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भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर तथा उसकी प्रासंगिकता

Lokesh Pal November 13, 2024 05:30 34 0

संदर्भ :

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर (IMEC) को सितंबर 2023 में G20 शिखर सम्मेलन के दौरान शुरू किया गया था। हालिया आँकड़ों के अनुसार इसकी विस्तृत क्षमता के बावजूद, भू-राजनीतिक चुनौतियों के कारण प्रगति असमान रही है, जो चिंता का विषय है ।

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर (IMEC)

  • IMEC एक महत्त्वाकांक्षी अंतरमहाद्वीपीय व्यापारिक गलियारा है, जिसे स्वेज नहर जैसे पारंपरिक मार्गों की तुलना में पारगमन समय को 40% और परिवहन लागत को 30% तक कम करने के लिए निर्मित किया गया है।
  • यह गलियारा भारत के बंदरगाहों को मध्य पूर्व और यूरोप से जोड़ता है, जिससे वस्तुओं की सुचारू आवाजाही सुनिश्चित होती है और इन क्षेत्रों के व्यापार संबंधों को बढ़ावा मिलता है।
  • यह गलियारा भारत से एक समुद्री मार्ग से शुरू होगा, जो संयुक्त अरब अमीरात (विशेष रूप से जेबेल अली पोर्ट) से जुड़ेगा, जो इस क्षेत्र में व्यापार का एक प्रमुख केंद्र है।
  • संयुक्त अरब अमीरात से गलियारा रेल और सड़क नेटवर्क के माध्यम से विस्तारित होगा, पश्चिम एशिया (सऊदी अरब, जॉर्डन तथा संभावित रूप से इज़राइल जैसे देशों सहित) से गुज़रेगा और अंततः यूरोप में ग्रीस तक पहुँचेगा।

IMEC की वर्तमान स्थिति और चुनौतियाँ

1. गलियारे का पूर्वी भाग :

  • भारत और UAE को जोड़ने वाला पूर्वी क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिसे मजबूत द्विपक्षीय व्यापार और 2022 में हस्ताक्षरित “व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते” (CEPA) का समर्थन प्राप्त है।
    • द्विपक्षीय व्यापार में 93% की वृद्धि हुई है, जो 2020-21 में $43.30 बिलियन से बढ़कर 2023-24 में $83.64 बिलियन हो गया है।
  • भारत और UAE के मध्य गैर-तेल व्यापार में काफी वृद्धि हुई है, जो IMEC के व्यापार पहलुओं के लिए सकारात्मक गति का संकेत देता है।
  • इसमें एक वर्चुअल ट्रेड कॉरिडोर का शुभारंभ भी किया गया है, जिसका उद्देश्य व्यापार प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना, रसद लागत को कम करना तथा भारत और UAE के मध्य व्यापार दक्षता को बढ़ाना है।

 2. कॉरिडोर का पश्चिमी भाग :

  • गलियारे का पश्चिमी भाग, विशेष रूप से मध्य पूर्व में चल रहे इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष के कारण कई प्रमुख चुनौतियों का सामना कर रहा है। इस संकट ने प्रगति में देरी की है, विशेष रूप से सऊदी अरब और जॉर्डन की परियोजना में भागीदारी को प्रभावित किया है। 
  • हालाँकि जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन राजनीतिक स्थिति से सीधे प्रभावित नहीं हो सकता है, लेकिन भू-राजनीतिक आयाम अरब देशों और इज़राइल के बीच सहयोग को प्रभावित करता है, जिससे प्रगति धीमी हो जाती है।

3. कॉरिडोर के अन्य तत्त्वों पर प्रगति :

  • पश्चिम एशिया में चल रहे संघर्ष के कारण स्वच्छ ऊर्जा निर्यात, ऑप्टिकल फाइबर केबल, ऊर्जा ग्रिड और दूरसंचार सहित IMEC का पूरा दायरा बाधित हुआ है। जब तक स्थिति स्थिर नहीं हो जाती, इन तत्त्वों पर प्रगति में देरी होगी।

आगे की राह 

  • बुनियादी ढाँचा और बंदरगाह विकास : भारत को इस समय का उपयोग अपने बंदरगाह बुनियादी ढाँचे को मजबूत करने, कनेक्टिविटी नोड्स के साथ विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) विकसित करने और IMEC के साथ सहज एकीकरण का समर्थन करने के लिए घरेलू रसद को बढ़ाने के लिए करना चाहिए।
  • डिजिटल लॉजिस्टिक्स में सुधार : घरेलू लॉजिस्टिक परिदृश्य में भारत के डिजिटल बुनियादी ढाँचे को उन्नत करने से परिवहन लागत कम हो सकती है और निर्यात प्रतिस्पर्द्धा बढ़ सकती है, जो IMEC का लाभ उठाने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • आपूर्ति शृंखला एकीकरण: भारत स्वयं को वैश्विक आपूर्ति शृंखला के केंद्र के रूप में स्थापित करना चाहता है तथा IMEC अंतरराष्ट्रीय मूल्य शृंखलाओं में एकीकरण के लिए एक महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।
    • हालाँकि, यह क्षमता केवल भारत की विनिर्माण और व्यापार प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करके ही विकसित की जा सकती है, मुख्य रूप से चीन जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्द्धा आदि में।
  • IMEC सचिवालय की स्थापना: IMEC सचिवालय की स्थापना हितधारकों के मध्य बेहतर समन्वय, व्यवस्थित कार्यान्वयन और प्रगति पर स्पष्टता सुनिश्चित कर सकती है।
    • सचिवालय गलियारे के लाभ पर अनुभवजन्य शोध कर सकता है तथा सीमापार व्यापार सुविधा, पारदर्शिता बढ़ाने और नए भागीदार देशों को आकर्षित करने के लिए रूपरेखा विकसित कर सकता है।
  • भू-राजनीतिक स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करना : प्रयासों को मध्य पूर्व भू-राजनीतिक तनावों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए तथा एक बार स्थिर हो जाने पर, ऊर्जा और प्रौद्योगिकी सहयोग सहित व्यापक IMEC तत्त्वों को इसकी पूरी क्षमता के उपयोग करने के लिए आगे बढ़ाया जाना चाहिए।

निष्कर्ष

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर में भारत और UAE के मध्य पूर्वी क्षेत्र में प्रगति के साथ वैश्विक व्यापार को बदलने की बहत अधिक संभावना है। हालाँकि, पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक तनावों को हल करना कॉरिडोर की पूरी क्षमता के उपयोग करने की कुंजी है। बुनियादी ढाँचे, डिजिटल एकीकरण और कूटनीति पर केंद्रित प्रयास इसकी सफलता को आगे बढ़ाएंगे।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न 

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर की भारत के लिए प्रासंगिकता स्पष्ट करते हुए, इसकी पूर्ण क्षमता के उपयोग में आने वाली समस्याओं पर चर्चा कीजिए, साथ ही उचित उपाय भी सुझाइए |

(10 अंक, 150 शब्द) 

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