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भारत को मजबूत आंतरिक सुरक्षा योजना की आवश्यकता

Lokesh Pal June 24, 2024 05:00 109 0

संदर्भ: 

अंतर्राष्ट्रीय जगत में भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा और सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक प्रगति भारत को वेश्विक महाशक्ति बनाने की ओर उन्मुख हैं। इस प्रगति को सुनियोजित आकार प्रदान करने के लिए भारत को अगले पाँच वर्षों के लिए एक सुनियोजित आंतरिक सुरक्षा योजना बनाने की आवश्यकता है। 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत (NSD), अनुच्छेद 370 का उन्मूलन, वामपंथी उग्रवाद (LWE) आदि।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: आंतरिक सुरक्षा योजना की आवश्यकता, भारत के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत (NSD) का महत्त्व आदि।

मजबूत आंतरिक सुरक्षा योजना की आवश्यकता संबंधी प्रमुख कारण :

  • प्रधानमंत्री के नाम पहले से ही उपलब्धियों की एक लंबी सूची है।
  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को वह प्रतिष्ठा प्राप्त है जो संभवतः स्वतंत्रता के बाद कभी नहीं मिली।
  • हमारी अर्थव्यवस्था उच्च पथ पर अग्रसर है।
  • चीन को पहली बार यह एहसास हुआ है कि वह अब भारत को डरा-धमका नहीं सकता और एक सीमा के बाद भारत खूनी टकराव से भी पीछे नहीं हटेगा।
  • सरकार को अगले पाँच वर्षों के लिए एक सुनियोजित योजना बनानी चाहिए जिसके लिए निम्नलिखित नौ बिंदुओं पर गंभीरता से ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है –
  1. आंतरिक सुरक्षा सिद्धांत : 
    • आदर्श रूप से, देश में एक राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत (NSD) होना चाहिए।
    • राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड ने समय-समय पर इस पर काम किया है और मसौदे तैयार किए हैं।
    • अज्ञात कारणों से इन्हें कभी मंजूरी नहीं दी गई।
    • सभी प्रमुख शक्तियों के पास एक एनएसडी होता है जिसके माध्यम से वे देश के समक्ष आने वाली आंतरिक और बाह्य चुनौतियों का वर्णन करते हैं और उनसे निपटने के लिए नीतियाँ निर्धारित करते हैं।
    • यदि एनएसडी को विकसित करने में कोई समस्या आती है, तो कम से कम इसके आंतरिक सुरक्षा घटक, जो कि सरल है, पर काम किया जा सकता है।
    • आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में बहुत अधिक तदर्थवादिता है, विशेषकर जब सरकार बदल जाती है।
  1. एक अतिरिक्त आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय: 
    • गृह मंत्रालय पर भारत की विशाल आबादी का अत्यधिक बोझ है और इसलिए उसका कामकाज सुचारु रुप से चलना मुश्किल हो गया है।
    • अब समय आ गया है कि गृह मंत्रालय में कार्यरत एक युवा, कनिष्ठ मंत्री को आंतरिक सुरक्षा का स्वतंत्र प्रभार दिया जाए।
    • एक राजनेता (राजेश पायलट) ने दिखाया कि ऐसी व्यवस्था से कितना फर्क पड़ सकता है।
  1. जम्मू, कश्मीर और आतंकवाद : 
    • गृह मंत्री के इस दावे के बावजूद कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से आतंकवादी घटनाओं में 66 प्रतिशत की कमी आई है, राज्य की स्थिति सामान्य से कोसों दूर है।
    • हाल ही में आतंकवादियों ने जम्मू क्षेत्र में चार स्थानों पर हमले किए।
    • जाहिर है कि आतंकवादी “नए कश्मीर” की कहानी को मिटा देने के लिए तत्पर हैं।
    • हम पाकिस्तानी डीप स्टेट के उद्देश्यों के प्रति लापरवाह नहीं हो सकते।
    • सरकार को सुरक्षा व्यवस्था को पुनर्गठित करने, जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने और विधानसभा चुनाव कराने के लिए शीघ्र कदम उठाने चाहिए।
  1. पूर्वोत्तर
    • प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर को “हमारे दिल का टुकड़ा” कहा है। 
    • 2015 में विद्रोही नागाओं के साथ हस्ताक्षरित रूपरेखा समझौते से बड़ी उम्मीदें जगी थीं, लेकिन एनएससीएन (आईएम) के अलग झंडे और संविधान पर जोर देने के कारण ये उम्मीदें पूरी नहीं हो पाईं।
    • इस बीच सरकार को अभियान स्थगन समझौते के कठोर क्रियान्वयन पर जोर देना चाहिए तथा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि विद्रोही जबरन वसूली और जबरन भर्ती में शामिल न हों।
    • हाल की घटनाओं से देखा गया है कि मणिपुर अब अनैतिक कृत्यों की आपदा बन गया है।
    • वहाँ जातीय संघर्ष अभी भी जारी है और कभी-कभी हिंसा भी भड़क जाती है।
    • गृह मंत्रालय द्वारा गठित बहुजातीय शांति समिति कोई लाभप्रद परिणाम प्रदान नहीं कर पाई है अतः प्रधानमंत्री को स्वयं स्थिति की कमान संभालने की आवश्यकता है।
    • अवैध प्रवास, मादक पदार्थों की तस्करी और हथियारों की तस्करी की समस्याओं के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
  1. नक्सल समस्या: 
    • गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय द्वारा 7 फरवरी को राज्यसभा में दिए गए एक बयान में दावा किया गया कि “राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना” के कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप हिंसा में लगातार कमी आई है और वामपंथी उग्रवाद (LWE) के प्रभाव का भौगोलिक विस्तार कम हुआ है।
    • हिंसा और उसके परिणामस्वरूप होने वाली मौतों में 2010 की तुलना में 73 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।
    • राय ने आगे कहा कि वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा की रिपोर्ट करने वाले पुलिस स्टेशनों की संख्या 2010 में 96 जिलों के 465 पुलिस स्टेशनों से घटकर 2023 में 42 जिलों के 171 पुलिस स्टेशनों पर आ जाएगी।
    • नक्सलियों के पीछे हटने के बाद अब राहत कार्यों का समय आ गया है।
    • सरकार को उन्हें शांति प्रस्ताव देना चाहिए, एक महीने के लिए एकतरफा युद्धविराम की घोषणा करनी चाहिए, उन्हें वार्ता मंचों पर आने के लिए राजी करना चाहिए, उनकी वास्तविक शिकायतों का समाधान करना चाहिए तथा उन्हें मुख्यधारा में लाने का प्रयास करना चाहिए।
  1. इंटेलिजेंस ब्यूरो/सीबीआई: 
    • दो प्रमुख केन्द्रीय पुलिस संगठनों, खुफिया ब्यूरो और सीबीआई, को पुनर्गठित करने की आवश्यकता है।
    • इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) की स्थापना 23 दिसंबर, 1887 को एक प्रशासनिक आदेश के माध्यम से की गई थी।
    • अब समय आ गया है कि इसे वैधानिक आधार प्रदान किया जाए, तथा सत्तारूढ़ पार्टी को लाभ पहुँचाने के लिए खुफिया जानकारी के दुरुपयोग को रोकने के लिए सुरक्षा उपाय किए जाए।
    • केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की स्थापना 1 अप्रैल 1963 में, पारित एक प्रस्ताव के माध्यम से की गई थी, और इसे दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 से जाँच करने की शक्ति प्राप्त हुई है।
    • यह एक असंगत व्यवस्था है और जैसा कि संसदीय समिति की 24वीं रिपोर्ट में सिफारिश की गई है, “समय की माँग है कि कानूनी अधिदेश, बुनियादी ढाँचे और संसाधनों के संदर्भ में सीबीआई को मजबूत किया जाए”।
  1. “शासक की पुलिस” को “जनता की पुलिस”बनाना : 
    • प्रधानमंत्री चाहते हैं कि पीएमओ जनता के पीएमओ के रूप में काम करे। वास्तव में, ऐसा होना भी चाहिए, लेकिन अधिक मूल्यवान, अधिक प्रासंगिक यह होगा कि अंग्रेजों से विरासत में मिली “शासक की पुलिस” को “जनता की पुलिस” में बदल दिया जाए।
    • ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री रॉबर्ट पील को आज भी देश की पुलिस व्यवस्था में सुधार लाने के लिए याद किया जाता है।
    • यह हमारे प्रधानमंत्री के लिए एक सु-अवसर और चुनौती भी है।
  1. केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल
    • दस लाख से अधिक की कुल क्षमता वाले सीएपीएफ अनियोजित विस्तार, अव्यवस्थित तैनाती, अपर्याप्त प्रशिक्षण, अनुशासन के गिरते स्तर, शीर्ष अधिकारियों के चयन के लिए अस्पष्ट मानदंड, कैडर और अखिल भारतीय सेवा अधिकारियों के मध्य टकराव आदि जैसी गंभीर आंतरिक समस्याओं से घिरे हुए हैं।
    • सरकार को इन समस्याओं के दीर्घकालिक समाधान के लिए एक उच्चस्तरीय आयोग गठित करना चाहिए।
  1. प्रौद्योगिकी: 
    • देश में पुलिस की कार्यप्रणाली में तकनीकी इनपुट की अपार संभावनाएँ हैं।
    • ये इनपुट बल गुणक के रूप में कार्य करेंगे।
    • जैसा कि वर्ष 2021 में लखनऊ में आयोजित डीजीपी सम्मेलन में स्वयं प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया था, पुलिस के समक्ष पहले से मौजूद या भविष्य में आने वाली संभावित नई चुनौतियों के लिए नवीनतम तकनीकों को अपनाने की सिफारिश करने हेतु एक उच्चस्तरीय प्रौद्योगिकी मिशन स्थापित करने की आवश्यकता है।
    • एक देश अपनी आंतरिक एकजुटता, अपने मतभेदों को सुलझाने की क्षमता तथा किसी भी प्रकार के आतंकवादी या चरमपंथी विचार के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण न होने के आधार पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करता है।
    • यदि उपरोक्त दिशा में दूरदर्शिता और कल्पनाशीलता के साथ कार्रवाई की जाए तो देश का आंतरिक सुरक्षा परिदृश्य काफी बेहतर हो सकता है।

निष्कर्ष:

एक सुसंगत आंतरिक सुरक्षा रणनीति को लागू करके, भारत सरकार राष्ट्रीय स्थिरता को बढ़ा सकती है, खतरों का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सकती है, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर सकती है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न :

प्रश्न : भारत के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत (NSD) के महत्त्व पर चर्चा करें। ऐसे सिद्धांत के आंतरिक सुरक्षा पहलू में कौन से प्रमुख घटक शामिल किए जाने चाहिए?

 (15 अंक, 250 शब्द)

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