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बांग्लादेश में इंडिया आउट (India Out) अभियान

Lokesh Pal April 08, 2024 05:15 216 0

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: इंडिया आउट अभियान, तीस्ता नदी जल विवाद।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत-बांग्लादेश संबंध।

संदर्भ:

हाल ही में, भारत विरोधी भावनाओं में वृद्धि देखि गई है, इसे भारतीय उत्पादों के बहिष्कार की वकालत करने वाले “इंडिया आउट” अभियान के दौरान देखा गया है।

परिचय

  • बांग्लादेश की स्वतंत्रता में भारत की भूमिका: बांग्लादेश ने हमेशा अपनी स्वतंत्रता और अस्तित्व का श्रेय भारत को दिया है।
    • 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान, भारत ने बांग्लादेश को पाकिस्तान के उत्पीड़ित शासन से मुक्त कराने के लिए पाकिस्तान, चीन, अमेरिका और यूरोप का मुकाबला किया।
  • बांग्लादेश की स्वतंत्रता को मान्यता: भारत बांग्लादेश को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में स्वीकार करने वाला पहला देश था।

बांग्लादेश की संप्रभुता के लिए भारत का समर्थन:

  • भारत पर निर्भरता: बांग्लादेश अभी भी अपनी संप्रभुता के लिए भारत पर निर्भर है।
    • उदाहरण के लिए, भारत ने शेख हसीना की सरकार को सबसे पहले बधाई देकर, चुनाव को वैधता प्रदान करके बांग्लादेश की संप्रभुता की रक्षा की।
  • पश्चिमी देशों द्वारा बांग्लादेश के अधिकारियों पर प्रतिबंध: हाल के बांग्लादेश चुनावों में, अमेरिका और पश्चिमी देशों ने बांग्लादेशी अधिकारियों का खुलकर विरोध किया और यहाँ तक कि उन पर प्रतिबंध भी लगाए।
  • बांग्लादेश के चुनाव में विपक्ष का बहिष्कार: अमेरिका समर्थित विपक्षी दल ने चुनाव का बहिष्कार किया, जिसके परिणामस्वरूप केवल 40% मतदान हुआ।
  • बांग्लादेश की आशंका: बांग्लादेश की सरकार को डर था कि पश्चिमी देश इन परिणामों को खारिज कर देंगे।
  • भारत के समर्थन के परिणाम: भारत के समर्थन के कारण पश्चिमी देशों को चुनाव परिणाम स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

“इंडिया आउट” अभियान

  • सत्ता हासिल करना : विपक्षी दल मालदीव की तरह सत्ता हासिल करने के लिए भारत के खिलाफ नकारात्मक भावना पैदा करना चाहते हैं।
    • उनका मानना है कि शेख हसीना सरकार को हटाने के लिए बांग्लादेश में भारत के प्रभुत्व को कम करना होगा और इसीलिए उन्होंने मालदीव से “इंडिया आउट” अभियान का सहारा लिया।
  • ऐतिहासिक विरोध: मुख्य विपक्षी दल, बीएनपी ने 1975 में सैन्य तानाशाह जियाउर्रहमान द्वारा इसके गठन के बाद से ऐतिहासिक रूप से भारत का विरोध किया है।
  • नकारात्मक छवि और प्रचार: भारत के सीएए कानूनों और असम में बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ भावनाओं के कारण बांग्लादेशियों के मध्य भारत की नकारात्मक छवि।
  • द्विपक्षीय असहमति: आर्थिक कारक उदा. भारत और बांग्लादेश के मध्य एकतरफा व्यापार, बांग्लादेश के लिए व्यापार घाटे का कारण और मौजूदा तीस्ता नदी जल विवाद का मुद्दा।
  • चीनी प्रभाव: बांग्लादेश में भारत के प्रभुत्व को कम करने और दक्षिण एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाने की मुहिम के पीछे चीन की कथित साजिश है।

अभियान पर भारत का परिप्रेक्ष्य:

  • दावों को ख़ारिज: भारतीय विदेश मंत्री ने इस अभियान को ख़ारिज करते हुए इस बात का जिक्र किया कि भारत को चीन के बढ़ते प्रभाव से डरने की ज़रूरत नहीं है।
  • विदेशी संस्थाओं द्वारा संचालित प्रचार: इंडिया आउट अभियान मुख्य रूप से विदेशी संस्थाओं द्वारा संचालित था और केवल ऑनलाइन दिखाई दे रहा था, जिसमें बांग्लादेशियों की व्यापक भागीदारी नहीं थी।
  • निराधार आरोप: भारत के खिलाफ राजनीतिक हस्तक्षेप का आरोप निराधार है, क्योंकि चीन और रूस जैसे अन्य देशों ने भी चुनाव परिणामों का समर्थन किया।
  • भारत के बहिष्कार का आर्थिक प्रभाव: भारत का बहिष्कार करने से बांग्लादेश को अधिक नुकसान होगा, क्योंकि इसका कपड़ा क्षेत्र, जो इसके सकल घरेलू उत्पाद में 9% का योगदान करता है और 70% बांग्लादेशी महिलाओं को रोजगार प्रदान करता है, भारतीय कपास निर्यात और परिधान आयात पर निर्भर करता है।
  • टैरिफ रियायत: बांग्लादेश 2026 तक सबसे कम विकसित देशों की सूची से बाहर हो जाएगा, जिससे टैरिफ रियायतें खत्म हो जाएंगी, जिससे भारत के साथ व्यापार कम करना मुश्किल हो जाएगा।
  • बांग्लादेश में उच्च मुद्रास्फीति: भारत बांग्लादेश को आवश्यक वस्तुओं का निर्यात करता है और निर्यात रोकने से बांग्लादेश में 35% की मुद्रास्फीति हो सकती है।
  • बांग्लादेश को निर्यात: भारत बांग्लादेश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए उसे 1160 मेगावाट विद्युत का निर्यात करता है।

भारत-बांग्लादेश संबंधों का महत्त्व:

  • सुरक्षा: भारत इस अभियान को नजरअंदाज नहीं कर सकता क्योंकि बांग्लादेश भारत की सुरक्षा के लिए काफी अहम है।
  • कनेक्टिविटी: भारत अपने पूर्वोत्तर क्षेत्र से कनेक्टिविटी के लिए चिकन नेक कॉरिडोर पर निर्भर है, जिसके लिए बांग्लादेश के साथ अच्छे संबंधों की आवश्यकता है।
  • उत्तर-पूर्व सुरक्षा: मणिपुर में चल रही अशांति आंशिक रूप से बांग्लादेश से कुकी उग्रवादियों को प्रदान की गई सहायता के कारण है।
  • चीन का मुकाबला करने में चुनौती: भारत पहले से ही दक्षिण एशिया में चीन की भारी वित्तीय और रणनीतिक उपस्थिति का मुकाबला करने में समस्याओं का सामना कर रहा है।
    • भारत बांग्लादेश को अगला मालदीव नहीं बनने दे सकता।

चीन की भूमिका और क्षेत्रीय निहितार्थ:

  • भारत के ख़िलाफ़ चीनी अभियान: इस अभियान को दक्षिण एशिया में भारत के प्रभाव को कम करने और अपना प्रभाव बढ़ाने के चीन के प्रयासों के हिस्से के रूप में देखा जाता है।
  • चीन की घुसपैठ: चीन पहले ही भारत पर दबाव बनाते हुए श्रीलंका और मालदीव में घुसपैठ कर चुका है।
  • भारत की उपस्थिति के लाभ: अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशियाई देशों को भारत की उपस्थिति से लाभ होता है, जैसा कि श्रीलंका में स्पष्ट है, जहाँ भारत ने चीन-प्रेरित संकट के दौरान सबसे अधिक सहायता प्रदान की थी।
    • दक्षिण एशियाई देश चीन को प्रभावी ढंग से तभी संभाल सकते हैं जब उनके देश में भारत की उपस्थिति मजबूत रहेगी।

आगे की राह 

  • सक्रिय कूटनीति: भारत को विपक्षी दलों और जनता द्वारा उठाई गई चिंताओं को दूर करने के लिए बांग्लादेश के साथ सक्रिय कूटनीति में संलग्न होना चाहिए।
  • व्यापार और द्विपक्षीय संबंध: व्यापार संबंधों को संतुलित करने और तीस्ता नदी जल विवाद जैसे लंबित मुद्दों को हल करने के प्रयास किए जाने चाहिए।
  • विकास: भारत को अपनी आंतरिक राजनीतिक गतिशीलता के प्रति सचेत रहते हुए बांग्लादेश के विकास और संप्रभुता का समर्थन जारी रखना चाहिए।

निष्कर्ष

अंततः भारत-बांग्लादेश गठबंधन की दीर्घकालिक व्यवहार्यता को बनाए रखने के लिए, दोनों देश की सरकारों को राजनयिक पहल और लोगों के साथ सीधे बातचीत के माध्यम से विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देने को प्राथमिकता देनी चाहिए।

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