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Lokesh Pal December 06, 2024 05:00 55 0
संसद में, चीन के साथ सीमा तनाव पर स्वप्रेरणा के तहत बयान देने एवं संसदीय पैनल को जानकारी देने संबंधी भारत के निर्णय को सराहा गया। वहीं इस महत्वपूर्ण मुद्दे को पारदर्शिता पूर्वक संबोधित करने की दिशा में एक स्वागत योग्य कदम माना जा रहा है,लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम को उठाने में काफी विलंब हुआ I
हालांकि भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बयानों और विदेश सचिव विक्रम मिस्री की ब्रीफिंग ने सरकार के दृष्टिकोण पर एक आवश्यक स्पष्टता प्रदान की है । चर्चा के मुख्य कारक इस प्रकार हैं :
महत्त्वपूर्ण अनसुलझे बिन्दु :इन अद्यतनों के बावजूद, सरकार द्वारा प्रस्तुत किये गए 2,500 शब्दों के बयान में कई प्रमुख मुद्दों के संबंध में महत्वपूर्ण विवरणों का अभाव था:
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हालाँकि भारत-चीन संबंधों की दिशा में प्रगति धीमी रही है, लेकिन फिर भी यह कदम आशा की किरण जगाता है। हालाँकि अत्यधिक पारदर्शिता और निरंतर वार्ता की दिशा में उठाए गए ये कदम उत्साहजनक माने जा सकते हैं, परन्तु विश्वास के पुनर्निर्माण और भारत के क्षेत्रीय और सुरक्षा हितों की प्रभावी ढंग से रक्षा की सुनिश्चितता हेतु अभी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है ।
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