रिज-आधारित न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट (CBNAAT) मशीन का उपयोग करके आणविक निदान दो घंटे में परिणाम देता है और दवा प्रतिरोध का पता लगाता है।
    • AI उपकरणों का उपयोग एक्स-रे को स्कैन करने और डॉक्टरों द्वारा गलती से छूटे मामलों को पकड़ने के लिए किया जाता है।
  • पोषण सहायता: निक्षय पोषण योजना प्रत्येक टीबी रोगी को पौष्टिक भोजन सुनिश्चित करने के लिए 500 रुपये प्रति माह प्रदान करती है।
  • नई चिकित्सा पद्धतियां: बहु-औषधि प्रतिरोधी टीबी (MDR TB) के लिए BPAL/M (बेडक्विलाइन, प्रीटोमैनिड, लाइनजोलिड, मोक्सीफ्लोक्सासिन जैसी दवाओं का संयोजन) नामक एक नई उपचार पद्धति शुरू की गई।
    • यह नया संयोजन मौखिक गोलियों का उपयोग करके केवल छह महीने में बहु-औषधि प्रतिरोधी टीबी (MDR TB) को ठीक कर देता है, जिससे दो वर्षों तक दैनिक इंजेक्शन की आवश्यकता समाप्त हो जाती है, जिससे रोगी की अनुपालन क्षमता में सुधार होता है।

तपेदिक के उपचार में विद्यमान चुनौतियाँ

  • उच्चतम वैश्विक बोझ: विश्व के कुल टीबी मामलों में से 25% मामले अभी भी भारत में पाए जाते हैं और 2024 में वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक मामले देखे गए, जिसके कारण विश्व की टीबी राजधानी के रूप में इसकी स्थिति बरकरार है।
  • भौगोलिक संकेन्द्रण: टीबी के सबसे अधिक मामले उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार और मध्य प्रदेश राज्यों में देखे गए हैं
    • उच्च जनसंख्या घनत्व, प्रवासन और मलिन बस्तियों के कारण दिल्ली में प्रसार दर सबसे अधिक है।
  • MDR टीबी का खतरा: बहु-दवा प्रतिरोधी टीबी एक बड़ी चिंता का विषय है, क्योंकि यह दो सबसे शक्तिशाली दवाओं अर्थात रिफैम्पिसिन और आइसोनियाज़िड का प्रतिरोध करती है
    • वर्ष 2024 में विश्व के बहु-औषधि प्रतिरोधी टीबी (MDR TB) मामलों में अकेले भारत का योगदान 32% रहा।
  • उन्मूलन लक्ष्य से चूकना: भारत ने 2025 तक टीबी उन्मूलन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया था (जो 2030 के सतत विकास लक्ष्य से पहले था), लेकिन यह लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा।
  • अपर्याप्त मृत्यु दर में कमी: टीबी से होने वाली मृत्यु दर प्रति लाख 21 है, जबकि लक्ष्य सात से कम है, फिर भी भारत में इसके उन्मूलन लक्ष्य को पूरा करने के लिए आवश्यक मृत्यु दर से लगभग तीन गुनी मृत्यु दर्ज की जाती है।

आगे की राह

  • निदान का विकेन्द्रीकरण: ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों (PHC) में आणविक निदान मशीनें स्थापित की जानी चाहिए, क्योंकि वर्तमान में ग्रामीण लोग प्रायः अयोग्य डॉक्टरों का सहारा लेते हैं, जो एंटीबायोटिक्स लिखते हैं, जिससे दवा प्रतिरोध उत्पन्न होता है।
  • सामाजिक निर्धारकों पर ध्यान देना: चूंकि टीबी गरीबों की बीमारी है, इसलिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए चिकित्सा उपचार के साथ-साथ कुपोषण और खराब जीवन स्थितियों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
  • प्रभावी डॉट्स का कार्यान्वयन: रोगी अनुपालन सुनिश्चित करने और MDR टीबी के विकास को रोकने के लिए डॉट्स (प्रत्यक्ष रूप से देखे गए उपचार लघु-पाठ्यक्रम) कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से कार्यान्वित किया जाना चाहिए।
  • आपूर्ति श्रृंखला संचालन: शासन की विफलताओं और दवा की कमी को दूर करने की आवश्यकता है।
  • सक्रिय मामले की खोज (ACF): अस्पतालों में निष्क्रिय होकर प्रतीक्षा करने के बजाय, टीमों को सक्रिय रूप से उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में भेजा जाना चाहिए ताकि उन लोगों की जाँच की जा सके जो दो सप्ताह से अधिक समय से खांसी कर रहे हैं।
  • निजी क्षेत्र का अधिदेश: चूँकि 50% मरीज पहले निजी डॉक्टरों से परामर्श लेते हैं, इसलिए उन्हें प्रत्येक टीबी मामले को निक्षय पोर्टल पर सूचित करने के लिए बाध्य किया जाना चाहिए ताकि सरकार स्थिति को संभाल सके।
  • योजना संयोजन: टीबी के विरुद्ध लड़ाई को मनरेगा जैसी योजनाओं से जोड़ा जा सकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि श्रमिकों को भोजन, पोषण और समय पर जाँच की सुविधा मिल सके।

निष्कर्ष

भारत के राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम ने निदान, उपचार और पोषण संबंधी सहायता में उल्लेखनीय प्रगति की है। हालाँकि, जब तक बहु-औषधि प्रतिरोधी टीबी (MDR TB), खराब जीवन स्थितियों, ग्रामीण निदान में कमियों और निजी क्षेत्र की कमज़ोर रिपोर्टिंग जैसे मुद्दों का समाधान नहीं किया जाता, टीबी उन्मूलन का लक्ष्य हमारी पहुँच से बाहर ही रहेगा।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: टीबी उन्मूलन की दिशा में भारत की प्रगति के संदर्भ में विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक क्षय रोग रिपोर्ट 2025 के निष्कर्षों पर चर्चा कीजिए। उन प्रमुख चुनौतियों का परीक्षण कीजिए जो भारत के टीबी नियंत्रण प्रयासों में बाधा बन रही हैं?

(10 अंक, 150 शब्द)

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