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भारत, एक वैश्विक कौशल आपूर्तिकर्ता राष्ट्र के रूप में

Lokesh Pal December 24, 2024 05:30 9 0

संदर्भ :

अगस्त 2024 में एक संबोधन में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आशा व्यक्त की, कि भारत का कुशल कार्यबल वैश्विक रोज़गार बाजार में विशिष्ट भूमिका निभाएगा।

अंतरराष्ट्रीय श्रम प्रवास को आकार देने वाले वैश्विक रुझान

  • निम्न प्रजनन दर, कमजोर राष्ट्रीय सीमाओं के संदर्भ में वैश्वीकरण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसी तकनीकी प्रगति और जलवायु परिवर्तन जैसे जनसांख्यिकीय परिवर्तन अंतरराष्ट्रीय प्रवासी श्रमिकों की माँग और आपूर्ति को परिवर्तित कर रहे हैं।
  • इन परिवर्तनों का एक केंद्रीय उद्देश्य वैश्विक प्रवास नीतियों में कुशल श्रम का बढ़ता महत्त्व है।

कौशल-आधारित कार्यबल और भारत समक्ष उपस्थित प्रमुख चुनौतियाँ

  • कौशल-आधारित श्रमिकों की आवश्यकता : कई पारंपरिक प्रवासी गंतव्य (यू.एस., यू.के., कनाडा, GCC  राष्ट्र) और नए गंतव्य (जर्मनी, दक्षिण कोरिया, जापान) कौशल-चयनात्मक आव्रजन को तेजी से प्राथमिकता दे रहे हैं।
    • राष्ट्रों के अनुसार बढ़ती उम्र की आबादी, डिजिटलीकरण और आर्थिक विविधीकरण जैसे मुद्दों पर उनकी प्रतिक्रियाएँ कुशल प्रवासी श्रमिकों को आकर्षित करके पूर्ण की जा सकती हैं।
  • वैश्विक कौशल अंतराल पर ध्यान देना : अंतरराष्ट्रीय श्रम प्रवास में भारत के नीतिगत हस्तक्षेप अलग-अलग हैं और यह सामान्यतः साक्ष्य-आधारित नहीं होते हैं। 
    • प्रवासी श्रमिकों के बहिर्वाह संबंधी आँकड़ें उत्प्रवास मंजूरी तक सीमित हैं, जो चुनिंदा राष्ट्रों में केवल कम कुशल श्रमिकों को लक्षित करता है।
    • आँकड़ों की अपर्याप्तता : आँकड़ों की अपर्याप्तता प्रभावी नीतियों के निर्माण में बाधा उत्पन्न हैं ।
  • व्यापक राष्ट्रीय नीति का अभाव : भारत को अंतर्राष्ट्रीय श्रम प्रवास पर एक राष्ट्रीय नीति की आवश्यकता है, जिसमें कौशल-केंद्रित प्रवास एक केंद्रीय स्तंभ के रूप में हो।
  • द्विपक्षीय समझौतों का सीमित दृष्टिकोण : अंतरराष्ट्रीय श्रम गतिशीलता पर भारत के प्रयास मुख्य रूप से सामाजिक सुरक्षा, कौशल विकास, संरक्षण और कल्याण पर केंद्रित द्विपक्षीय समझौतों के माध्यम से हुए हैं।
    • इन समझौतों और पहलों में एक नीतिगत ढाँचे का अभाव है, साथ ही उनकी प्रभावशीलता का मूल्यांकन बहुत कम किया गया है।

आवश्यक समाधान

  • कौशल आधारित माँग का अनुमान लगाना : एक महत्त्वपूर्ण कार्य गंतव्य राष्ट्रों में प्रमुख क्षेत्रों से माँग में कौशल की पहचान करना और उनका अनुमान लगाना है।
    • व्यावसायिक प्रशिक्षण के विकास के लिए यूरोपियन यूनियन जैसे संगठन कौशल आवश्यकताओं का पता लगाने हेतु कौशल पूर्वानुमान पद्धतियों का उपयोग कर रहे हैं। भारत प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया देने के लिए इसी तरह के डेटा और विश्लेषण का लाभ उठा सकता है। 
      • क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पूर्वानुमान अभ्यासों से डेटा, विशेष रूप से यू.एस., यू.के. और कनाडा जैसे देशों के लिए, जो आमतौर पर मध्यम अवधि (2-5 वर्ष) पर ध्यान केंद्रित करते हैं, भारत को अपने कौशल प्रस्तावों को वैश्विक आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने में सहायता कर सकते हैं। 
      • बिग डेटा का उपयोग : इसे लक्षित राष्ट्रों में वास्तविक समय की ऑनलाइन रोज़गार  रिक्तियों के बिग डेटा विश्लेषण द्वारा पूरक बनाया जाना चाहिए, जहाँ भारत कौशल विकास  का अग्रणी आपूर्तिकर्ता बनना चाहता है। 
  • कौशल विकास क्षमता का मानचित्रण और संवर्द्धन : भारत को वर्तमान प्रयासों का मानचित्रण करके पाठ्यक्रम संबंधी कौशल को एकीकृत करके, अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों को अपनाकर और अल्पकालिक, गंतव्य-विशिष्ट प्रशिक्षण निर्मित कर अपने कौशल विकास क्षमता का आकलन करना चाहिए। 
  • वैश्विक मानकों को अपनाना : कौशल विकास की गुणवत्ता का अंतर्राष्ट्रीय मानकों तक विस्तार महत्त्वपूर्ण है। 
    • भारत को अपने राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढाँचे की समीक्षा करनी चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि ये प्रमुख गंतव्य देशों की योग्यता प्रणालियों के अनुरूप हैं । 
  • अप्रवासन : भारत को विदेशों में अर्जित कौशल को मान्यता देकर वापस लौटने वाले प्रवासियों के कौशल का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। इससे भारतीय श्रम बाजार में उनका पुनः एकीकरण सुलभ हो जाएगा।
  • सूचना प्रणाली का निर्माण : भारत को एक व्यापक, कौशल-केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय श्रम प्रवास सूचना प्रणाली विकसित करनी चाहिए।
    • यह प्लेटफॉर्म कौशल और प्रवास के प्रमुख संकेतकों को ट्रैक करेगा, साक्ष्य-आधारित हस्तक्षेपों को सक्षम करेगा और भारत तथा प्रमुख गंतव्य राष्ट्रों के मध्य कौशल साझेदारी को बढ़ावा देगा।

निष्कर्ष

भारत के लिए वैश्विक अवसरों का लाभ उठाने हेतु कौशल-केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय श्रम प्रवास के लिए एक समन्वित और साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण आवश्यक है। कौशल विकास को संरेखित करके, डेटा-संचालित प्रणाली बनाकर और वापस लौटने वाले प्रवासियों पर ध्यान केंद्रित करके, भारत कौशल प्रवास परिणामों में सुधार कर सकता है और वैश्विक कौशल गतिशीलता में योगदान दे सकता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न 

अंतर्राष्ट्रीय श्रम गतिशीलता के लिए भारत की खंडित नीतियों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों की जाँच कीजिए । इन चुनौतियों का समाधान करने और एक व्यापक नीतिगत ढाँचा निर्मित करने हेतु कौन-से उपाय किए जा सकते हैं?

(15 अंक, 250 शब्द)

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