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Lokesh Pal
July 15, 2025 05:00
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भारत के खुले पारिस्थितिकी तंत्र, जैसे-रेगिस्तान, सवाना, घास के मैदान और झाड़ीदार भूमि, को महत्त्वहीन समझा गया है और उनका कुप्रबंधन किया गया है।
रेगिस्तान को बंजर भूमि मानने की प्रचलित धारणा गलत है तथा भारत के पारिस्थितिक संतुलन, सांस्कृतिक विरासत और आजीविका के लिए हानिकारक है।
मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:प्रश्न: “रेगिस्तानों को अक्सर मूल्यवान पारिस्थितिकी तंत्र के बजाय क्षरित भूमि के रूप में गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाता है।” इस संदर्भ में, रेगिस्तानी भूदृश्यों के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व का परीक्षण कीजिए। UNCCD जैसे मंचों के अंतर्गत वैश्विक विमर्श “मरुस्थलीकरण” से “भूमि क्षरण” की ओर क्यों स्थानांतरित होना चाहिए, और भूमि क्षरण को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए कौन से उपाय किए जा सकते हैं? (15 अंक, 250 शब्द) |
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