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भारत-चीन संबंध : एक नवीन परिदृश्य

Lokesh Pal December 25, 2024 05:30 14 0

संदर्भ :

अक्तूबर 2024 में कज़ान (रूस) में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पूर्व, भारत और चीन ने गश्त (पेट्रोलिंग)  व्यवस्था पर एक समझौते की घोषणा की तथा शेष सीमा संघर्ष बिंदुओं को हल किया, जिससे स्थिति 2020 से पहले के स्तर पर प्रभावी रूप से बहाल हो गई। अब 2025 में भारत-चीन संबंधों को बेहतर ढंग से मजबूत करने का समय आ गया है।

मुख्य बिन्दु

  • सुदृढ़ नेतृत्व : सुदृढ़ एवं परिपक्व नेतृत्व, विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने और उन्हें संघर्ष में बदलने से रोकने की क्षमता से परिभाषित होता है।
  • भारत और चीन का उदाहरण : जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प से भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध ने इस सिद्धांत की जाँच की ।
    • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की धैर्यपूर्ण कूटनीति और राजनीतिक इच्छाशक्ति के माध्यम से स्थिति का समाधान किया गया।
  • रणनीतिक विकल्प का क्षण : अब, दोनों राष्ट्र के नेताओं के समक्ष एक और महत्त्वपूर्ण चुनौती है कि क्या भारत-चीन संबंधों को व्यापक सहयोग की ओर ले जाना है या ऐतिहासिक अविश्वास को संबंधों की  प्रतिद्वंद्विता और संघर्ष में घसीटने देना है।

सहयोग या टकराव?

  • विश्व में बढ़ता संघर्ष : विश्व में बढ़ती भू-राजनीतिक अनिश्चितता (जैसे- इज़राइल-फिलिस्तीन, यूक्रेन-रूस, यमन में गृह युद्ध आदि) के समय, भारत-चीन प्रतिद्वंद्विता वैश्विक शांति को और अस्थिर करेगी।
  • पारस्परिक लाभ : दूसरी ओर, दोनों देशों के बीच पारस्परिक सहयोग से विभिन्न दूरगामी लाभ हो सकते हैं, जिससे न केवल एशिया में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा।
  • रणनीतिक नेतृत्व की भूमिका : संबंधों को सही दिशा में ले जाने के लिए दोनों राष्ट्र के नेताओं को समझदारी और उत्तरदायित्व युक्त नेतृत्व का प्रदर्शन करना चाहिए।
    • उनके द्वारा लिए गए निर्णय के न केवल भारत और चीन के लिए, बल्कि वैश्विक शासन, शांति और समृद्धि के लिए भी दूरगामी प्रभाव होंगे ।

चीन के उत्तरदायित्व

  • भारत की सुरक्षा चिंताओं का समाधान : चीन को भारत को यह आश्वस्त करना चाहिए, कि वह स्वतंत्र रूप से या पाकिस्तान के साथ गठबंधन में भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कोई खतरा पैदा नहीं करेगा ।
    • पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की चीन द्वारा निंदा न किए जाने से भारतीयों में गहरा अविश्वास पैदा हो गया है।
  • भारत के वैश्विक उत्थान का समर्थन : चीन को ऐसे कार्यों से बचना चाहिए, जो यह दर्शाते हों कि वह एशिया और वैश्विक मंचों पर भारत के उत्थान को रोकना चाहता है।
    • एक महत्त्वपूर्ण संकेत यह होगा, कि चीन “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद” में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन करे, जिससे भारत को एकसमान वैश्विक शक्ति के रूप में मान्यता मिले।
  • भारत को एक बहुध्रुवीय शक्ति के रूप में सम्मान : चीन को भारत को बहुध्रुवीय एशिया और विश्व में एक प्रमुख ध्रुव के रूप में मान्यता देनी चाहिए तथा उसकी स्थिति और आकांक्षाओं का सम्मान करना चाहिए।
    • भारत चीन सहित किसी भी देश के साथ अपने संबंधों में अधीनस्थ स्थिति को स्वीकार नहीं करेगा।

भारत के उत्तरदायित्व

  • टकराव वाले गठबंधनों से बचना : भारत को “शक्ति विषमता” की अवधारणा को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करने से सावधान रहना चाहिए और चीन का मुकाबला करने के लिए “क्वाड” जैसे टकराव वाले गठबंधनों में शामिल होने से बचना चाहिए।
    • भारत के लिए यह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है, कि इसे चीन को “रोकने” की रणनीति के हिस्से के रूप में न देखा जाए।
  • “वन चाइना पॉलिसी” को बनाए रखना : भारत को लगातार “वन चाइना पॉलिसी” का पालन करना चाहिए और ऐसे कार्यों से बचना चाहिए, जिन्हें ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन करने या तिब्बत मुद्दे का उपयोग चीन को कमज़ोर करने के रूप में समझा जा सकता है।
  • चीन विरोधी आख्यानों का मुकाबला : भारत के मीडिया और अकादमिक संस्थानों को चीन विरोधी आख्यानों  के विस्तार से बचना चाहिए, जो अक्सर पश्चिम के भू-राजनीतिक एजेंडों द्वारा संचालित होते हैं।

बेहतर संबंधों हेतु आवश्यक उपाय

जबकि बड़े रणनीतिक मुद्दों को हल करने के लिए समय और प्रयास की आवश्यकता होगी, भारत और चीन दोनों संबंधों को बेहतर बनाने के लिए निम्नलिखित आवश्यक उपाय कर सकते हैं:

  • सीधी हवाई यात्राओं को पुनः प्रारंभ करना : दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी में सुधार और यात्रा को आसान बनाने के लिए COVID-19 महामारी के बाद सीधी हवाई यात्राओं के निलंबन को वापस लिया जाना चाहिए।
  • चीनी नागरिकों के लिए वीज़ा जारी करना : भारत को चीनी व्यापारियों, इंजीनियरों, तकनीशियनों, विद्वानों और पर्यटकों को वीज़ा जारी करना पुनः प्रारंभ करना चाहिए। 

चीन ने भारतीयों को 200,000 से ज़्यादा वीज़ा जारी किए हैं, जबकि भारत ने वर्ष 2023-24 में चीनी नागरिकों को 10,000 से भी कम वीज़ा जारी किए थे। 


  • पत्रकारों को वापस आने की अनुमति देना : दोनों देशों को उन निर्णयों को वापस लेना चाहिए, जिनके कारण एक-दूसरे के देशों से पत्रकारों को निकाला गया था, जिससे बेहतर मीडिया संबंधों और समझ को बढ़ावा मिल सके । 
  • चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध हटाना : गलवान झड़प के बाद भारत द्वारा कई चीनी ऐप्स पर लगाए गए प्रतिबंध पर पुनः विचार किया जाना चाहिए, जिससे संचार और व्यावसायिक वार्ताओं को सुलभ बनाया जा सके। 
  • व्यापार और निवेश बढ़ाना : चीन भारत से ज़्यादा सामान आयात करके भारत के साथ अपने व्यापार घाटे को कम कर सकता है। इसके अलावा, भारत में अधिक मात्रा में चीनी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को बढ़ावा देने से दोनों अर्थव्यवस्थाओं को लाभ हो सकता है। 
    • भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंथा नागेश्वरन के सुझाव के अनुसार, भारत का व्यापारिक समुदाय चीनी कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यम और तकनीकी सहयोग के लिए उत्सुक है। 

निष्कर्ष

भारत और चीन एक चौराहे पर खड़े हैं। सही विकल्प चुनकर 2025, दोनों राष्ट्रों के लिए द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्त्वपूर्ण वर्ष सिद्ध हो सकता है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भारत यात्रा या प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा, सहयोग के एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक हो सकती है, जिससे दोनों देशों को लाभ होगा एवं वैश्विक शांति और स्थिरता में योगदान मिलेगा।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न 

“वर्ष 2025 भारत-चीन संबंधों के लिए एक विशेष उपलब्धि सिद्ध हो सकता है |” दिए गए कथन के आलोक में भारत-चीन संबंधों में विद्यमान समस्याओं तथा संबंधित समाधानों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए |

(15 अंक, 250 शब्द)

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