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भारत-फ्रांस साझेदारी (India-France partnership)

Samsul Ansari December 27, 2023 03:17 171 0

नोट: प्रस्तुत लेख Hindustaan Times में प्रकाशित “Indo-French partnership gets Republic Day boost” पर आधरित है |

संदर्भ:

  • फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन 75वें गणतंत्र दिवस समारोह-2024 में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे।
  • गणतंत्र दिवस परेड के अवसर पर पिछले फ्रांसीसी राष्ट्रपति: जैक्स शिराक, निकोलस सरबोजी और फ्रेंकोइस ओलांद थे।

प्रारंभिक परीक्षा : MTCR, WAR, AU 

मुख्य परीक्षा : भारत और फ्रांस के मध्य संबंध और इससे संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ तथा आगे की राह ।

गणतंत्र दिवस परेड के अवसर पर फ्रांसीसी राष्ट्रपति को आमंत्रित करने का महत्व:

  • यह पहली बार है कि राष्ट्रपति मैक्रॉन को यह सम्मान दिया जा रहा है|
  • फ्रांसीसी राष्ट्रपति अल्प सूचना पर निमंत्रण पर सहमत हुए, यह जानते हुए कि वह संयुक्त राज्य अमेरिका (US) के राष्ट्रपति जो बिडेन के स्थान पर आ रहे हैं क्योंकि जो बिडेन कई कारणों से इसमें शामिल नहीं हो सके।
  • यह 14 जुलाई को बास्तील दिवस समारोह में प्रधानमंत्री मोदी को दिए गए सम्मान से भी निकटता रखता है, जब भारतीय सशस्त्र बलों ने चैंप्स एलिसीज़ पर मार्च किया था।

भारत-फ्रांस संबंध:

  • सर्वदलीय सहमति: रणनीतिक अशांति की विशेषता वाली अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में स्थिरता के स्तंभ के रूप में भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी के अत्यधिक महत्व के विषय में दोनों देशों के मध्य सर्वदलीय सहमति है।
  • अपरिवर्तनीय रूप से उत्कृष्ट बंधन: भारत-फ्रांसीसी संबंध किसी भी विवाद से रहित और अपरिवर्तनीय उत्कृष्टता की विशेषता वाली साझेदारी है।
  • सहयोग के क्षेत्र:आरंभ में, सहयोग को रक्षा, अंतरिक्ष और परमाणु दस्तावेजों में सहयोग द्वारा चिह्नित किया गया था।
  • ग्लोबल कॉमन्स तक पहुँच: भारत-फ्रांस सहयोग का निम्नलिखित उद्देश्य हैं –
    • आर्थिक और सुरक्षा हितों को आगे बढ़ाना।
    • वैश्विक ग्लोबल तक समान और मुक्त पहुँच सुनिश्चित करना। 
    • सततता साझेदारी का निर्माण करना ।
    • संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के आधार पर अंतरराष्ट्रीय कानून के शासन को आगे बढ़ाना।
  • ग्रीन हाइड्रोजन: एक विश्वसनीय और टिकाऊ मूल्य श्रृंखला स्थापित करने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन पर एक रोडमैप, जिसका उद्देश्य दोनों देशों को डीकार्बोनाइज्ड हाइड्रोजन के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी बनाना है।
  • अंतरिक्ष: होराइजन 2047 दस्तावेज़ रणनीतिक संबंधों के केंद्र में स्थान रखता है और दावा करता है कि अंतरिक्ष, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों एवं अंतरिक्ष क्षमताओं का उपयोग करने वाले अनुप्रयोगों तक पहुँच नवाचार, वैज्ञानिक विकास और आर्थिक विकास के केंद्र में है।
  • हितों का अभिसरण: फ्रांस हिंद महासागर में बड़ी मात्रा में अचल संपत्ति के साथ एक स्थायी शक्ति है। 
    • हिंद महासागर में भारत के मजबूत रणनीतिक हित हैं।
    • इस प्रकार दोनों देशों का हिंद महासागर में महत्वपूर्ण हित है और उन्होंने एक इंडो-पैसिफिक रोडमैप अपनाया है।

भारत-फ्रांस सबंधों में मधुरता की वजह?

  • रणनीतिक स्वायत्तता एवं एक स्वतंत्र विदेश नीति के समान आधार वाले दोनों देशों के मध्य रणनीतिक अनुरूपता।
  • पूर्ण विश्वास और विश्वसनीयता, जिसने संबंध को निर्देशित किया है उनमें हम निम्नलिखित को शामिल कर सकते हैं-
    • 1998 के बाद का भारतीय परमाणु परीक्षण। 
    • बहुपक्षीय मंचों पर भारत के लिए समर्थन।
    • रक्षा आपूर्ति के मुद्दे पर हमारी सुरक्षा चिंताओं का पूरी तरह से सम्मान करना इत्यादि।
  • दोनों देशों के मध्य दूसरे देश के आंतरिक मामलों में पूर्ण हस्तक्षेप न करने को लेकर आपसी समझ।

भारत-फ्रांस के मध्य द्विपक्षीय संबंधों के विषय में:

  • वर्ष 1948 के दौरान भारत और फ्रांस के मध्य राजनयिक संबंधों की स्थापना के बाद से भारत और फ्रांस के मध्य तकरीबन 75 वर्षों से घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं।
  •  वर्ष 1998 के दौरान भारत और फ्रांस ने अपने राजनयिक संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
    • भारत और फ्रांस के मध्य स्थापित इस रणनीतिक साझेदारी ने जनवरी 2023 में 25 वर्ष की अवधि पूरी कर ली है ।

विभिन्न क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भारत और फ्रांस के मध्य सहमती:

  • वसेनार अर्रेंजमेंट (WA), ऑस्ट्रेलिया ग्रुप (AG) तथा मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजीम (MTCR) में भारत को शामिल करने में फ़्रांस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
  • भारत ने हिन्द महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) में फ्रांस को शामिल किए जाने को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • फ्रांस ने भारत को हिंद महासागर आयोग (IOC) में एक पर्यवेक्षक देश के रूप में शामिल किए जाने को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया ।
  • यही नहीं फ्रांस न केवल भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ही एक स्थायी सदस्य देश के रूप में शामिल किए जाने एवं संयुक्त राष्ट्र में सुधारों लिए भारत के दावे का समर्थक रहा है ।
  • भारत और फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मलेन (CCIT) को अपनाने के लिए तथा आतंकवाद पर मिलकर काम करने के लिए संकल्प लिया है ।

निष्कर्ष:

राष्ट्रपति मैक्रॉन का 26 जनवरी को भारत आने का निर्णय उदारता और भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी के प्रति विशेष प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न (UPSC 2011)

Q) संयुक्त राज्य अमेरिका ने “ऑस्ट्रेलिया समूह (AG)” तथा “वासेनार व्यवस्था (WA)” के नाम से ज्ञात बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत के सदस्य बनाए जाने को लेकर समर्थन दी जाने का निर्णय लिया था | इन दोनों ही व्यवस्थाओं के मध्य क्या अंतर है ?

   1. “ऑस्ट्रेलिया समूह” एक अनौपचारिक व्यवस्था है जिसका लक्ष्य निर्यातक देशों द्वारा रासायनिक तथा जैविक हथियारों के प्रगुणन में सहायक होने के जोखिम को न्यूनीकृत करना है, जबकि “वासेनार व्यवस्था” OECD के अंतर्गत गठित ओउप्चारिक समूह है जिसके समान लक्ष्य हैं |

   2. “ऑस्ट्रेलिया समूह” के सहभागी मुख्यतः एशियाई, अफ़्रीकी और उत्तरी अमेरिका के देश हैं जबकि “वसेनार व्यवस्था” के सहभागी मुख्यतः यूरोपीय संघ और अमेरिकी महाद्वीपों के देश हैं |

        निचे दी गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चुनाव कीजिए |

        (a)  केवल 1 

        (b)  केवल 2 

        (c)  1 और 2 दोनों 

        (d)  न तो 1 और न ही 2 

उत्तर : (d) 

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न : हाल ही में भारत और फ्रांस के मध्य द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पुरे हुए इसे ध्यान में रखते हुए भारत और फ्रांस के मध्य रणनीतिक साझेदारी के विषय में विस्तार से चर्चा कीजिए। भारत और फ्रांस के संबंधों के मध्य व्याप्त प्रमुख चुनौतियों का समाधान सहित उल्लेख कीजिए ।

                                                                                       News Source:Hindustan Times

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