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भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम, 2025 : दीर्घकालिक या लघुकालिक समाधान

Lokesh Pal May 12, 2025 05:15 32 0

संदर्भ:

10 मई, 2025 को पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के तहत कार्यवाही उपरांत भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम (सीज़फायर) की घोषणा की गई। तनाव कम होने की उम्मीदों के बावजूद, तत्काल उल्लंघनों ने इसकी कमज़ोरी को उजागर किया, जो गहन मतभेद, संघर्ष और रणनीतिक अविश्वास को दर्शाता है।

संघर्ष विराम के बारे में

  • संदर्भ: यह शत्रुता की अस्थायी समाप्ति को दर्शाता है, न कि संघर्ष का विधिक अंत ।
  • प्रारूप: यह लिखित या मौखिक हो सकता हैं तथा इसमें तीसरे पक्ष की मध्यस्थता शामिल हो सकती है।
  • विधिक दृष्टिकोण: अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत, यह शांति की दिशा में एक कदम है, न कि स्वयं शांति।
  • उल्लंघन: हेग विनियम (1910) द्वारा शासित – इसमें शत्रुता पुनः प्रारंभ करने या मुआवज़ा माँगने के प्रावधान शामिल हैं।

संघर्ष विराम समझौते के प्रमुख घटक

  • समय निर्धारण: प्रारंभ का समय/तिथि निर्दिष्ट करता है।
  • निषिद्ध कार्य:
    • सैन्य: सैन्य गतिविधि, हथियार का उपयोग
    • असैन्य: प्रचार, धमकियाँ
  • सेनाओं का पृथक्करण: संघर्ष विराम रेखाएँ, बफर जोन
  • निगरानी: संयुक्त राष्ट्र मिशन, संयुक्त या नागरिक पर्यवेक्षकों द्वारा
  • अतिरिक्त उपाय: युद्धबंदियों की वापसी, शरणार्थियों की वापसी, मुआवज़ा दावे आदि शामिल हैं।

पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम प्रायः असफल क्यों होते हैं?

  • ज़ीरो-सम सिद्धांत: पाकिस्तान शांति को समाधान नहीं, बल्कि एक रणनीतिक विराम मानता है।
  • रणनीतिक उपयोग: संघर्ष विराम का उपयोग सैन्य रूप से पुनर्गठित होने के लिए करता है।
  • ऐतिहासिक प्रतिरूप:
    • कारगिल युद्ध (1999) संघर्ष विराम के बाद हुआ।
    • डीप स्टेट रणनीति प्रायः आधिकारिक प्रतिबद्धताओं पर हावी रहती  है।
  •   भावनात्मक प्रतीकवाद:
    • पाकिस्तान के लिए: कश्मीर = मुस्लिम पहचान
    • भारत के लिए: कश्मीर = राष्ट्रीय संप्रभुता
  •   वैचारिक विभाजन: यह विभाजन केवल भू-भाग में नहीं, बल्कि पहचान और विचारधारा में निहित है।

आतंकवाद: पाकिस्तान के लिए एक रणनीतिक उपकरण

  •   सैन्य कमजोरी के कारण पारंपरिक युद्ध से बचता है।
  •   गैर-राज्य तत्त्वों का समर्थन करके कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाने का प्रयास करता है।
  •   उदाहरण: 26/11 के हमलों ने मुंबई की अर्थव्यवस्था और भारत की वैश्विक छवि को निशाना बनाया।
  •   राज्य और गैर-राज्य गठजोड़: पाकिस्तान अपनी विदेश नीति के भाग के रूप में आतंकवाद को राज्य समर्थित रूप में प्रयोग करता है।

भारत की रणनीति में परिवर्तन : 2016 के बाद 

  • सिद्धांत में बदलाव: अब राज्य और गैर-राज्य अभिनेताओं के बीच अंतर नहीं किया जाता है।
  • OODA लूप रणनीति: तीव्र और अप्रत्याशित प्रतिशोध।
  • मुख्य एक्शन:
    • बालाकोट  एयरस्ट्राइक (2019)
    • ऑपरेशन सिंदूर
  •   वैश्विक कूटनीति: प्रतिशोध के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाना।

पाकिस्तान की वैश्विक रणनीति

  • हाइफ़नेशन का प्रयास: वैश्विक मंच पर भारत के साथ समानता की खोज करता है।
  • कश्मीर लक्ष्य: वैश्विक एजेंडे पर मुद्दों को बनाए रखने का प्रयास करता है।
  • तीसरे पक्ष की मध्यस्थता: बार-बार आमंत्रित किया जाता है, अधिकांशतः भारत द्वारा अस्वीकृत
  • कथात्मक युद्ध: विदेशों में पीड़ित होने की कहानी को बढ़ावा देता है।

पाकिस्तान का ‘बोंसाई लोकतंत्र’

  • सैन्य प्रभुत्व: नागरिकों के पास विदेशी/सुरक्षा नीति पर बहुत कम नियंत्रण होता है।
  • नेताओं को शांत कराना: निर्वाचित नेताओं को प्रायः जेल में डाल दिया जाता है या दरकिनार कर दिया जाता है।
  • हालिया घटनाएँ:
    • जनरल असीम मुनीर ने कश्मीर को “गले की नस” (jugular vein) कहा।
    • हमला हुआ – यह संयोग नहीं था

भारत के रणनीतिक और कूटनीतिक विकल्प

  • संधियों की समीक्षा:
    • सिंधु जल संधि
    • शिमला समझौता
  • कूटनीतिक दबाव:
    • PoK पर दावा प्रस्तुत करना
    • वैश्विक गठबंधन का निर्माण
  • कथा प्रतिकार:
    • बलूचिस्तान आंदोलन का समर्थन करें।
    • पाकिस्तान के आंतरिक विरोधाभासों को निशाना बनाएँ।

      यदि संघर्ष विराम उल्लंघन जारी रहा

            यदि संघर्षविराम जारी रहता है

  • सैन्य विकल्प:
    • नौसेना और वायु शक्ति तैनात करें।
    • आतंकी शिविरों पर व्यापक हमले करें।
  • सुरक्षा स्थिति
    • एलओसी (LoC) और एलएसी (LAC) पर सतर्कता बनाए रखें।
    • साइबर सुरक्षा और प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करें।
  • सूचना युद्ध:
    • साइबर हमलों में शामिल होना, कथात्मक नियंत्रण
    • आर्थिक प्रतिबंधों के लिए दबाव डालना।
  • कूटनीतिक अलगाव:
    • पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर अलग-थलग रखें।
    • पीड़ित की कहानी (Counter victim narrative) का प्रभावी तरीके से मुकाबला करें।
  •  आंतरिक असहमति का समर्थन: पाकिस्तान के भीतर सत्ता-विरोधी ताकतों को सहायता।
  •  रक्षा आधुनिकीकरण: शांतिपूर्ण अवधि का उपयोग करके रक्षा क्षमताओं को उन्नत करें।

निष्कर्ष

कमजोर संघर्ष विराम लगातार बनी हुई वैचारिक खाई, पाकिस्तान द्वारा प्रॉक्सी युद्ध के उपयोग और भारत की विकसित होती सुरक्षा नीति को उजागर करता है। दीर्घकालिक शांति आपसी विश्वसनीयता, निरंतर संयम और राज्य प्रायोजित आतंकवादी नेटवर्कों के उन्मूलन पर निर्भर करती है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न 

भारत ने परमाणु क्षमता होने के बावजूद प्रतिक्रियात्मक सुरक्षा दृष्टिकोण पर भरोसा किया है। एक समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत की आवश्यकता की समीक्षा कीजिए, जो सैन्य रणनीति, कूटनीतिक पहुँच, सांस्कृतिक प्रभाव और ऐतिहासिक ज्ञान को एकीकृत करता हो। क्या ऐसा सिद्धांत भारत की प्रतिरोधक क्षमता और क्षेत्रीय स्थिति को सुदृढ़ करेगा?

(15 अंक, 250 शब्द)

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