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Lokesh Pal November 12, 2024 06:00 8 0
भारत-चीन सीमा का मुद्दा, खासकर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर, लंबे समय से तनाव का प्रमुख कारण रहा है। हाल के घटनाक्रमों, जैसे कि वर्ष 2024 के ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत-चीन के मध्य तनाव कम होना, ने दोनों देशों के मध्य शांति की उम्मीद जगाई है, हालाँकि महत्वपूर्ण प्रश्न और अनिश्चितताएँ अभी भी बनी हुई हैं।
भारत-चीन सीमा संकट 2020 में, खास तौर पर पैंगोंग त्सो में हिंसक झड़पों और गलवान घाटी में घातक संघर्ष के बाद, अपने चरम पर पहुंच चुका था। इस दौरान, चीनी सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जमा हो गई, जिससे भारत को चीन की क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं पर सवाल उठने लगे। चीन के आक्रामक रुख को समझाने के लिए चार संभावित सिद्धांत प्रस्तावित किए गए हैं।
भारत-चीन सीमा पर स्थिर भविष्य सुनिश्चित करने के लिए भारत को पारदर्शी दृष्टिकोण, स्पष्ट समझौते और रणनीतिक, दीर्घकालिक दृष्टिकोण को प्राथमिकता देनी होगी। क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए कूटनीतिक खुलेपन और स्पष्ट संचार के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण होगा। अतः सार्वजनिक मंचों पर जैसे कि 2024 के ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान देखा गया, भारत को बहस और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में अधिक सक्रिय रूप से शामिल होना होगा।
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