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भारत-चीन संबंध तथा वैश्विक आपूर्ति शृंखला

Lokesh Pal March 03, 2025 05:15 10 0

संदर्भ:

हालिया समय में, बढ़ते अमेरिकी-चीन तनाव और COVID-19 व्यवधानों के कारण वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हो रहे हैं।

मुख्य बिंदु: 

  • कई एशियाई अर्थव्यवस्थाओं को प्रारंभ में चीन के साथ बेहतर और ऐतिहासिक अमेरिकी संबंधों से लाभ मिला। उन्होंने दो महाशक्तियों के बीच एक पक्ष को नहीं चुना, लेकिन अब उन्हें गठबंधन करने के लिए बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है।

वैश्विक आपूर्ति शृंखला

  • वैश्विक आपूर्ति शृंखला कच्चे माल की सोर्सिंग, विनिर्माण, रसद और वितरण का एक सीमा-पार नेटवर्क है, जो विश्व में वस्तुओं के कुशल उत्पादन और वितरण को सुनिश्चित करता है। 
    • यह तुलनात्मक लाभ, तकनीकी एकीकरण और व्यापार अंतरनिर्भरता का लाभ उठाता है
  • उदाहरण: एप्पल की वैश्विक आपूर्ति शृंखला में शामिल हैं:
    • कच्चा माल: अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और चीन से प्राप्त।
    • विनिर्माण: जापान, दक्षिण कोरिया और ताइवान में निर्मित घटक।
    • एकत्रण: चीन, भारत और वियतनाम में प्रमुख केन्द्र।
    • वितरण: एप्पल स्टोर्स और ई-कॉमर्स के माध्यम से वैश्विक बिक्री।

चीन के वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने के कारण:

  • सस्ता श्रम:
    • बड़ी जनसंख्या: विशाल कार्यबल के कारण मज़दूरी कम रहती है।
    • कौशल विकास: तकनीकी कौशल और व्यावसायिक प्रशिक्षण में सरकारी निवेश।
  • मज़बूत बुनियादी ढाँचा: हाई-स्पीड रेल, विश्व स्तरीय बंदरगाह, व्यापक सड़क नेटवर्क। उद्योगों के लिए स्थिर विद्युत आपूर्ति और डिजिटल बुनियादी ढाँचा।
  • निर्यातोन्मुख विकास: अनुकूल व्यापार नीतियाँ और वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में एकीकरण।
  • विस्तृत बाज़ार: बड़ी घरेलू माँग उत्पादन को प्रोत्साहित करती है तथा निर्यात और घरेलू आत्मनिर्भरता दोनों पर ध्यान केंद्रित करती है।

चीन प्लस वन रणनीति

  • चीन प्लस वन रणनीति का तात्पर्य वैश्विक व्यापार को चीन पर एकमात्र निर्भरता से दूर ले जाने से है, जिसके लिए विनिर्माण और आपूर्ति शृंखलाओं में विविधता लाकर भारत, वियतनाम, मेक्सिको और इंडोनेशिया जैसे वैकल्पिक राष्ट्रों की ओर रुख किया जाता है

चीन प्लस वन रणनीति अपनाने के कारण:

  • COVID-19: चीन में कठोर COVID-19 लॉकडाउन (जैसे- वुहान, शंघाई) के कारण कारखाने बंद हो गए, बंदरगाह पर भीड़-भाड़ हो गई और वैश्विक शिपिंग निर्यात में देरी हुई। 
    • इससे समय पर विनिर्माण बाधित हुआ, जिससे अर्द्धचालकों, चिकित्सा आपूर्तियों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी हो गई
  • व्यापार का हथियारीकरण (Weaponization of Trade): ऑस्ट्रेलिया द्वारा कोविड-19 की उत्पत्ति की जाँच की माँग करने के बाद चीन ने ऑस्ट्रेलियाई कोयला, जौ और वाइन पर प्रतिबंध लगा दिए, जो चीनी बाजारों पर अत्यधिक निर्भरता के जोखिमों को स्पष्ट करता है।
  • तकनीकी युद्ध: चीनी टेक फर्मों (हुआवेई, टिकटॉक) और सेमीकंडक्टर निर्यात पर प्रतिबंध।

चीन पर निर्भरता कम करने के लिए देशों द्वारा प्रारंभ की गई रणनीतियाँ:

  • फ्रेंडशोरिंग: ‘फ्रेंडशोरिंग’ – यह शब्द आपूर्ति शृंखलाओं को उन देशों में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया का संक्षिप्त रूप है, जहाँ राजनीतिक अराजकता से व्यवधान का जोखिम कम है। 
    • यह एक ऐसी रणनीति है, जिसमें एक देश कच्चे माल, घटकों और यहाँ तक ​​कि निर्मित वस्तुओं को उन देशों से प्राप्त करता है जो उसके मूल्यों को साझा करते हैं।
    • चीन+1 कभी भी चीन से बाहर निकलने की रणनीति नहीं थी, बल्कि जोखिमों से बचाव की एक रणनीति थी।
    • उदाहरण: मलेशिया और वियतनाम ने स्वयं को तटस्थ व्यापार साझेदार के रूप में स्थापित किया।
  • अमेरिकी व्यापार नीतियाँ: ट्रम्प के व्यापार उपाय चीन के आर्थिक प्रभाव को रोकने के लिए अमेरिकी प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और प्रमुख उद्योगों तक उसकी पहुँच को प्रतिबंधित करते हैं।
    •  इसके अतिरिक्त, मेक्सिको पर चीन से बढ़ते आयात को सीमित करने का दबाव है, जो वैश्विक व्यापार गतिशीलता को नया आकार देने के लिए अमेरिका के व्यापक प्रयासों को दर्शाता है।
  • निकटवर्ती क्षेत्र: निकटवर्ती क्षेत्र एक व्यावसायिक रणनीति है, जिसमें किसी कंपनी के कुछ या सभी परिचालनों को किसी नजदीकी राष्ट्र में स्थानांतरित करना शामिल है। निकटवर्ती क्षेत्र में तेजी आएगी, जिसमें केवल माल को पुनः भेजने से लेकर उत्पादन को ही स्थानांतरित करने तक की प्रक्रिया अपनाई जाएगी
    • भविष्य की व्यापार नीतियाँ इस बात पर केंद्रित होंगी, कि वस्तुएँ कहाँ बनाई जाती हैं, न कि केवल इस बात पर कि उनका परिवहन कहाँ होता है।

निकटवर्ती क्षेत्र के प्रमुख उदाहरण:

  • द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा: भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने अमेरिकी डॉलर की बजाय स्थानीय मुद्राओं (INR-AED) में व्यापार निपटान पर सहमति व्यक्त की।
  • आपूर्ति शृंखला लाभ: व्यापार संबंधों को मजबूत करता है, विदेशी मुद्रा जोखिम को कम करता है तथा क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को बढ़ाता है।
  • ऊर्जा एवं विनिर्माण: ऊर्जा निर्यात में यूएई की भूमिका और भारत का विनिर्माण विस्तार निकटवर्ती सिद्धांतों के अनुरूप है।

आपूर्ति शृंखला लचीलापन पहल (Supply Chain Resilience Initiative- SCRI):

  • सदस्य: भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने चीन पर निर्भरता कम करने के लिए 2021 में आपूर्ति शृंखला लचीलापन पहल (SCRI) शुरू की
  • उद्देश्य: वैकल्पिक उत्पादन केंद्रों को बढ़ावा देकर क्षेत्रीय आपूर्ति शृंखलाओं को मज़बूत करना।
  • कार्यान्वयन: स्थिर आपूर्ति शृंखला सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त निवेश, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और औद्योगिक सहयोग।

चीन से वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं के स्थानांतरण के कारण:

  • आर्थिक चुनौतियाँ:  चीन विश्व का सबसे बड़ा निर्माता राष्ट्र बना हुआ है, लेकिन उसे कमजोर घरेलू उपभोक्ता खर्च, दीर्घकालिक विकास को प्रभावित करने वाले रियल एस्टेट क्षेत्र के संकट और आर्थिक स्थिरता के लिए निर्यात पर निरंतर निर्भरता का सामना करना पड़ रहा है।
  • निकटवर्ती: अमेरिका कुछ ही समय में अपना विनिर्माण आधार तैयार नहीं कर सकता , जिससे मेक्सिको और कनाडा उसकी औद्योगिक रणनीति में प्रमुख खिलाड़ी बन गए हैं। हालाँकि, आपूर्ति शृंखला पुनर्गठन निकट भविष्य में मुद्रास्फीति की चुनौतियों को बढ़ा सकता है।
  • व्यापार क्षेत्रीयकरण: व्यापार क्षेत्रीयकरण सेवाओं की तुलना में विनिर्माण को अधिक प्रभावित करता है। अमेरिकी डॉलर प्रमुख बना हुआ है, जिससे वित्तीय वैश्वीकरण जारी रहना सुनिश्चित होता है।

निष्कर्ष

आपूर्ति शृंखलाएँ निरंतर विकसित होती रहती हैं, लेकिन यह परिवर्तन संरचनात्मक है। जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों को आर्थिक अलगाव से बचने के लिए रणनीतिक संरेखण की आवश्यकता हो सकती है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर विकसित हो रही वैश्विक आपूर्ति शृंखला के प्रभाव पर चर्चा कीजिए। साथ ही यह भी बताइए कि बदलते भू-राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य में भारत को स्वयं को किस प्रकार से स्थापित करना चाहिए?

(15 अंक, 250 शब्द)

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