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भारत रूस संबंध 2025

Lokesh Pal December 04, 2025 05:00 3 0

सन्दर्भ:

इस सप्ताह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा (चार वर्षों में उनकी पहली यात्रा), यूक्रेन में शांति प्रयासों के तीव्र होने, के बीच हो रही है।

“सदैव सर्वश्रेष्ठ सहयोगी मित्र राष्ट्र (BFF)” मिथक

  • भावनात्मक आधार: मित्रता की धारणा ऐतिहासिक घटनाओं पर बहुत अधिक निर्भर करती है, जैसे 1971 का युद्ध और यूएसएसआर के साथ पूर्व मैत्री संधि।
  • वर्तमान स्थिति: वर्तमान में यह संबंध एक अनुष्ठान/रस्म बन गया है। यह मुख्य रूप से सरकार-से-सरकार (G2G) के मध्य संबंध को दर्शाता है।
  • जुड़ाव का अभाव: यद्यपि रूस में प्रमुख भारतीय निजी क्षेत्र की कंपनियाँ लगभग अनुपस्थित हैं। इसके अलावा, रूस के नए अभिजात वर्ग और युवा भारत की बजाय यूरोप या चीन की ओर रुख करते हैं।
  • व्यक्तिगत मेलजोल/संबंध: यदि संबंध ऐसे ही बने रहते हैं, तो यह संरचनात्मक रूसी हित के बजाय पुतिन की व्यक्तिगत प्रतिबद्धता के कारण हैं।

आर्थिक आधार और व्यापार घाटा

  • रक्षा एवं ऊर्जा संबंध: भारत रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली और सुखोई 57 जेट खरीद रहा है, रूस की मदद से कुडनकुलम परमाणु रिएक्टर का निर्माण कर रहा है, और रियायती दरों पर तेल खरीद रहा है।
    • इस यात्रा के दौरान S-500 प्रणाली के लिए समझौते पर हस्ताक्षर होने की संभावना है
  • कमजोर वाणिज्यिक संबंध: भारत द्वारा रूस को किया जाने वाला निर्यात केवल 5 बिलियन डॉलर का है
    • इसकी तुलना में, भारत बांग्लादेश को 11 बिलियन डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात करता है, जिससे निर्यात के मामले में बांग्लादेश का मूल्य रूस के मूल्य से दोगुना से भी अधिक हो जाता है।
  • रणनीतिक मजबूती की आवश्यकता: रूस 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था है, किंतु भारत के साथ उसका व्यापार अत्यंत कम है
    • एक वास्तविक रणनीतिक साझेदारी के लिए केवल रक्षा खरीद ही नहीं, बल्कि मजबूत वाणिज्यिक, तकनीकी एवं वैज्ञानिक संबंधों की भी आवश्यकता होती है
    • मजबूत आर्थिक आधार के बिना, “बहुध्रुवीयता” की अवधारणा केवल बयानबाजी बनकर रह जाएगी।

पुतिन की यात्रा का भू-राजनीतिक संदर्भ

  • यूक्रेन शांति की गतिशीलता: चार वर्ष से चल रहे युद्ध के शांत होने के संकेत दिखाई दे रहे हैं। पश्चिम बातचीत पर विचार कर रहा है, जबकि ज़ेलेंस्की “न्यायसंगत शांति” से “सम्मानजनक शांति” की ओर बढ़ रहे हैं।
  • रूस के उद्देश्य: इसका उद्देश्य G-8 में पुनः प्रवेश और यूरोपीय सुरक्षा व्यवस्था में एक मजबूत भूमिका की माँग करना प्रतीत होता है।
  • अमेरिकी कारक: ट्रम्प, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे अधिक रूस समर्थक अमेरिकी राष्ट्रपति हैं, उन्होंने मॉस्को (रूस) में अपने दूत भेजे हैं जो एक व्यापक समझौते के लिए प्रयास कर रहे हैं।
    • हालाँकि, ट्रम्प का रूस से भारतीय तेल आयात पर टैरिफ एक व्यापार-उन्मुख दृष्टिकोण को दर्शाता है जो भारत के हितों की तुलना में अमेरिकी पहुँच को प्राथमिकता देता है।
  • यूरोपीय चिंताएँ: यूरोप को रूसी आक्रामकता और संभावित अमेरिकी परित्याग का भय है, तथा वह समावेशी शांति समाधान की माँग कर रहा है।
  • भारत के लिए रणनीतिक निहितार्थ: यूक्रेन युद्ध ने रूस को चीन के करीब ला दिया है, जो भारतीय हितों के विपरीत है।
    • शांति समझौता रूस-चीन गठजोड़ को कमजोर कर सकता है, जिससे भारत का रणनीतिक दायरा बढ़ सकता है
    • अमेरिका-रूस संबंधों में सुधार, रूसी तेल और रक्षा आयात के संबंध में भारत पर दबाव को कम हो सकता है।

आगे की राह:

  • आर्थिक विविधीकरण: भारत को रूस को केवल हथियार खरीदने पर ही नहीं, बल्कि वस्तुओं को बेचने पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • पुनर्निर्माण का अवसर: भारत को युद्ध के बाद रूस और यूक्रेन दोनों में अपेक्षित बड़े पैमाने पर पुनर्निर्माण कार्य के लिए अनुबंध प्राप्त करना चाहिए।
  • रक्षा से परे: रक्षा और परमाणु रिएक्टर सहयोग से परे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में साझेदारी स्थापित की जानी चाहिए।
  • त्रिकोणीय संतुलन: भारत को अमेरिका, यूरोप और रूस के साथ एक साथ मजबूत संबंध बनाए रखने की आवश्यकता है, जो अब संभव प्रतीत होता है।
  • वांछित रूस: भारत को एक स्वतंत्र रूस की आवश्यकता है जो यूरोप और अमेरिका के साथ संवाद बनाए रखे, न कि एक ऐसा रूस जो कमजोर हो और चीन पर निर्भर हो।

निष्कर्ष

भारत को वाणिज्य और प्रौद्योगिकी के लिए पश्चिमी देशों के साथ जुड़ने की एक स्पष्ट रणनीति की आवश्यकता है, जबकि रूस को रक्षा, ऊर्जा और सामरिक सुरक्षा के लिए एक स्थिर साझेदार बनाये रखना है।

 मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न: भारत, रूस के लिए प्राय: “सदैव सर्वश्रेष्ठ सहयोगी मित्र राष्ट्र (BFF)” जैसे संबंधों की बात करता है, फिर भी दोनों देशों के मध्य संबंध कमज़ोर और अपेक्षाकृत कमज़ोर बने हुए हैं। यह स्थायी राजनीतिक आत्मीयता/सुविधा (political comfort) व्यापक साझेदारी में क्यों नहीं बदल पाती? ऐसे कौन-से मुख्य क्षेत्र हैं जहाँ दोनों देश गहरी सहयोगात्मक भागीदारी विकसित कर सकते हैं?”

(15 अंक, 250 शब्द)

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