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भारत-मॉरीशस ऐतिहासिक और द्विपक्षीय संबंध

Lokesh Pal March 10, 2025 05:30 12 0

संदर्भ:

भारत के प्रधानमंत्री 11-12 मार्च, 2025 तक मॉरीशस की राजकीय यात्रा पर जाएंगे और मॉरीशस के स्वतंत्रता दिवस समारोह  में मुख्य अतिथि होंगे।

भू-राजनीतिक संदर्भ

  • वैश्विक अनिश्चितताएँ: परिवर्तित शक्ति गतिशीलता और भू-राजनीतिक तनाव क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित करते हैं।
  • हिंद महासागर: वैश्विक व्यापार, समुद्री सुरक्षा और ऊर्जा मार्गों के लिए एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र, प्रभाव के लिए प्रमुख शक्तियों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा।
  • चीन का प्रभाव: बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं, आर्थिक निवेश और सैन्य ठिकानों के माध्यम से अपनी उपस्थिति को बढ़ाना। हिंद महासागर के देशों के साथ संबंधों को मज़बूत करना, भारत के क्षेत्रीय प्रभुत्व को चुनौती देना।
  • भारत की जवाबी रणनीति: रक्षा सहयोग, व्यापार और कूटनीतिक संबंध विस्तार। चीन के प्रभाव को संतुलित करने के लिए बुनियादी ढाँचे, समुद्री सुरक्षा और रणनीतिक गठबंधनों में निवेश करना।

भारत मॉरीशस संबंध

  • सांस्कृतिक संबंधमॉरीशस की लगभग 70% आबादी भारत से आती है, मुख्य रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश राज्यों से। ये संबंध औपनिवेशिक काल से चले आ रहे हैं, जब भारतीय गिरमिटिया मज़दूरों को चीनी बागानों में काम करने के लिए लाया गया था।
  • ऐतिहासिक संबंध: वर्तमान प्रधानमंत्री के पिता सर शिवसागर रामगुलाम ने मॉरीशस के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और भारत के साथ उनके ऐतिहासिक संबंध थे। 
    • उन्होंने ब्रिटेन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस (1919-21) के साथ कार्य किया और बोस की पुस्तक ”द इंडियन स्ट्रगल” के प्रकाशन में सहायता की।
  • विरासत का संरक्षण: भारत ने मॉरीशस में भारतीय मूल की आबादी की सांस्कृतिक और भाषाई विरासत को संरक्षित करने तथा उसे बढ़ावा देने में सक्रिय रूप से योगदान दिया है।
    • महात्मा गांधी संस्थान और भारतीय सांस्कृतिक केंद्र जैसी संस्थाएँ भारतीय भाषाओं तथा परंपराओं को बढ़ावा देती हैं।
    • मॉरीशस स्थित विश्व हिंदी सचिवालय को हिंदी को वैश्विक भाषा के रूप में आगे बढ़ाने के लिए भारत का समर्थन प्राप्त है।
  • द्विपक्षीय व्यापार: भारत और मॉरीशस के मध्य द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2022-23 में $554 मिलियन तक पहुँच गया, जो स्थिर आर्थिक संबंधों को प्रदर्शित करता है।
  • अफ्रीका का प्रवेशद्वार: मॉरीशस अफ्रीका के साथ भारत के आर्थिक संबंधों के लिए एक  प्रवेश बिंदु के रूप में कार्य करता है। अफ्रीकी संघ के सदस्य के रूप में, यह अफ्रीकी देशों के साथ “अधिमान्य व्यापार समझौतों” (preferential trade agreements) से लाभान्वित होता है, जिससे भारत की बाजार तक पहुँच आसान होती है।
  • निवेश केंद्र: दोहरे कराधान परिहार समझौते (DTAA) ने मॉरीशस को एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र के रूप में स्थापित कर दिया है। 
    • इस समझौते से भारत में विदेशी निवेश को बढ़ावा मिला है तथा दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग सुदृढ़ हुआ है।
  • समुद्री सुरक्षा रणनीति: मॉरीशस भारत की समुद्री सुरक्षा रणनीति में एक महत्त्वपूर्ण साझेदार है, मुख्य रूप से पश्चिमी हिंद महासागर में यह प्रमुख है। यह देश भारत की SAGAR (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) परियोजना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • क्षेत्रीय सुरक्षा: मॉरीशस भारत, श्रीलंका, मालदीव और बांग्लादेश के साथ कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन का एक प्रमुख सदस्य है। यह क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा और समुद्री डकैती विरोधी प्रयासों में सक्रिय रूप से योगदान देता है
  • समुद्री सुरक्षा अवसंरचना: भारत ने निम्नलिखित के माध्यम से मॉरीशस की समुद्री सुरक्षा अवसंरचना का विस्तार किया है:
    • निगरानी के लिए तटीय राडार स्टेशन नेटवर्क की स्थापना।
    • अगलेगा द्वीप को संयुक्त निगरानी सुविधा के रूप में पुनर्विकास करना।
    • मॉरीशस को गुरुग्राम स्थित हिंद महासागर क्षेत्र के लिए सूचना संलयन केंद्र (IFC-IOR) तक पहुँच प्रदान करना।
    • INS सर्वेक्षक जैसी भारतीय नौसैनिक परिसंपत्तियों का उपयोग करके समुद्र विज्ञान संबंधी सर्वेक्षण करना।

 आगे की राह

  • व्यापार को मज़बूत बनाना: द्विपक्षीय व्यापार समझौतों को बढ़ाना। वित्त, प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढाँचे जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देना तथा व्यवसाय के लिए बेहतर बाज़ार पहुँच की सुविधा प्रदान करना।
  • समुद्री सुरक्षा विस्तार: नौसैनिक सहयोग और संयुक्त अभ्यास को बढ़ावा देना। समुद्री निगरानी और हिंद महासागर में डकैती, तस्करी और अवैध मत्स्यन से निपटने के लिए क्षमता निर्माण पहल को मज़बूत करना।
  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान: शैक्षिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देना, पर्यटन और लोगों के बीच संबंधों को प्रोत्साहित करना तथा भाषाई और विरासत संबंधी पहलों का समर्थन करना।
  • स्थिति निर्धारण: मॉरीशस को अफ्रीका में व्यापार और निवेश के केंद्र के रूप में प्रयोग करना। अफ्रीकी देशों के साथ त्रिपक्षीय साझेदारी को बढ़ावा देना और क्षेत्रीय संपर्क के लिए मॉरीशस की रणनीतिक स्थिति का उपयोग करना।
  • राजनीतिक समर्थन: उच्च स्तरीय राजनीतिक सहभागिता को सुदृढ़ बनाना। वैश्विक और क्षेत्रीय मंचों पर मॉरीशस का समर्थन तथा अंतर्राष्ट्रीय मामलों में दीर्घकालिक रणनीतिक एकीकरण को बढ़ावा देना।

निष्कर्ष

भारत को दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदार के रूप में मॉरीशस को प्राथमिकता देनी चाहिए, साथ ही  आर्थिक विकास, सुरक्षा और सांस्कृतिक क्षेत्रों में गहन सहयोग तथा अफ्रीका के प्रवेश द्वार के रूप में इसकी विशिष्ट भूमिका का लाभ उठाना चाहिए।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

भारत और मॉरीशस के बीच गहरे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध हैं। भारतीय प्रधानमंत्री की  मॉरीशस यात्रा के संदर्भ में, व्यापार और सुरक्षा पर विशेष बल देते हुए द्विपक्षीय सहयोग को मज़बूत करने में इसके महत्त्व की जाँच कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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