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अमेरिका की चीन के साथ साझेदारी से भारत को नुकसान

Lokesh Pal April 10, 2024 05:15 138 0

संदर्भ :

इस लेख के अंतर्गत इंडो-पैसिफिक और चीन के प्रति अमेरिका की रणनीति एवं कार्यों और उसके भविष्य के प्रभाव के विषय में बात की गई है ।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: AUKUS, चिप फोर एलायंस और मिनिलेटरलिज्म (Chip Four Alliance and Minilateralism)।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: अमेरिका-चीन संबंध और भारत पर प्रभाव।

सतत उच्च स्तरीय जुड़ाव:

  • उत्तरदायी प्रतिस्पर्धा को प्राथमिकता : अमेरिकी प्रशासन द्वारा उसकी चीन रणनीति को “जिम्मेदार प्रतिस्पर्धा” के रूप में वर्णित किया गया है, जिसका अर्थ है कि जहाँ संभव हो वहाँ अमेरिका चीन के साथ सहयोग करेगा और जहाँ आवश्यक होगा वहाँ उसके द्वारा चीन को चुनौती भी दी जायेगी ।
  • संघर्ष को रोकना: चीन के साथ होने वाली अत्यधिक प्रतिस्पर्धा को खतरनाक संघर्ष के स्तर तक पहुँचने से रोकने के लिए अमेरिका द्वारा हर संभव प्रयास करने की पुष्टि भी की गई है ।

अमेरिका द्वारा की गई कार्रवाई:

  • चीन तक पहुँच स्थापित करना : अमेरिका चीन के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी आर्थिक संबंधों में रुचि रखता है, लेकिन वह नहीं चाहता कि सौर पैनल और विद्धुत वाहनों जैसे उभरते प्रौद्योगिकी क्षेत्रों पर चीन अपना प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयास करे।
    • उदाहरण: वर्ष 2022 के अंत में G-20 शिखर सम्मेलन के अलावा दोनों पक्षों के मध्य बाली में एक उच्च स्तरीय सूचना संपर्क शुरू किया गया I
    • चीनी राष्ट्रपति द्वारा विगत नवंबर में एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग मंच के सैन फ्रांसिस्को शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अमेरिका का दौरा किया गया था।
  • जापान पर नज़र: जापान पर ध्यान केन्द्रित करते हुए अमेरिका द्वारा विभिन्न उच्च-स्तरीय राजकीय यात्राएँ आयोजित की जा रही हैं I जैसे हाल ही में व्हाइट हाउस की राजकीय यात्रा पर आए जापानी प्रधानमंत्री की अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा मेजबानी की गई ।
    • यह यात्रा अमेरिका और जापान के मध्य सैन्य-तकनीकी साझेदारी के सुदृढ़ीकरण से संबंधित है और इसमें सैन्य संरचनाओं का अधिकतम रूप से एकीकरण, अधिक गहन रक्षा-औद्योगिक सहयोग और व्यापक उन्नत प्रौद्योगिकी सहयोग शामिल होंगे ।
  • AUKUS: AUKUS पहल ऑस्ट्रेलिया, यूके और यूएस के मध्य  नियोजित उन्नत प्रौद्योगिकी साझेदारी है, जिसका वर्ष 2021 के दौरान अनावरण किया गया था।
    • जापान इस समूह में एक मूल्यवान संभावित योगदानकर्ता हो सकता है जो चीन पर बढ़त बनाए रखने के लिए अपने उत्कृष्ट वैज्ञानिक और तकनीकी कौशल और विनिर्माण कौशल का उपयोग कर सकता है।
  • लघुपक्षीय संस्थानों की स्थापना: बदलते  क्षेत्रीय भू-राजनीतिक गतिशीलता से निपटने के लिए आसियान के नेतृत्व वाले क्षेत्रीय बहुपक्षीय तंत्र की अक्षमता को देखते हुए लघुपक्षवाद (Minilateralism) अब धीरे-धीरे एशियाई सुरक्षा परिदृश्य का हिस्सा बन रहा है।
    • उदाहरण: चिप फोर एलायंस (Chip Four Alliance) विश्व के प्रमुख अर्धचालक उत्पादक देश यथा ताइवान, दक्षिण कोरिया, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका को एक साथ लाता है।
  • एशियाई सुरक्षा नेटवर्क: अमेरिका का नया दृष्टिकोण एशियाई सुरक्षा नेटवर्क का एक तंत्र निर्मित करने से संबंधित है जो क्षेत्र के सैन्य संसाधनों को एकत्रित करता है, प्रतिरोधात्मक सुरक्षा में वृद्धि करता है और शांति सुनिश्चित करता है।
    •  उदाहरण: अमेरिका द्वारा फिलीपींस सहित इंडो-पैसिफिक देशों में अपने सुरक्षा सहयोग के विस्तार हेतु जापान से समर्थन की बात की जा रही है I साथ ही उसने दक्षिण कोरिया को भारत के साथ उन्नत प्रौद्योगिकी सहयोग के विस्तार पर भी चर्चा की जा रही है।

भारत के विचार:

  • अधारणीय सहयोग: भारतीय रणनीतिक समुदाय के विशेषज्ञों के अनुसार प्रतिस्पर्धा और सहयोग के मध्य संतुलन बनाए रखना अधारणीय सिद्ध होगा।
  • चीन के साथ समझौता: रणनीतिक विशेषज्ञों द्वारा आशंका व्यक्त की गई है कि साझेदारी की यह राह अमेरिका के मित्र और साझेदारों देशों की कीमत पर विकसित की जायेगी एवं यह चीन के पक्ष में होगा ।
    • निश्चित रूप से, एशिया से दूर एक स्थापित शक्ति होने और चीन से सीधे तौर पर कोई खतरा न होने के कारण अमेरिका के लिए चीन के साथ समझौता करने की हमेशा जरुरी वजहें मौजूद रहेंगी।
    • देखा जाए तो बड़े पैमाने पर परस्पर निर्भरता वाली दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं और अग्रणी सैन्य शक्तियों के रूप में संलग्न होने की उनकी अनिवार्यताएँ वास्तविक हैं लेकिन यह भी सत्य है कि उनमें विरोधाभास भी मौजूद हैं।

निष्कर्ष:

अंततः उत्तरदायित्वपूर्ण प्रतिस्पर्धा संबंधी अमेरिकी दृष्टिकोण भारत को अपनी शक्ति बढ़ाने, नए लघुपक्षवाद का सदस्य बनने और वैश्विक रूप से स्वयं को अभिव्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है, जिसे अमेरिका और चीन दोनों के साथ संबंधों के सावधानीपूर्वक संचालन की आवश्यकता है।

News Source: The Indian Express

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