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भारत : वृक्षारोपण अभियानों के कुशल प्रबंधन की आवश्यकता

Lokesh Pal July 20, 2024 05:30 93 0

संदर्भ: 

अनियंत्रित और असंवहनीय प्रथाओं के कारण वन संसाधनों के दोहन ने वन परिदृश्यों की स्थिति को ख़राब कर दिया है, ऐसे में पुनर्निर्देशित प्रेरणाओं और रणनीतियों पर ज़ोर दिया जा रहा है जो वनों की पारिस्थितिक प्रणालियों में परिवर्तन लाने में मदद कर सकते हैं, और ऐसे लचीले वनों का निर्माण कर सकते हैं जिनमें विविध क्षमताएं और योग्यताएं हों।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: वन क्षरण, स्वस्थ पर्यावरण के लिए वृक्षारोपण, कार्बन पृथक्करण, वन महोत्सव, कार्बन सिंक, वन ट्रिलियन प्रोजेक्ट, “चीन की महान हरित दीवार”, “10 बिलियन ट्री सुनामी”, “बॉन चैलेंज, पेरिस समझौता, 2021-2030 संयुक्त राष्ट्र द्वारा पारिस्थितिकी तंत्र बहाली के दशक के रूप में, मोनोकल्चर, आदि।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: वन क्षरण और वृक्षारोपण में भारत का योगदान और आंकड़े, आवश्यकता, महत्व, चुनौतियां, की गई कार्रवाई और उठाए जाने वाले उपाय, कार्बन सिंक की अवधारणा आदि।

वनों का अनियंत्रित क्षरण:

  • चिंताजनक आंकड़े: विश्व बैंक का अनुमान है कि 20वीं सदी की शुरुआत से अब तक दुनिया में लगभग 10 मिलियन वर्ग किलोमीटर वन नष्ट हो चुके हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा कार्रवाई: संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2021-2030 के दशक को पारिस्थितिकी तंत्र बहाली के दशक के रूप में घोषित करने का मुख्य उद्देश्य वन बहाली के दृष्टिकोण पर जोर देना था।
    • लक्ष्य: 350 मिलियन हेक्टेयर बंजर भूमि का पुनरुद्धार करके 9 ट्रिलियन डॉलर की पारिस्थितिकी सेवाएं उत्पन्न करना तथा वायुमंडल से अतिरिक्त 13 गीगाटन-26 गीगाटन ग्रीनहाउस गैसों को अलग करना।

स्वस्थ पर्यावरण के लिए वृक्षारोपण:

  • विधि: यह जैव विविधता को समर्थन देने एवं बनाए रखने के लिए सिद्ध विधियों में से एक है, जिसमें जलवायु सम्बन्धी संकटों एवं अन्य पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने की अद्भुत क्षमता है।
  • जैविक कार्बन पृथक्करण: इसमें जैविक कार्बन पृथक्करण शामिल हैं जो वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को संग्रहीत करने और हटाने का एक तंत्र है।
  • भारत सरकार की कार्रवाई: 

वन महोत्सव कार्यक्रम (1950) : पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में वृक्षों की इस अपरिहार्य भूमिका को ध्यान में रखते हुए, तत्कालीन भारतीय कृषि मंत्री के.एम. मुंशी ने जुलाई 1950 में वन महोत्सव (‘वृक्षों का त्योहार’) कार्यक्रम शुरू किया।

    • तब से भारत में हर साल जुलाई के पहले सप्ताह में वृक्षारोपण का यह कार्यक्रम धार्मिक रूप से मनाया जाता रहा है।
    • कुछ हद तक ये प्रयास न केवल लोगों को प्रेरित करने में सफल रहे हैं, बल्कि इस प्रयास के अनेक महत्वपूर्ण नतीजे भी सामने आए हैं, जिनमें वन क्षेत्र में सुधार भी शामिल है।
  • अभियानों के समक्ष चुनौतियाँ: विभिन्न वृक्षारोपण कार्यक्रमों में लोगों की कम भागीदारी के साथ पारिस्थितिकी और स्थानीयता की उपेक्षा हाल के वर्षों में पर्यावरणविदों और वैज्ञानिकों के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय रही है।
    • पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव: जोसेफ वेल्डमैन के अध्ययन के अनुसार, वनों की कटाई वाले क्षेत्रों को छोड़कर, घास के मैदानों और पशु आवास जैसे कुछ स्थानों पर वृक्षारोपण से पौधों और पशु आवास नष्ट हो जाते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंच सकता है, वन्य आग की तीव्रता बढ़ सकती है और ग्लोबल वार्मिंग बढ़ सकती है।
      • विभिन्न विशेषज्ञों ने पुनर्वास के लिए वृक्षारोपण हेतु घास के मैदानों को वनविहीन और अवक्रमित भूमि मानने पर संदेह व्यक्त किया; ये भूमि अत्यधिक उत्पादक और जैवविविध हैं, जो अनेक पशुओं और लोगों का भरण-पोषण करती हैं।

फैंसी ड्राइव, आकर्षक नारे:

  • आकर्षक नारों, आकर्षक अभियानों और सुर्खियां बटोरने वाले अभियानों के साथ, वृक्षारोपण के कार्यक्रमों ने, वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर, मीडिया का बहुत ध्यान आकर्षित किया है और अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए विभिन्न संगठनों सहित लोगों की भागीदारी भी प्राप्त की है।
    • उदाहरण: विभिन्न भारतीय राज्यों में वृक्षारोपण अभियान, विश्व आर्थिक मंच का “वन ट्रिलियन प्रोजेक्ट”, “चीन की महान हरित दीवार”, पाकिस्तान का “10 बिलियन ट्री सुनामी” या 2020 तक 150 मिलियन हेक्टेयर क्षरित और वनविहीन परिदृश्यों को 2030 तक 350 मिलियन हेक्टेयर बहाल करने के लिए “बॉन चैलेंज”।
  • आलोचना: सीमित सामुदायिक भागीदारी, पर्याप्त रोपण के बाद उपायों की कमी और एकल कृषि को बढ़ावा देना।
    • जिससे कार्बन पृथक्करण और जैव विविधता विकास के लिए यह कम प्रभावी साबित हो रहा है।

भारत की उपलब्धि:

  • पेरिस समझौता: 2023 में, भारतीय प्रधानमंत्री ने दावा किया कि ‘भारत एकमात्र जी-20 देश है जिसने पेरिस समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा किया है’।
  • कार्बन सिंक: फरवरी 2024 में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री ने राज्यसभा में इस बात का उल्लेख किया है कि ‘भारत ने 1.97 बिलियन टन CO2 समतुल्य का अतिरिक्त कार्बन सिंक हासिल कर लिया है।’

भारत के समक्ष उपस्थित प्रमुख चुनौतियाँ:

  • नीचे निम्नलिखित चुनौतियों का उल्लेख किया गया है जो वर्ष 2030 तक तकरीबन 26 मिलियन हेक्टेयर कम वन क्षेत्र वाले क्षेत्र का प्रबंधन करना और वृक्षारोपण सहित विविध स्तर पर किए जाने वाले प्रयासों के लिए वन क्षेत्र में सुधार करने की भारत की पहल के लिए विविध स्तर पर समस्याएँ/चुनौतियाँ उत्पन्न करती हैं-
    • अतिक्रमण: भारत में लगभग 10 मिलियन हेक्टेयर वन भूमि का जनता द्वारा अतिक्रमण किया जा रहा है।
    • उच्च निर्भरता: लगभग 27.5 करोड़ लोग जीविका के लिए वनों पर निर्भर हैं।
    • गैर-वानिकी प्रयोजन हेतु उपयोग: स्वतंत्रता के बाद से लगभग 5.7 मिलियन हेक्टेयर वन भूमि को गैर-वानिकी प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जा रहा है।

आगे की राह :

  • बड़े पैमाने पर पौधरोपण अभियान की आलोचना की पृष्ठभूमि में, भारत को निम्नलिखित उपाय करने की आवश्यकता है :
    • रणनीतियों का आत्मनिरीक्षण करना।
    • पर्याप्त वित्त पर ध्यान देना।
    • सार्वजनिक जागरूकता अभियान चलाना। 
    • सामुदायिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग। 
    • तकनीकी विचार।

निष्कर्ष:

अर्थात केवल विभिन्न कार्यक्रमों के तहत मात्र वृक्षारोपण करने से ही पर्यावरण की सुरक्षा सम्बन्धी विविध आवश्यक उपायों को पूरा नहीं किया जा सकता हैं प्रभावी रूप से पौधरोपण के बाद के उपायों और वृक्षों की वृद्धि की निगरानी का पर्याप्त प्रावधान किया जाना अति महत्वपूर्ण है। पुनर्स्थापना के अधिक लाभकारी दृष्टिकोण और अन्य वैकल्पिक कम लागत वाले उपायों खासकर वृक्ष द्वीपों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, जिसमें पृथ्वी के छोटे-छोटे खंडों या द्वीपों में पौधे लगाना इत्यादि शामिल है। 

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न:

प्रश्न: हालांकि वृक्षारोपण पहल को सामान्यतः जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण क्षरण के लिए अधिक उपयोगी उपाय माना जाता है, किन्तु इस पहल की प्रभावशीलता पर लगातार सवाल उठते रहते हैं। भारत में बड़े पैमाने पर चलाए जाने वाले वृक्षारोपण अभियानों की चुनौतियों और सीमाओं का आलोचनात्मक परिक्षण कीजिए, और उनके पारिस्थितिक एवं सामाजिक प्रभाव को बढ़ाने के उपाय सुझाएँ। 

(15 अंक, 250 शब्द)

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