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भारत पाकिस्तान सर क्रीक सीमा विवाद: समग्र विश्लेषण

Lokesh Pal October 06, 2025 05:15 23 0

संदर्भ:

भारतीय रक्षा मंत्री ने सर क्रीक क्षेत्र को लेकर पाकिस्तान को चेतावनी दी और अपनी क्षेत्रीय अखंडता पर भारत के कठोर दृष्टिकोण को दुहराया। उनकी यह टिप्पणी पहलगाम हमलों और ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़े तनाव के बीच आई है।

सर क्रीक: भूगोल तथा सामरिक महत्त्व

  • सर क्रीक, जिसे मूलतः बाण गंगा’ कहा जाता था और बाद में एक ब्रिटिश अधिकारी के नाम पर इसका नाम बदल दिया गया, भारत-पाकिस्तान सीमा पर 96 किलोमीटर लंबा ज्वारीय क्षेत्र है, जो भारत में गुजरात और पाकिस्तान में सिंध नदी के बीच स्थित है, और अरब सागर में गिरता है।

  • समुद्री और संप्रभुता का महत्त्व: सर क्रीक पर नियंत्रण भारत और पाकिस्तान के बीच समुद्री सीमा का निर्धारण करता है, जो उनके अनन्य आर्थिक क्षेत्रों (EEZ) की सीमा को प्रभावित करता है, जो 200 समुद्री मील तक विस्तृत है, तथा समुद्री संसाधनों, सजीव और निर्जीव दोनों पर अधिकार प्रदान करता है।
  • ऊर्जा संरक्षण और आर्थिक हित: माना जाता है कि इस क्षेत्र में तेल और गैस के भंडार हैं, जो इसे ऊर्जा अन्वेषण और आर्थिक गतिविधियों के लिए महत्त्वपूर्ण बनाता है। इसकी अवस्थिति कराची तक पहुँचने सहित प्रमुख समुद्री मार्गों तक पहुँच भी प्रदान करती है।
  • सुरक्षा और रक्षा: पाकिस्तान की बढ़ती सैन्य उपस्थिति के कारण भारत ने निगरानी बढ़ा दी है और बीएसएफ तथा नौसेना को तैनात किया है, जो इसके भू-रणनीतिक महत्त्व को उजागर करता है।
  • मत्स्य पालन और आजीविका: समृद्ध मत्स्यन क्षेत्र स्थानीय समुदायों को जीवित रखते हैं, हालाँकि सीमा विवादों के कारण प्रायः मछुआरों की गिरफ्तारी होती है।
  • पारिस्थितिक महत्त्व: सिंधु नदी डेल्टा पारिस्थितिकी तंत्र का भाग सर क्रीक मैंग्रोव और जैव विविधता का समर्थन करता है, लेकिन पाकिस्तान की एलबीओडी परियोजना और जलवायु परिवर्तन से चुनौतियों का सामना करता है, जो पारिस्थितिकी तथा सीमा स्थिरता दोनों को प्रभावित करता है।

विवाद की पृष्ठभूमि:

  • विवाद का मूल: सर क्रीक विवाद दोनों देशों द्वारा औपनिवेशिक युग की सीमा रेखाओं की अलग-अलग व्याख्याओं से उत्पन्न हुआ है।
    • पिछले कुछ वर्षों में सिंधु नदी के बदलते मार्ग के कारण यह मामला और भी जटिल हो गया है।
  • उत्पत्ति: यह विवाद 1914 से शुरू हुआ, जो बॉम्बे प्रेसीडेंसी और कच्छ रियासत के बीच की सीमा के इर्द-गिर्द घूमता रहा।
  • संयुक्त राष्ट्र न्यायाधिकरण: कच्छ का रण विवाद स्वतंत्रता के बाद पुनः उभरा तथा 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद और तीव्र हो गया।
    • सीमा निर्धारण के लिए 1965 के समझौते के तहत, इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र न्यायाधिकरण को भेजा गया था।
    • 1968 के न्यायाधिकरण निर्णय में भारत के 90% दावों को मान्यता दी गई तथा पाकिस्तान को केवल कुछ क्षेत्र ही दिए गए – लेकिन सर क्रीक को इसके अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा गया।
  • प्रतिस्पर्धी दावे:
    • भारत की स्थिति:
      • सर्वे ऑफ इंडिया के मानचित्रों और ईस्ट इंडिया कंपनी और कच्छ के शासकों के बीच 1819 की संधि पर निर्भर करता है।
      • तर्क दिया गया कि सर क्रीक भूमि सीमा है जल सीमा नहीं, इसलिए मध्य रेखा विभाजन की कोई आवश्यकता नहीं है।
      • उन्होंने कहा कि कच्छ की सीमाएँ अपरिवर्तित रहीं तथा रण का उत्तरी किनारा प्राकृतिक सीमा का प्रतीक है।
    • पाकिस्तान की स्थिति:
      • 1914 के प्रस्ताव का हवाला देते हुए मध्य रेखा सिद्धांत – खाड़ी का समान विभाजन – के पक्ष में तर्क दिया गया है।
      • उनका तर्क है, कि कच्छ का रण एक अंतर्देशीय समुद्र के समान है और सीमाओं को जल निकायों के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का पालन करना चाहिए।
      • सीमा मुख्य तौर पर 24वीं समानांतर रेखा पर स्थित है, जिसमें लगभग 3,500 वर्ग मील क्षेत्र शामिल है।

समाधान के प्रयास:

  • संयुक्त प्रयास: भारत और पाकिस्तान ने 2007 में संयुक्त जल सर्वेक्षण किया।
    • दोनों देशों ने खाड़ी और समुद्री सीमाओं का आकलन करने के लिए प्रासंगिक आँकड़ों का आदान-प्रदान किया।
  • वर्तमान स्थिति: इन प्रयासों के बावजूद सर क्रीक विवाद अभी भी अनसुलझा है।
  • कानूनी बाधाएँ: शिमला समझौता (1972) द्विपक्षीय विवादों में तीसरे पक्ष की मध्यस्थता पर प्रतिबंध लगाता है।
    • मामले को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में भेजने के लिए आपसी सहमति की आवश्यकता होगी, जो वर्तमान में संभव नहीं है।

आगे की राह:

  • द्विपक्षीय वार्ता: मौजूदा ढाँचे के अंतर्गत सतत वार्ता के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान।
  • विश्वास-निर्माण उपाय (सीबीएम): संयुक्त पारिस्थितिक निगरानी, मछुआरा कल्याण सहयोग और जल सर्वेक्षण अद्यतन।
  • रणनीतिक विवेक: कूटनीति को बढ़ावा देते हुए सतर्कता बनाए रखना, भारत की क्षेत्रीय स्थिरता और समुद्री सुरक्षा के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

निष्कर्ष

सर क्रीक इस बात का प्रतीक है, कि औपनिवेशिक युग की अस्पष्टताएँ उत्तर-औपनिवेशिक भू-राजनीति को किस प्रकार प्रभावित करती हैं। रणनीतिक, आर्थिक और पारिस्थितिक चिंताओं को संतुलित करते हुए एक पारस्परिक रूप से सहमत समझौता ही आगे बढ़ने का एकमात्र व्यवहार्य मार्ग है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न. सर क्रीक क्षेत्र के आर्थिक और पारिस्थितिक महत्त्व पर प्रकाश डालिए। चर्चा कीजिए, कि भारत और पाकिस्तान के मध्य अनसुलझे सीमा विवाद ने इस क्षेत्र में तटीय और समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग को कैसे प्रभावित किया है।

(10 अंक, 150 शब्द)

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