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भारत: सेप्टिक टैंकों से कीचड़ निष्कर्षण हेतु मशीनीकृत समाधान की आवश्यकता

Lokesh Pal July 25, 2025 05:00 23 0

संदर्भ:

भारत में विभिन्न कानूनी ढाँचों के बावजूद मैनुअल स्कैवेंजिंग और सेप्टिक टैंक से मल निकालने का मुद्दा एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय बना हुआ है।

  • अतः सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए मशीनीकृत समाधान की आवश्यकता तथा खतरनाक मैनुअल कार्यों में शामिल श्रमिकों के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करना महत्त्वपूर्ण है।

सेप्टिक टैंक डिस्लजिंग क्या है?:

इसमें भूमिगत टैंकों की सफाई की प्रक्रिया शामिल है जहां घरेलू शौचालयों का कचरा एकत्रित होता है।

  • हालांकि यह आवश्यक स्वच्छता कार्य एक खतरनाक व्यवसाय मॉडल के कारण प्रभावित हो रहा है, इसके कारण लगातार श्रमिकों की मृत्यु हो रही है, जो महत्वपूर्ण प्रवर्तन और सामाजिक न्याय संबंधी मुद्दों व चुनौतियों को उजागर करता है।

सेप्टिक टैंक की सफाई में प्रमुख चुनौतियाँ:

  • मृत्यु और अपर्याप्त सुरक्षा उपाय: सेप्टिक टैंक, गटर और सीवर की सफाई जहरीली गैसों की उपस्थिति और ऑक्सीजन की कमी के कारण स्वाभाविक रूप से खतरनाक है
    • मार्मिक मौत का कारण: जब इन खतरनाक टैंकों में, कोई श्रमिक प्रवेश करता है तो वह यहाँ के विषाक्त वातावरण के कारण दम तोड़ देता है। इतना ही नहीं अक्सर बचाव का प्रयास करने वाले अन्य श्रमिक भी मर जाते हैं।
    • सामाजिक न्याय मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक खतरनाक परिस्थितियों में इनकी सफाई के कारण वर्ष 2022 और 2023 में 150 श्रमिकों की मृत्यु हुई थी।
    • इनमें से 54 श्रमिकों के सामाजिक लेखा परीक्षण से ज्ञात हुआ कि 38 श्रमिकों को स्थानीय ठेकेदारों द्वारा काम पर रखा गया था, जबकि केवल पांच ही सरकारी वेतन पर कार्यरत थे
  • पर्याप्त सुरक्षात्मक उपकरणों का अभाव: वर्ष 2024 में देश भर में इन जोखिमयुक्त सफाई कार्यों में लगे 57,758 श्रमिकों की पहचान के बावजूद, केवल 16,791 व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) किटों की आपूर्ति की गई।
  • पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा का अभाव: इन जोखिमयुक्त सफाई कार्यों में लगे 14,000 से भी कम श्रमिकों को स्वास्थ्य कार्ड प्राप्त हुए, तथा 4,800 शहरी स्थानीय निकायों में केवल 837 सुरक्षा कार्यशालाएं आयोजित की गईं।
  • डेटा संग्रहण में अंतराल: डेटा संग्रहण में भी अत्यधिक अंतराल मौजूद है, ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई कर्मचारियों के बारे में जानकारी का लगभग अभाव है।

मौजूदा कानूनी ढाँचे और उनमें व्याप्त खामियाँ:

भारत ने हाथ से मैला ढोने की प्रथा से निपटने और मशीनीकृत सफाई को बढ़ावा देने के लिए मज़बूत कानूनी और नीतिगत ढाँचे स्थापित किए हैं। हालाँकि, ज़मीनी स्तर पर इनका क्रियान्वयन एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है।

  • मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का प्रतिषेध और पुनर्वास अधिनियम (2013) सीधे तौर पर मैनुअल स्कैवेंजिंग पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान करता है।
  • सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश: हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सख्त आदेश जारी किए हैं, परंतु उनका अनुपालन एक चुनौती है।
  • स्वच्छ भारत मिशन (शहरी): इसका उद्देश्य शहरी भारत को खुले में शौच से मुक्त करना और देश भर के 4,041 शहरों में ठोस कचरे का 100% वैज्ञानिक प्रबंधन सुनिश्चित करना है परंतु शहरी भीड़भाड़ व मलिन बस्तियों में यह चुनौती भरा कार्य है।
  • वर्ष 2023 में शुरू की गई राष्ट्रीय मशीनीकृत स्वच्छता पारिस्थितिकी तंत्र (नमस्ते) योजना का उद्देश्य विशेष रूप से मशीनों का उपयोग करके मशीनीकृत सफाई करना है।
    • नमस्ते योजना को अब तक केवल 14 करोड़ की वित्तीय सहायता आवंटित हुई है, जो किसी भी बड़े शहर में सीवर सफाई के लिए पर्याप्त नहीं है। यह न्यूनतम आवंटन राजनीतिक इच्छाशक्ति की भारी कमी को दर्शाता है।
  • अप्रभावी आपातकालीन इकाइयाँ: दुर्घटनाओं या रुकावटों के दौरान सहायता करने के लिए डिज़ाइन की गई आपातकालीन प्रतिक्रिया स्वच्छता इकाइयाँ, अक्सर “कागजी नारेबाजी” के रूप में कार्य करती हैं अर्थात केवल कागज पर मौजूद होती हैं। अतः उनके प्रभावी होने के लिए संसाधनों और शक्ति की कमी होती है।
  • जवाबदेही में बदलाव: जब किसी श्रमिक की मृत्यु हो जाती है, तो पुलिस मुख्य नियोक्ता को जवाबदेह ठहराने के बजाय, सामान्यतः निम्नतम स्तर के पर्यवेक्षक के विरुद्ध मामला दर्ज कर लेती है।
    • सर्वोच्च न्यायालय के दायित्व संबंधी आदेशों को लागू करने में विफलता: सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि प्रमुख नियोक्ताओं के विरुद्ध मामले दर्ज किए जाएं तथा उन पर मौद्रिक दायित्व लगाए जाएं, फिर भी स्थानीय निकायों ने अभी तक ऐसे नियमों को अधिसूचित नहीं किया है।

सेप्टिक टैंक की सफाई हेतु प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना:

वर्तमान समय में, मैनुअल सफाई के लिए पर्याप्त तकनीक आधारित संसाधन आसानी से उपलब्ध हैं। मशीनी मल निकासी वाहन और सीवर रोबोट व्यावहारिक और सुरक्षित विकल्प प्रदान करते हैं।

  • उदाहरण के लिए; ओडिशा ने सफलतापूर्वक श्रमिकों की पहचान की है, उन्हें PPE किट उपलब्ध कराए हैं, तथा मशीनीकृत मल निकासी वाहनों तक पहुंच प्रदान की है।
  • तमिलनाडु ने चेन्नई में सीवर रोबोट के उपयोग का बीड़ा उठाया है। इस अभियान के माध्यम से 5,000 से अधिक मैनहोलों की सफलतापूर्वक सफाई की गई है।
  • उद्योग विशेषज्ञ इस बात की पुष्टि करते हैं कि मशीन खरीद के लिए पर्याप्त पूंजीगत सब्सिडी और उचित ऑपरेटर प्रशिक्षण के साथ, अधिकांश भूमिगत बुनियादी ढाँचे की सफाई रोबोटिक रूप से की जा सकती है। हालाँकि, सरकारी निविदाएँ अक्सर अभी भी मैन्युअल बोलियाँ आमंत्रित करती हैं।

अंतर्निहित सामाजिक न्याय संबंधी आयाम:

 हाथ से मैला ढोने का मुद्दा सामाजिक न्याय से गहराई से जुड़ा हुआ है।

  • विशेष समुदाय या वर्ग का मुद्दा: खतरनाक सफाई के काम में लगे मान्य कर्मचारियों में से दो-तिहाई दलित हैं। यह एक सामाजिक पैटर्न को दर्शाता है जहाँ कुछ समुदायों को घृणित व्यवसायों में धकेला जाता है।
  • राहत व पुनर्वास के प्रयास: पुनर्वास के प्रयास अक्सर अपर्याप्त साबित होते हैं, क्योंकि पैकेज में बच्चों के लिए आवास या छात्रवृत्ति जैसी आवश्यक सहायता शायद ही कभी शामिल होती है, जो परिवारों के लिए इन व्यवसायों से बाहर निकलने के लिए महत्वपूर्ण है।
    • जिन महिलाओं को अभी भी शुष्क शौचालयों की सफाई करने के लिए मजबूर किया जाता है, उन पर नीतिगत ध्यान और भी कम दिया जाता है।

व्यापक सुधार के लिए सिफारिशें

खतरनाक व जोखिमयुक्त सेप्टिक टैंक की सफाई को समाप्त करने तथा श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति से प्रेरित बहुआयामी दृष्टिकोण आवश्यक है।

  • शहरी स्थानीय निकायों को बिना किसी विलंब के सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई का पूर्ण मशीनीकरण लागू करना चाहिए।
  • जोखिमयुक्त व खतरनाक सफाई के कार्य को एक लाइसेंस प्राप्त व्यापार बनाया जाना चाहिए, जिसमें लाइसेंस प्राप्त श्रमिकों के लिए उचित प्रशिक्षण और सुरक्षा कार्यशालाएं होनी चाहिए।
    • वैध प्रमाण पत्र के बिना परिचालन करना संज्ञेय अपराध माना जाना चाहिए।
  • सरकार को मशीनों की खरीद के लिए पर्याप्त सब्सिडी प्रदान करनी चाहिए तथा आवश्यक उपकरण खरीदने के लिए श्रमिकों और ठेकेदारों को ऋण उपलब्ध कराना चाहिए।
    • वित्तीय सहायता के रूप में प्रदत्त ऋणों को नगरपालिकाओं से गारंटीकृत सेवा अनुबंधों से जोड़ा जाना चाहिए।
  • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रदत्त आदेश, मुख्य नियोक्ता को श्रमिकों की मृत्यु और असुरक्षित प्रथाओं के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए, को प्रभावी बनाया जाना चाहिए।
  • देश भर में खतरनाक सफाई के पूरे दायरे को समझने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों की व्यापक प्रोफाइलिंग महत्वपूर्ण है।
  • राष्ट्रीय स्तर पर सरकार को स्वच्छ भारत ग्रामीण बजट के अंतर्गत सेप्टिक टैंक की सफाई को शामिल करना चाहिए तथा प्रोफाइलिंग और सब्सिडी सहित नमस्ते योजना के लाभों को ग्राम पंचायतों तक विस्तारित करना चाहिए।
  • हालांकि राजनीतिक इच्छाशक्ति सर्वोपरि है परंतु कानून और योजनाएँ तभी प्रभावी होती हैं जब उनका कड़ाई से पालन किया जाए।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: बार-बार न्यायिक हस्तक्षेप और सरकारी योजनाओं के बावजूद, भारत में सेप्टिक टैंक की सफ़ाई जीवन के लिए ख़तरा बनी हुई है और इससे गरिमा का हनन हो रहा है। आज के दौर में, सेप्टिक टैंक सफ़ाई की प्रथाओं को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों का परीक्षण कीजिए। देश भर में सुरक्षित, सम्मानजनक और यंत्रीकृत स्वच्छता कार्य सुनिश्चित करने के लिए कौन से प्रभावी उपाय अपनाए जाने चाहिए?

(10 अंक, 150 शब्द)

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